नई दिल्ली:- केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) पिछले 14 दिनों से जारी है. किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं. वहीं, सरकार इस मसले का हल जल्द से जल्द तलाशने में जुटी है. लेकिन कई दौर की बातचीत के बाद भी मसले का हल नहीं निकल सका है. रिपोर्ट के मुताबिक अब सरकार ने कहा है कि वह दिल्ली के पास प्रदर्शन कर रहे किसानों को लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है कि खरीद के लिए मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी रहेगा. वहीं, सरकार ने बुधवार को 13 किसान संगठनों को भेजे प्रस्ताव में एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने की बात कही. प्रस्ताव मिलने पर किसान नेताओं ने कहा कि हम प्रस्ताव को पढ़ेंगे, फिर इस पर चर्चा के बाद कोई फैसला लिया जाएगा. प्रस्ताव लगभग 20 पन्नों का है.
बता दें कि सरकार ने यह भी कहा कि वह सितंबर में लागू नए कृषि कानूनों के बारे में अपनी चिंताओं पर सभी आवश्यक स्पष्टीकरण प्रदान करने के लिए तैयार है. हालांकि, प्रस्ताव में कानूनों के खत्म करने से जुड़ी किसानों के विरोध की मुख्य मांग के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया था. किसान अपनी मांग को लेकर लंबी तैयारी में आए हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान वापस नहीं जाएगा, अब किसान के मान-सम्मान का सवाल है. सरकार कानून वापस नहीं लेगी, तानाशाही होगी? अगर सरकार हठधर्मी पर है तो किसान की भी हठ है. ये पूरे देश के किसानों का सवाल है. Farmers' Protest Updates: कृषि बिल पर किसान नेताओं को केंद्र का लिखित 20 पन्नों का प्रस्ताव मिला, किसानों ने कहा-हम प्रस्ताव को पढ़ेंगे, फिर इस पर चर्चा के बाद कोई फैसला लेंगे.
गौरतलब हो कि केन्द्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सिमाओं पर 26 नवंबर से किसान संगठनों से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और मंगलवार को किसान नेताओं ने देशव्यापी बंद का आहवान किया था. इससे पहले केन्द्र सरकार के साथ किसानों की समस्याओं को लेकर पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं. कृषि मंत्री इस बात से आश्वस्त हैं कि किसानों की समस्याओं का जल्द समाधान निकलेगा, केन्द्र सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को उनके द्वारा सुझाए गए कुछ बिंदुओं पर कृषि कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है, जबकि वे तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.