International Yoga Day 2022: Diabetes के रोगियों के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं योग के ये 3 आसन! जानें कौन से आसन कितने समय तक करें?
मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण साबित हो सकता है योग (Photo: Pixabay)

International Yoga Day 2022: योग की महत्ता को दुनिया भर के देशों ने स्वीकारा है. योग के विभिन्न आसनों में कई बीमारियों के इलाज छिपे होते हैं. यहां तक कि असाध्य कही जानेवाली बीमारी मधुमेह का इलाज भी इन तीन आसनों में है. ये हैं कपाल भांति, अनुलोम विलोम और मंडूक आसन. एक बार योग गुरू बाबा रामदेव ने भी स्वीकारा है कि इन तीनों आसनों को करके मधुमेह पर इसके त्वरित असर देखे जा सकते हैं. आइये जानें कब और कितनी फ्रिक्वेंशी में इन तीनों आसन को करना चाहिए और इससे किस तरह से आप डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकते हैं. अलबत्ता ये योग के बहुत ही आसान आसन हैं.

क्या है मधुमेह?

सर्वप्रथम हम जान लें कि मधुमेह होता क्या है? हमारे शरीर के पैंक्रियाज में जब इंसुलिन पहुंचना कम होता है, तो रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है. इस स्थिति को डायबिटीज (Diabetes) कहते हैं. इंसुलिन वस्तुतः एक हार्मोन है, जो पाचक ग्रंथि द्वारा निर्मित होता है. यही हार्मोन शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में परिवर्तित करता है. यह वह हार्मोन है, जो शरीर में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करता है. डायबिटीज होने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है. इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है. यह ज्यादातर वंशानुगत होता है.

कपालभाति

कपालभाति प्राणायाम बहुत कारगर आसन है. इस आसन को सुबह के समय करना ज्यादा कारगर होता है. जमीन पर एक आसन बिछाकर पालथी मारकर बैठ जाये. दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बनाएं. अब गहरी सांस अंदर की ओर लें और झटके से सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें. कपालभाति 10 से 15 मिनट तक करना चाहिए. यह आसन आपके तंत्र-तंत्रिकाओं और मस्तिष्क की नसों को ऊर्जा प्रदान करता हैं. चूंकि इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, और ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है और मन को शांति प्रदान करता है. इसलिए यह आसन डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत कारगर साबित होता है.

अनुलोम विलोम

बाबा रामदेव के अनुसार अनुलोम-विलोम करके तमाम किस्म के चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं. इससे कई बीमारियों का इलाज संभव है. इस आसन को करने के लिए सुबह-सवेरे एक आसन पर बैठें. शरीर को सीधा रखते हुए सावधान मुद्रा में बैठें. बाएं हाथ से ज्ञान मुद्रा बनाकर दाएं हाथ के अंगूठे से बाईं नासिका को बंद करें और बाईं नाक से श्वास भरें. अब बाईं नाक बंद करें और बाईं नाक से सांस छोड़ें. इस क्रिया को अब दूसरी नाक से भी दोहराएं. यह क्रिया 10 से 15 मिनट तक करें. यह आसन तनाव घटाकर शांति प्रदान करता है. इससे सभी प्रकार की नाड़ियों को भी लाभ प्राप्त होता है.

मंडूकासन

सर्वप्रथम वज्रासन में बैठे. अपनी मुट्ठी को बंद करें और अंगूठा बाहर की ओर रखें. मुट्ठी को नाभि चक्र और जांघ के पास ले जाकर पेट पर इतना दबाव बनाएं, कि मुट्ठी खड़ी हो और अंगूठा अंदर की ओर हो. अब सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए पेट अंदर की ओर खींचें. धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें. चूंकि यह मुद्रा मेंढक की तरह होती है, इसलिए इसे मंडूकासन कहते हैं. यह आसन भी सुबह के समय करनी चाहिए. यह आसन शुरु में पांच मिनट तक ही करनी चाहिए, फिर क्रमशः 10 मिनट तक बढ़ाना चाहिए. यह आसन पेट से एक्सट्रा चर्बी बर्न कर आपको स्लिम-ट्रिम भी बनाता है. कहते हैं कि इस आसन को करनेवाला अगर चीनी खाये तो भी मधुमेह नियंत्रित रहता है.