Surdas Jayanti 2024 Wishes in Hindi: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस साल 12 मई 2024 को महाकवि सूरदास जी की जयंती (Surdas Jayanti) मनाई जा रही है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है. महाकवि सूरदास जी (Mahakavi Surdas Ji) के बारे में कहा जाता है कि वे अपने जन्म से ही नेत्रहीन थे, बावजूद इसके उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी रचनाएं लिखी हैं, जो सजीव चित्रण जैसी प्रतीत होती हैं. सूरदास जी के जन्म को लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. सूरदास जी की जन्म तिथि को लेकर कई मतभेद हैं. एक तरफ जहां इतिहासकारों का मानना है कि उनका जन्म 1478-1581 ई. के बीच हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित सीही गांव में हुआ था तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग यह दावा करते हैं कि उनका जन्म आगरा के पास रुनकता में हुआ था. मात्र छह साल की उम्र में उन्होंने अपने माता-पिता को अपनी विद्या से आश्चर्यचकित कर दिया था, लेकिन उसके कुछ समय बाद ही वे अपने घर से चार कोस दूर एक गांव में जाकर तालाब किनारे रहने लगे थे.
श्री वल्लभाचार्य के शिष्य, भगवान श्रीकृष्ण के उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि सूरदास को हिंदी साहित्य का सूर्य माना जाता है. उन्होंने श्रीकृष्ण का जितना सुंदर वर्णन अपनी रचनाओं में किया है, उतना दूसरा कोई नहीं कर पाया है. मान्यता है कि सूरदास की भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और उन्हें मथुरा जाने के लिए कहा. सूरदास जयंती पर आप इन शानदार हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और एचडी इमेजेस को भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- भारतीय हिंदी साहित्य के भक्तिकाल में,
अपनी कृष्ण भक्ति और वात्सल्य रस से.
अमिट छाप छोड़ने वाले महान कवि,
संत सूरदास जी को कोटि-कोटि नमन.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
2- सूरदास भक्ति के प्रति महान थे,
उन्होंने न केवल भगवान कृष्ण की प्रशंसा की,
बल्कि भक्ति का प्रसार किया,
हम इसके लिए उन्हें नमन करते हैं.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
3- श्री कृष्ण के अनन्य भक्त,
कृष्ण प्रेम और माधुर्य की प्रतिमूर्ति,
हिंदी साहित्य के सूर्य व महाकवि,
संत शिरोमणि श्री सूरदास जी की जयंती पर,
उन्हें कोटि-कोटि नमन...
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
4- हरि की महिमा का गान करने वाले संत महाकवि,
सूरदास जी की जयंती पर उन्हें विनम्र नमन.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
5- भगवान श्रीकृष्ण के महानतम भक्तों में से एक,
महाकवि सूरदास जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर सूरदास जी मथुरा गए, जहां उनकी भेंट गऊघाट में गुरु वल्लभाचार्य से हुई. वल्लभाचार्य ने उनकी सगुण भक्ति से प्रभावित होकर उन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया, फिर उन्हें गोकुल में श्रीनाथ जी मंदिर पर कीर्तनकार के रूप में नियुक्त किया. सूरदास जी ने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की थी, लेकिन वर्तमान समय में उनके केवल 16 ग्रंथ ही उपलब्ध हैं, जिनमें सूरसागर, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, सूरसारावली, ब्याहलो, नागलीला, गोवर्धन लीला, प्राणप्यारी जैसे ग्रंथ शामिल हैं. मान्यता है कि संत सूरदात की मृत्यु सन 1583 में मथुरा के पास पारसोली में हुई थी. इसी स्थान पर उनकी समाधि भी मौजूद है, जहां भारी तादात में लोग दर्शन के लिए आते हैं.