आगरा में आलू अनुसंधान केंद्र, सहारनपुर-कुशीनगर में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगी योगी सरकार
सीएम योगी (Photo : X)

लखनऊ, 9 अप्रैल : आलू अपने विविध इस्तेमाल, किफायतीपन और वर्ष पर्यंत उपलब्धता के कारण सब्जियों का राजा कहलाता है. उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में आलू की उपज की जबरदस्त संभावनाओं को देखते हुए आगरा में अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, जबकि सहारनपुर और कुशीनगर में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की रणनीतिक पहल की है. बुधवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, भारत में आलू के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है और देश में आलू की कुल उपज में इसका योगदान लगभग 35 फीसदी है. बयान में कहा गया है कि हालांकि, आलू के क्षेत्र में प्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार शोध और नवाचार की कमी है और जो शोध एवं नवाचार हो रहे हैं, उनका लाभ किसानों तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र हिमाचल प्रदेश के शिमला में है और इसके सिर्फ दो क्षेत्रीय केंद्र (मेरठ और पटना में) हैं, ऐसे में आलू के क्षेत्र में होने वाले शोध और नवाचार को प्रयोगशाला से खेतों तक पहुंचाने में दिक्कत होती है. बयान के अनुसार, आगरा के आसपास के मंडलों और जिलों में आलू की सर्वाधिक खेती होती है, ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार वहां अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, लीमा (पेरू) की शाखा खोलने जा रही है, जिसमें होने वाले शोध एवं नवाचार से लाखों आलू उत्पादक किसान लाभान्वित होंगे. बयान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के बाकी आलू उत्पादक किसानों को भी आलू के क्षेत्र में होने वाले शोध एवं नवाचार का फायदा मिले, इसके लिए योगी सरकार ने सहारनपुर और कुशीनगर में आलू उत्कृष्टता केंद्र खोलने की पहल की है. यह भी पढ़ें : ‘नवकार महामंत्र दिवस’ पर पीएम मोदी की बातों के मुरीद हुए लोग, कहा- 9 संकल्पों को जरूर अपनाएं

गोरखपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह के अनुसार, इन केंद्रों के जरिये किसान आलू की उन प्रजातियों के बारे में जागरूक हो सकेंगे, जिनकी अधिक तापमान में भी अच्छी पैदावार होती है. सिंह ने कहा, “किसानों को पता चलेगा कि मुख्य और अगेती फसल के लिए कौन-सी प्रजातियां सबसे बेहतर हैं. मसलन कुफरी नीलकंठ में शर्करा की मात्रा कम होती है, पर बीज की उपलब्धता बड़ी समस्या है. शोध संस्थान इस दिक्कत को दूर करने में मददगार होंगे.” उन्होंने कहा, “किसी भी फसल की उपज में क्षेत्र की कृषि जलवायु और मिट्टी की अहम भूमिका होती है, लेकिन बेहतर प्रजातियों की उपलब्धता और आधुनिक तकनीक के जरिये नीदरलैंड, बेल्जियम, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड जैसे देश प्रति हेक्टेयर 38 से 44 मीट्रिक टन तक आलू पैदा कर रहे हैं.” सिंह ने कहा कि नये शोध केंद्र किसानों को आलू की नयी प्रजातियों और खेती की नयी तकनीक की जानकारी देकर पैदावार बढ़ाने में मददगार साबित होंगे.