अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में गिर वन्यजीव अभयारण्य में शेरों की शून्य आकस्मिक मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने में विफलता के लिए राज्य के वन विभाग और पश्चिमी रेलवे के अधिकारियों को फटकार लगाई. अदालत ने चेतावनी दी कि राज्य वन विभाग का यह सुनिश्चित करना कर्तव्य है कि गिर अभयारण्य में किसी भी जानवर को बाहरी तत्वों द्वारा नुकसान न पहुंचाया जाए. कोर्ट ने पहले ट्रेनों के साथ दुर्घटनावश टक्कर के कारण पास के रेलवे क्रॉसिंग पर शेरों की मौत पर चिंता व्यक्त की थी. Read Also: शेर दौड़ते नहीं हैं... ट्रेन की चपेट में आने से शेरों की मौत को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने रेलवे को लगाई फटकार.
हाई कोर्ट ने कहा, "दुर्घटना का कारण जानने के लिए आपने क्या किया है? कम से कम आपको पहले कारण का पता लगाना चाहिए और फिर उपचारात्मक उपाय करना चाहिए. न तो वन विभाग और न ही रेलवे ने एक साथ बैठकर इस पहलू पर विचार किया है. अगर आपने कोई पूछताछ की थी, तो आपने पहले कोई समाधान क्यों नहीं निकाला? आपको हमेशा अदालत से कुछ हस्तक्षेप या आपके सिर पर कुछ तलवार लटकने की ज़रूरत होती है."
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हम दरोगा जी (पुलिस अधिकारी) नहीं हैं. इसके लिए हमें दरोगा मत बनाइये.'' अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) मनीषा लवकुमार-शाह ने अदालत को बताया कि रेलवे पटरियों के पास बैरिकेड्स, जो विभिन्न स्थानों पर टूटे हुए थे, अब मरम्मत कर दी गई है.
कोर्ट ने केवल छोटे कदम उठाने के लिए वन विभाग को फटकार लगाई, वह भी न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद. मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा, "आपको अपने घर को व्यवस्थित करने के लिए हमेशा अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता क्यों है? आपको हमेशा अदालत के आदेश की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, लेकिन आप हमसे एक भी शब्द कहे बिना अपने दम पर काम कर सकते हैं."
इससे पहले मंगलवार को अदालत को यह भी बताया गया कि रेलवे और राज्य वन विभाग ने एक संयुक्त बैठक की थी और वन क्षेत्रों के पास चलने वाली ट्रेनों की गति को 30 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित करने का निर्णय लिया था. अदालत को बताया गया कि आगे प्रस्तावित किया गया था कि रात के समय, जब शेर आमतौर पर इधर-उधर घूमते हैं, कोई भी रेलगाड़ी नहीं चलेगी.