गुजरात
नई दिल्ली: अक्सर धार्मिक स्थलों (Religious Place) और किसी सामाजिक कार्यक्रम (Social Programme) में लाउडस्पीकर (Loudspeaker) को बजते तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या कभी लाउडस्पीकर के जरिए बच्चों को पढ़ाई करते हुए देखा है. सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है, लेकिन सच है. एक गांव के हर मोहल्ले और चौराहे और फील्ड में कई लाउडस्पीकर सिर्फ बच्चों को पढ़ाने के लिए लगाए गए हैं. ये व्यवस्था उन बच्चों के लिए है, जिनके पास न तो टीवी (TV) है और न ही इंटरनेट (Internet). जानते हैं कैसे स्पीकर बच्चों की पढ़ाई में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. दरअसल कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा है. ऐसे में जब सभी जगह स्कूल (School) और शिक्षण संस्थान बंद थे, तब गुजरात (Gujarat) के बनासकांठा जिले में स्थित पालनपुर में पिछले साल जून महीने में कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक का शिक्षण कार्य शुरू हुआ. ये शिक्षण कार्य कुछ अलग अंदाज में शुरू हुआ. School Reopen in Uttar Pradesh: यूपी में 11 माह बाद खुले स्कूल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में लिया जायजा
ग्राम पंचायत द्वारा लगाए गए स्पीकर
पालनपुर के परपड़ा गांव की शिक्षक चेतन बेन ने बताया कि शिक्षण संस्थान खुले हैं, इसके लिए ग्राम पंचायत द्वारा स्पीकर लगाए गए. शिक्षक अपनी बारी के अनुसार आते और कक्षा 3,4,5 को सोमवार, बुधवार और शुक्रवार और कक्षा 6,7,8 को मंगलवार, गुरु और शनिवार को पढ़ाते. इसके अलावा अगर किसी बच्चों को पढ़ने में समझ नहीं आता है, तो शिक्षक बच्चे के घर पर जाकर भी उन्हें पढ़ाते व बताते हैं. गांव में सभी लोगों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है, ऐसे में ग्राम पंचायत द्वारा स्पीकर के माध्यम से बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है.
हर गली में एक-एक कैमरा भी लगाया गया
इस गांव में सुबह 8 बजे से 11 बजे तक गलियां, आंगन, ओटला सब एक कक्षा में परिवर्तित हो जाते हैं. मानों, पूरा गांव ही क्लासरूम बन गया हो. शिक्षक ग्राम पंचायत में बैठकर माइक की सहायता से बोलते हैं और बच्चों को को पढ़ाते हैं और विद्यार्थी स्पीकर की मदद से पुस्तक में देख कर समझ लेते हैं. हर गली में एक-एक कैमरा भी लगा हुआ है, जिसकी मदद से शिक्षक विद्यार्थियों का निरीक्षण भी करते हैं.
सभी को भा रहा है यह अनोखा तरीका
जरूरतमंद बच्चों तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करने का अनोखा तरीका सभी को भा रहा है. स्थानीय निवासी रमेश भाई का कहना है कि गांव में कई बच्चों के पास एंड्रॉयड फोन न होने और इंटरनेट की असुविधा के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई में काफी मुश्किलों का का सामना करना पड़ रहा था. इस समस्या के हल के लिए गांव के शिक्षकों ने परामर्श कर गांव के सभी एरिया में साउंड सिस्टम लगाया, जिसका परिणाम काफी अच्छा रहा.
नई दिल्ली: अक्सर धार्मिक स्थलों (Religious Place) और किसी सामाजिक कार्यक्रम (Social Programme) में लाउडस्पीकर (Loudspeaker) को बजते तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या कभी लाउडस्पीकर के जरिए बच्चों को पढ़ाई करते हुए देखा है. सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है, लेकिन सच है. एक गांव के हर मोहल्ले और चौराहे और फील्ड में कई लाउडस्पीकर सिर्फ बच्चों को पढ़ाने के लिए लगाए गए हैं. ये व्यवस्था उन बच्चों के लिए है, जिनके पास न तो टीवी (TV) है और न ही इंटरनेट (Internet). जानते हैं कैसे स्पीकर बच्चों की पढ़ाई में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. दरअसल कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा है. ऐसे में जब सभी जगह स्कूल (School) और शिक्षण संस्थान बंद थे, तब गुजरात (Gujarat) के बनासकांठा जिले में स्थित पालनपुर में पिछले साल जून महीने में कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक का शिक्षण कार्य शुरू हुआ. ये शिक्षण कार्य कुछ अलग अंदाज में शुरू हुआ. School Reopen in Uttar Pradesh: यूपी में 11 माह बाद खुले स्कूल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में लिया जायजा
ग्राम पंचायत द्वारा लगाए गए स्पीकर
पालनपुर के परपड़ा गांव की शिक्षक चेतन बेन ने बताया कि शिक्षण संस्थान खुले हैं, इसके लिए ग्राम पंचायत द्वारा स्पीकर लगाए गए. शिक्षक अपनी बारी के अनुसार आते और कक्षा 3,4,5 को सोमवार, बुधवार और शुक्रवार और कक्षा 6,7,8 को मंगलवार, गुरु और शनिवार को पढ़ाते. इसके अलावा अगर किसी बच्चों को पढ़ने में समझ नहीं आता है, तो शिक्षक बच्चे के घर पर जाकर भी उन्हें पढ़ाते व बताते हैं. गांव में सभी लोगों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है, ऐसे में ग्राम पंचायत द्वारा स्पीकर के माध्यम से बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है.
हर गली में एक-एक कैमरा भी लगाया गया
इस गांव में सुबह 8 बजे से 11 बजे तक गलियां, आंगन, ओटला सब एक कक्षा में परिवर्तित हो जाते हैं. मानों, पूरा गांव ही क्लासरूम बन गया हो. शिक्षक ग्राम पंचायत में बैठकर माइक की सहायता से बोलते हैं और बच्चों को को पढ़ाते हैं और विद्यार्थी स्पीकर की मदद से पुस्तक में देख कर समझ लेते हैं. हर गली में एक-एक कैमरा भी लगा हुआ है, जिसकी मदद से शिक्षक विद्यार्थियों का निरीक्षण भी करते हैं.
सभी को भा रहा है यह अनोखा तरीका
जरूरतमंद बच्चों तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करने का अनोखा तरीका सभी को भा रहा है. स्थानीय निवासी रमेश भाई का कहना है कि गांव में कई बच्चों के पास एंड्रॉयड फोन न होने और इंटरनेट की असुविधा के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई में काफी मुश्किलों का का सामना करना पड़ रहा था. इस समस्या के हल के लिए गांव के शिक्षकों ने परामर्श कर गांव के सभी एरिया में साउंड सिस्टम लगाया, जिसका परिणाम काफी अच्छा रहा.