कोरोना वायरस से जंग: इन नए लक्षणों से भी रहें सावधान, माने डोक्टरों की सलाह
कोरोना वायरस का टेस्ट (Photo Credits: PTI)

कोरोना वायरस का दौर जैस-जैसे आगे  बढ़ रहा है स्वास्थ्य मंत्रालय ताजा आंकड़ों के साथ ही सुरक्षा और बचाव के लिए तमाम उपाय भी बता रहा है. जिससे देश को जल्द से जल्द वायरस से मुक्ति मिल सके. इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने होम क्‍वारंटाइन के दिशा-निर्देश जारी किये हैं. ताकि जिनमें कोविड-19 के बहुत कम लक्षण हैं या उनके लक्षण पहले चरण में हैं. वे समय रहते सतर्क हो जाएं. इसी बीच कोरोना वायरस के कुछ नए लक्षण भी सामने आए हैं.

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के डॉ. सुनील एम रहेजा के अनुसार कोरोना का इंफेक्शन की शुरूआत में कुछ लोगों को बुखार, खांसी और सांस लेने में लकलीफ होती है. इन लक्षणों के आने में 3 से 14 दिन लग जाते हैं. लेकिन अब कई और लक्षण इसमें जुड़ गए हैं, जिनमें ठंड लगना, लूज मोशन होना, उल्टी आना, सूंघने की क्षमता कम होना, सांस लेने में कठिनाई, सीने में लगातार दर्द या बेचैनी, मानसिक तनाव, खड़े होने में परेशानी अथवा होंठ या चेहरे का रंग धूमिल पड़ जाना शामिल है. अगर किसी को ऐसी कोई परेशानी महसूस हो रही है तो तुरंत करीबी अस्पताल से संपर्क करें.

होम क्‍वारंटाइन पर डॉ. रहेजा बताते हैं कि मरीजों को अपने स्वास्थ्य की निगरानी करने और जिला निगरानी अधिकारियों को अपने स्वास्थ्य के बारे में नियमित जानकारी देने की सहमति देनी होगी ताकि निगरानी दल उनके बारे में आगे की कार्रवाई कर सके. इन मरीजों को खुद अलग रखने के संबंध में वचन पत्र देना होता है और घरों में क्वारंटाइन के दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है. यदि बीमारी के गंभीर लक्षण आते हैं तो तत्काल चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए. घरों में अलग रहना तब खत्म होगा जब ये लक्षण खत्म हो जाएंगे. निगरानी करने वाले चिकित्सा अधिकारी यह प्रमाणित करेंगे कि मरीज जांच के बाद संक्रमण रहित हो गया है.

बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जिन मरीजों को अलग रहने की आवश्यकता है, उनके पास अपने घरों में ही अलग से रहने का विकल्प होगा. घरों में अलग से रहने के लिए रोगियों को किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होगी, जो उसकी दिन-रात देखभाल कर सके. घरों में अलग से रहने के दौरान इस व्यक्ति और अस्पताल के बीच संपर्क बनाये रखना जरूरी है.

इसके अलावा सरकार ने ऐसे मामलों में देखभाल करने वाले व्यक्ति और उसके सभी निकट संबंधियों को उपचार करने वाले चिकित्सा अधिकारी द्वारा निर्धारित मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, प्रोफीलेक्सिस की टेबलेट लेने की सलाह दी है. उन्हें मोबाइल पर आरोग्य सेतु ऐप भी डाउनलोड करने की आवश्यकता है. हालाकि डॉ. रहेजा ने यहां साफ किया कि बिना डॉक्टर की सलाह के यह दवाई मत ल

प्लाज्मा थैरपी स्थाई इलाज नहीं, घर में रहना जरूरी

वहीं मरीजों को ठीक करने में प्लाज्मा थैरेपी के बारे में डॉ. रहेजा ने कहा कि जब वायरस से संक्रमित व्यक्ति ठीक हो जाता है तो उस व्यक्ति के शरीर में वायरस से लड़ने में सक्षम एंटीबॉडी बन जाते हैं. इसी एंटीबॉडी को निकालकर किसी गंभीर रुप से संक्रमित मरीज में चढ़ाया जाता है. इससे उसके अंदर भी वायरस से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है. वैसे यह स्थाई इलाज नहीं है, लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक लोगों की जिंदगी बचाने के लिए जरूरी है. वैसे प्लाज्मा थैरपी काफी पुरानी विधा है,1918 में स्पेनिश फ्लू , और फिर इबोला , जैसी कई बीमारियों में प्लाज्मा थैरपी से इलाज किया गया था. इसलिए जरूरी है कि वायरस के गंभीर होने से पहले ही एहतियात बरतने की सलाह दी है.

लॉकडाउन खुलने पर भी सावधानी जरूरी

इस बीच लॉकडाउन को लेकर भी लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. डॉ. रहेजा ने साफ कहा कि ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन खुल जाए तो वायरस का खतरा खत्म हो जाएगा. खतरा अभी भी है और खतरा तब भी रहेगा. लॉकडाउन खुलने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्‍यान रखना जरूरी होगा. मास्क या गमछे से मुंह नाक ढकना बहुत जरूरी है. क्योंकि अभी लोगों में हर्ड इम्यूनिटी नहीं बनी है जो कोरोना वायरस से लड़ सके. जैसे कुछ लोगों की हर्ड इम्यूनिटी है तो उन्हें वायरस का संक्रमण हो भी रहा है तो वो अपने आप ठीक हो जा रहे हैं. अभी देश में कितने प्रतिशत लोग में हर्ड इम्यूनिटी है अभी नहीं पता. इसलिए सावधानी बरतनी है.