सूरदास (Surdas) भारत के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे. वह जन्म से ही अंधे थे. इसलिए उनका नाम सूरदास पड़ा. सूर का अर्थ अंधा होता है. देखने में असमर्थता के कारण, उन्हें अपने ही परिवार के सदस्यों द्वारा भी उपेक्षित किया गया था. उन्होंने बहुत कम उम्र में अपना घर छोड़ दिया और यमुना नदी के तट पर भगवान कृष्ण के लिए भक्ति गीत लिखना शुरू कर दिया. उनकी गहरी भक्तिमय कविताओं के कारण उन्हें भक्त कवि सूरदास के नाम से जाना जाता है. सूरदास के जन्मदिन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है लेकिन पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि उनका जन्म 1478 सीई (CE) में हुआ था. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को उनकी जयंती मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह दिन अप्रैल या मई के महीने में आता है. आज 17 मई को सूरदास जी की जयंती मनाई जा रही है. यह भी पढ़ें: Basava Jayanti 2021 Greetings: बसव जयंती पर इन शानदार WhatsApp Messages, HD Images, Quotes, Facebook Wishes के जरिए दें प्रियजनों को शुभकामनाएं
सूर सागर उनकी सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त रचनाओं में से एक है. इसमें भगवान कृष्ण और राधा की रासलीला का वर्णन किया गया है. कहा जाता है कि सूरदास ने सूर सागर के लिए हजारों कविताएं लिखी और रचना की थी, लेकिन वर्तमान अभिलेखों में से केवल 8000 ही संरक्षित हैं. सूरदास ने इन भक्ति गीतों और कविताओं को ब्रज भाषा में लिखा था. यह भी कहा जाता है कि उन्होंने वल्लभ आचार्य (Vallabha Acharya) की शिक्षाओं से प्रेरणा ली, जिनसे वे कथित तौर पर 1510 में मिले थे. संत कवि सूरदास की जयंती पर आप नीचे दिए गए विशेज ग्रीटिंग्स भेजकर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1. सूरदास जयंती 2021
2. कवि सूरदास जयंती की बधाई
3. सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
4. संत सूरदास जी की जयंती पर नमन
5. सूरदास जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
6. संत कवि सूरदास की जयंती की बधाई
सूरदास जी की कविताओं की ख्याति दूर-दूर तक थी. इसके लिए उन्हें बहुत सम्मान मिला. ऐसा माना जाता है कि मुगल बादशाह अकबर ने भी कविता के लिए उनके कौशल की प्रशंसा की थी. वह लोगों से मिलने वाले वित्तीय दान पर जीवित रहे और जनता को धार्मिक व्याख्यान भी दिए. उन्हें वल्लभ संप्रदाय की आठ मुहरों का आठवां रत्न माना जाता है.
संत कवि सूरदास जी की जयंती उत्तरी भारत में मनाई जाती है. भगवान कृष्ण के भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनके सम्मान में उपवास भी रखते हैं. इस दिन कई कविता प्रतियोगिताएं और संगीत सत्र आयोजित किए जाते हैं और लोग इसमें भाग लेते हैं. चूंकि भगवान कृष्ण का पालन-पोषण वृंदावन में हुआ था, इसलिए इस दिन को सूरदास को याद करने के लिए बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.