बिहार के लिए एक बहुत बड़ी और ऐतिहासिक खबर है. अब तक बिहार को सिर्फ खेती या मजदूरी के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह 'हथियारों और टेक्नोलॉजी' का नया गढ़ बनने जा रहा है. नवंबर 2025 के चुनाव के बाद नई NDA सरकार ने बिहार में 'डिफेंस कॉरिडोर' बनाने की घोषणा कर दी है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार में जो वादा किया था, उस पर काम शुरू हो गया है. आसान भाषा में समझें तो अब बिहार में सेना के लिए तोप, गोले, बारूद, ड्रोन और राइफल बनाने वाली बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगेंगी.
आइए जानते हैं कि यह प्रोजेक्ट आपके जिले के लिए क्या ला रहा है और इससे आम जनता को क्या फायदा होगा.
डिफेंस कॉरिडोर में आखिर होगा क्या?
सरकार का प्लान बिहार को पूर्वी भारत का 'टेक्नोलॉजी हब' बनाने का है. इसमें सिर्फ हथियार ही नहीं, बल्कि नई तकनीक पर भी काम होगा.
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विस्फोटक (Explosives) यूनिट: पाकिस्तान और दुश्मनों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले बड़े बम और गोला-बारूद अब बिहार में बनेंगे.
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सेमीकंडक्टर पार्क: मोबाइल, मिसाइल और ड्रोन में लगने वाली 'चिप' बनाने की फैक्ट्रियां लगेंगी.
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मेगा टेक और फिनटेक सिटी: बेंगलुरु की तरह बिहार में भी आईटी सिटी और बैंकिंग सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियां (Fintech) आएंगी.
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हर जिले में फैक्ट्री: हर जिले में छोटे-छोटे उद्योग (MSME पार्क) लगेंगे, जहां नट-बोल्ट से लेकर पैकिंग का सामान बनेगा.
कहां-कहां लगेंगी फैक्ट्रियां? (अपना जिला चेक करें)
शुरुआत में 5 से 8 जिलों में बड़े प्लांट लगेंगे, लेकिन प्लान पूरे 38 जिलों का है. जो जगहें अभी चर्चा में हैं, वे ये हैं:
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राजगीर (नालंदा): यहां बहुत बड़ी ऑर्डनेंस फैक्ट्री बनेगी, जहां तोप के बड़े गोले (155mm) तैयार होंगे.
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गया: यहां बारूद और विस्फोटक बनाने का बड़ा प्लांट लगेगा.
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औरंगाबाद & रोहतास: यह इलाका हथियारों का बड़ा हब बनेगा.
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बक्सर: यहां ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड का नया प्लांट आएगा.
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भोजपुर (आरा): यहां छोटे हथियार और मशीनों के पार्ट्स बनेंगे.
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वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर: ये जिले ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान का केंद्र बनेंगे.
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बिहटा (पटना): यहां नया एयरपोर्ट और डिफेंस टाउनशिप (रहने की कॉलोनी) बनेगी.
बिहार में अब क्या-क्या बनेगा?
अब तक हम ये चीजें बाहर से मंगवाते थे, अब 'मेड इन बिहार' होंगी:
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खतरनाक हथियार: AK-203 राइफल, इंसास राइफल और कार्बाइन.
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सुरक्षा का सामान: बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट, और बुलेट प्रूफ गाड़ियां.
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विस्फोटक: हैंड ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर, TNT और RDX (जो दुश्मनों के बंकर उड़ाने के काम आते हैं).
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हाई-टेक गैजेट्स: जासूसी ड्रोन, नाइट विजन (रात में देखने वाला चश्मा), और रडार के पार्ट्स.
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अन्य सामान: फौजियों की वर्दी, जूते और स्पेशल मेडिकल किट.
नौकरियों की बाढ़: अब दिल्ली-मुंबई नहीं भागना पड़ेगा
इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा फायदा बिहार के युवाओं को होगा. सरकार का लक्ष्य अगले 5 साल में 1 करोड़ रोजगार पैदा करने का है.
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अकेले डिफेंस कॉरिडोर से 5-7 लाख लोगों को सीधी नौकरी मिलेगी.
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इसके अलावा 20-25 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार (दुकान, ट्रांसपोर्ट, कैंटीन आदि) मिलेगा.
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किसको मिलेगा काम? इसमें सिर्फ बड़े इंजीनियर ही नहीं, बल्कि टेक्नीशियन, ड्राइवर, सिक्योरिटी गार्ड, लेबर और वर्दी सिलने वाले दर्जी तक—सबको काम मिलेगा.
काम कब शुरू होगा? (टाइमलाइन)
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2025 के अंत तक: जमीन और कागजी कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी.
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2026 से: फैक्ट्रियों का निर्माण (Construction) शुरू हो जाएगा.
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2028-2030 तक: ज्यादातर फैक्ट्रियां चालू हो जाएंगी और उत्पादन शुरू हो जाएगा.
यह बिहार की तस्वीर बदलने वाला प्रोजेक्ट है. अब बिहार के लड़के-लड़कियां अपने घर के पास ही इंजीनियर और टेक्नीशियन बनकर अच्छी सैलरी वाली नौकरी कर सकेंगे. जैसा कि कहा जा रहा है— "अब बिहार सिर्फ़ पढ़ाएगा नहीं, देश की सुरक्षा के लिए हथियार भी बनाएगा."













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