नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा, कि कोई 'बच्चा' (18 साल से कम उम्र का व्यक्ति) लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता और यह न केवल अनैतिक बल्कि गैरकानूनी भी कृत्य होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि लिव-इन रिलेशन को विवाह की प्रकृति का संबंध मानने के लिए कई शर्तें हैं और किसी भी मामले में, व्यक्ति को बालिग (18 वर्ष से अधिक) होना चाहिए, जबकि विवाह योग्य आयु 21 वर्ष है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 'दोनों में से कोई भी नाबालिग हो तो लिव इन रिलेशनशिप मान्य नहीं है.' पर्सनल लॉ के तहत दूसरी बार शादी करने वाले शख्स को पहली पत्नी को देना होगा गुजारा भत्ता.
कोर्ट ने कहा, ऐसे मामले में संरक्षण नहीं दिया जा सकता. यदि संरक्षण दिया गया तो यह कानून और समाज के खिलाफ होगा.' कोर्ट ने कहा केवल दो बालिग ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं. यह अपराध नहीं माना जाएगा.
कोर्ट ने कहा, 'चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट' के तहत नाबालिग से 'लिव इन' अपराध है. चाहे पुरुष हो या स्त्री. कोर्ट ने कहा कि बालिग महिला का नाबालिग पुरुष द्वारा अपहरण का आरोप अपराध है या नहीं? यह विवेचना से तय होगा. केवल लिव इन में रहने के कारण राहत नहीं दी जा सकती.
लिव-इन में रहने के लिए बालिग होना जरूरी
A child CANNOT have a live-in relationship and this would be an act not only immoral but also illegal, says #AllahabadHighCourt.
"There are several conditions for live in relation to be treated as a relation in nature of marriage. In any case, a person has to be major (18 years)… pic.twitter.com/NmpWKCSIXq
— Live Law (@LiveLawIndia) August 2, 2023
मामले में याची का कहना था कि वह 19 वर्ष की बालिग है. अपनी मर्जी से घर छोड़कर आयी है और अली अब्बास के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है. इसलिए अपहरण का दर्ज केस रद्द करके याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए. कोर्ट ने एक याची के नाबालिग होने के कारण राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, कानून के खिलाफ संबंध बनाना पाक्सो एक्ट का अपराध होगा. मामले में कौशांबी के पिपरी थाना में अपहरण का केस दर्ज है.