Surdas Jayanti 2022 Messages in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि सूरदास (Surdas Ji) को हिंदी साहित्य का सूर्य माना जाता है, क्योंकि उन्होंने श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का जितना सुंदर वर्णन अपनी रचनाओं में किया है, उतना दूसरा कोई नहीं कर पाया है. कान्हा के प्रति अटूट विश्वास के चलते ही उन्हें भक्त कवि सूरदास भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को महाकवि सूरदास जी की जयंती (Surdas Jayanti) मनाई जाती है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आज (06 मई 2022) सूरदास जयंती है. उनके बारे में कहा जाता है कि वे जन्म से ही अंधे थे, बावजूद इसके उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी रचनाएं लिखी हैं, जो सजीव चित्रण जैसी प्रतीत होती हैं.
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सूरदास का जन्म आगरा के रुनकता गांव में हुआ था, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि वो हरियाणा के सीही गांव में जन्में थे, पर जन्म से अंधे होने के कारण परिवार वालों ने उन्हें नहीं अपनाया. नेत्रहीन होने के कारण सूरदास जी ने घर छोड़ दिया और वो श्री वल्लभाचार्य के शिष्य बन गए.
इस साल महाकवि सूरदास जी की 544वीं जयंती मनाई जा रही है. उनके जन्मोत्सव को देश के उत्तरी भागों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन मथुरा, वृंदावन जैसे कई स्थानों पर काव्य सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. ऐसे में इस अवसर पर आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को सूरदास जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- भगवान श्रीकृष्ण के महानतम भक्तों में से एक,
महाकवि सूरदास जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
2- हरि की महिमा का गान करने वाले संत महाकवि,
सूरदास जी की जयंती पर उन्हें विनम्र नमन.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
3- श्री कृष्ण के अनन्य भक्त,
कृष्ण प्रेम और माधुर्य की प्रतिमूर्ति,
हिंदी साहित्य के सूर्य व महाकवि,
संत शिरोमणि श्री सूरदास जी की जयंती पर,
उन्हें कोटि-कोटि नमन...
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
4- सूरदास भक्ति के प्रति महान थे,
उन्होंने न केवल भगवान कृष्ण की प्रशंसा की,
बल्कि भक्ति का प्रसार किया,
हम इसके लिए उन्हें नमन करते हैं.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
5- भारतीय हिंदी साहित्य के भक्तिकाल में,
अपनी कृष्ण भक्ति और वात्सल्य रस से.
अमिट छाप छोड़ने वाले महान कवि,
संत सूरदास जी को कोटि-कोटि नमन.
सूरदास जयंती की शुभकामनाएं
कहा जाता है कि श्री वल्लभाचार्य ने ही सूरदास जी को ग्रंथों की शिक्षा दी थी. वैसे तो सूरदास जी ने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की थी, लेकिन वर्तमान समय में उनके केवल 16 ग्रंथ ही उपलब्ध हैं, जिनमें सूरसागर, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, सूरसारावली, ब्याहलो, नागलीला, गोवर्धन लीला, प्राणप्यारी जैसे ग्रंथ शामिल हैं. मान्यता है कि संत सूरदात की मृत्यु सन 1583 में मथुरा के पास पारसोली में हुई थी. इसी स्थान पर उनकी समाधि भी मौजूद है, जहां भारी तादात में लोग दर्शन के लिए आते हैं.