Draught Alert: आठ साल में सबसे कम मानसून बारिश का अनुमान
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत में सूखे दिनों की आशंका बढ़ गयी है. मौसम विभाग का कहना है कि आठ साल में यह सबसे सूखा मानसून साबित हो सकता है.इस साल का मानसून भारत में आठ साल में सबसे कम बारिश का मौसम हो सकता है. भारत के मौसम विभाग का अनुमान है कि मौसमी प्रभाव अल नीनो के कारण सितंबर महीने में बारिश बेहद कम हो सकती है, जिसके बाद यह 2015 के बाद सबसे कम बारिश वाला मानसून होगा. अगस्त का महीना सदी में सबसे सूखा अगस्त रहा है.

भारतीय मौसम विभाग ने आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन विभाग के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "अल नीनो ने अगस्त में बारिश को प्रभावित किया. सितंबर की बारिश पर भी इसका असर पड़ेगा.”

अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर

यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरी खबर हो सकती है क्योंकि इसके कारण दाल, चावल, चीनी और सब्जियों जैसी जरूरी चीजों के दाम बहुत ज्यादाबढ़ सकते हैं. जुलाई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर जनवरी 2020 के बाद सबसे ऊंची रही थी.

तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले भारत के लिए मानसून बेहद अहम है. देश में फसलों की सिंचाई के लिए जरूरी कुल पानी का 70 फीसदी मानसून से ही मिलता है. अधिकतर तालाब भी पानी के लिए मानसून पर ही निर्भर हैं. देश की करीब आधी कृषि भूमि के पास आज भी सिंचाई के अन्य साधन उपलब्ध नहीं हैं.

ऐसे हालात में मानसून का कम होना ना सिर्फ कृषि उत्पादन को प्रभावित करता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालता है. जून से सितंबर के बीच भारत के अलग-अलग हिस्सों में मानसून की बारिश होती है. माना जा रहा है कि इस साल कम से कम आठ फीसदी कम बारिश होगी, जो 2015 के बाद सबसे कम है. 2015 में भी अल नीनो के कारण मानसून सूखा रहा था.

26 मई को मौसम विभाग ने मानसून को लेकर जो अनुमान जारी किया था, उसके मुताबिक 4 फीसदी कम बारिश होने की संभावना थी, क्योंकि तब माना गया था कि अल नीना का प्रभाव सीमित ही रहेगा.

सबसे सूखा अगस्त

इस महीने की शुरुआत में मौसम विभाग ने कहा था कि पिछली एक सदी में यह सबसे सूखा अगस्त होगा. पूरे मौसम में ही बारिश की मात्रा ऊपर-नीचे होती रही है. जून में बारिश औसत से 9 फीसदी कम हुई थी जबकि जुलाई में औसत से 13 फीसदी ज्यादा पानीबरसा.

विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिमी मानसून हवाएं इस बार समय से पहले ही उत्तर-पश्चिमी भारत से विदा ले लेंगी. पहले अनुमान था कि ऐसा 17 सितंबर से होगा. पिछले चार साल से सितंबर में औसत से ज्यादा बारिश हुई है क्योंकि मानसून देर से आया था.

एक अन्य अधिकारी ने बताया, "सितंबर में उत्तरी और पूर्वी महीनों में औसत से कम बारिश हो सकती है लेकिन दक्षिणी प्रायद्वीप में मानसून बेहतर रह सकता है.”

सितंबर महीने की बारिश सर्दी की फसलों जैसे गेहूं और मटर आदि के लिए जरूरी होती है. अगस्त में बारिश कम हुई है, इसलिए सितंबर में किसानों को ज्यादा बारिश की जरूरत होगी क्योंकि भू-जल स्तर पहले ही नीचे जा चुका है. अगर ऐसा नहीं होता है तो सर्दी की फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है.

क्या है अल नीनो?

अल नीनो जलवायु से जुड़ा मौसमी प्रभाव है जो औसतन हर दो से सात साल में आता है. स्पैनिश भाषा के शब्द अल नीनो का अर्थ है, लिटल बॉय यानी छोटा लड़का. इसका संबंध अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन में अधिक तापमान से है.

मुख्य रूप से इसकी शुरुआत पूर्वी प्रशांत महासागरीय इलाके में असामान्य तौर पर गर्म पानी के कारण होती है. माना जाता है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत के पास पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं, जिन्हें ट्रेड विंड्स कहा जाता है, धीमी हो जाती हैं या फिर उलटी दिशा में बहने लगती हैं.

अल नीनो के इस दौर के शुरू होने से पहले मई में समुद्र की सतह का औसत तापमान अब तक दर्ज किसी भी रिकॉर्ड से करीब 0.1 सेल्सियस ज्यादा था.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)