
डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने पहली बार यमन में हूथी विद्रोहियों पर हमला किया है. रविवार, 16 मार्च को हुए हमले में 31 लोगों की मौत हुई है. ट्रंप ने और हमलों की चेतावनी दी है.हूथी विद्रोहियों का कहना है कि अमेरिकी हमले में जिन लोगों की मौत हुई है उनमें बच्चे भी शामिल हैं. हूथी विद्रोहियों पर लाल सागर में जहाजों पर हमले करने के आरोप लगते हैं. डॉनल्ड ट्रंप का कहना है कि अगर जहाजों पर हमले नहीं रुके तो हूथी विद्रोहियों पर, "कहर बरपेगा."
मरने वालों में औरतें और बच्चे
समाचार एजेंसी एएफपी के एक फोटोग्राफर ने यमन की राजधानी सना में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में धमाकों की आवाज सुनी और धुएं का गुबार उठता देखा. विद्रोहियों के मुताबिक सना के साथ ही सादा, अल बायदा और रदा के इलाके में हुए हमलों में कम से कम 31 लोगों की मौत हुई है और 100 से ज्यादा लोग घायल हैं. हूथी के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अनीस अल-असबाही ने एक बयान जारी कर कहा है, कि मरने वाले और जख्मी लोगों में, "ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं."
लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों का बीमा कौन करेगा
सोशल मीडिया पर डाले एक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हूथी की हरकतों को बंद करने के लिए, "भारी घातक बल का इस्तेमाल" करने की शपथ ली है. पोस्ट में ट्रंप ने लिखा है, "सभी हूथी आतंकवादियों, तुम्हारा समय आ चुका है और तुम्हारे हमले अब बंद होने चाहिए, आज से ही. अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो तु्म्हारे ऊपर ऐसा कहर बरसेगा जो तुमने पहले कभी नहीं देखा होगा."
हूथियों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा करने के साथ ही ट्रंप ने उसके प्रमुख सहयोगी को भी चेतावनी दी है. ट्रंप ने लिखा है, "ईरान, हूथी आतंकवादियों को सहयोग तुरंत बंद होना चाहिए." ट्रंप का कहना है, "अमेरिकी लोगों, उनके राष्ट्रपति और दुनिया के लिए शिपिंग के रास्तों को खतरे में मत डालो, क्योंकि अमेरिका तुम्हें जिम्मेदार ठहराएगा और हम अच्छे नहीं होंगे."
हूथी विद्रोहियों ने जवाबी कार्रवाई की बात कही है, जबकि ईरान के विदेश मंत्री ने हमलों में हुए मौत की निंदा की है और कहा है कि अमेरिका के पास ईरान की विदेश नीति तय करने का "कोई अधिकार नहीं" है.
अमेरिका के सेंट्रल कमांड (सीईएनटीसीओएम) ने लड़ाकू विमान और बम से ध्वस्त होती एक इमारत की तस्वीरें डाली हैं. इस तस्वीर के साथ लिखा गया है, 'अमेरिकी हितों की रक्षा, दुश्मनों को रोकने और आवाजाही की स्वतंत्रता बहाल करने के लिए' सटीक हमले" शुरू किए गए हैं.
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यमन पर हूथी विद्रोहियों का नियंत्रण
हूथी विद्रोयों के खिलाफ ब्रिटेन भी हमले करता रहा है, लेकिन फिलहाल अमेरिकी हमलों पर ब्रिटेन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. एक दशक से ज्यादा समय से यमन के ज्यादातर हिस्से पर हूथी विद्रोहियों का नियंत्रण है. ये लोग "प्रतिरोध की धुरी" का हिस्सा हैं. यह धुरी इस्राएल और अमेरिका के कट्टर विद्रोहियों में शामिल है. हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल से हमले किए हैं. खासतौर से गाजा युद्ध के समय में.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता शॉन पार्नेल ने कहा है कि हूथी विद्रोहियों ने 2023 से अब तक अमेरिकी जंगी जहाजों पर 174 बार हमला किया और कारोबारी जहाजों पर 145 बार." इन हमलों की वजह से इस जरूरी रास्ते से गुजरने वाले जहाजों पर तनाव बढ़ गया है. आमतौर पर दुनिया के कुल जहाजों में से 12 फीसदी की आवाजाही इसी रास्ते से होती है. इस रास्ते से बचना चाहें तो फिर दक्षिणी अफ्रीका की ओर से जाना पड़ता है जो लंबा है और यात्रा का खर्च बढ़ा देता है.
फलीस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने हूथी विद्रोहियों के सहयोग की सराहना की है और अमेरिकी हमले की निंदा की है. हमास का कहना है कि ये हमले, "अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन हैं और देश की संप्रभुता और स्थिरता पर चोट हैं."
अमेरिका ने हूथी विद्रोहियों के ठिकानों पर हमला कई चरणों में किया. गाजा में जब इस्राएल के साथ संघर्षविराम जनवरी में शुरू हुआ तो उन्होंने हमले बंद कर दिए थे. मंगलवार, 11 मार्च को उन्होंने घोषणा की कि जब तक इस्राएल फल्स्तीनी इलाके की घेराबंदी हटा कर वहां आपूर्ति को बहाल नहीं करता वे हमले चालू रहेंगे.
ट्रंप के बयान में इस्राएल के साथ चल रहे विवाद का जिक्र नहीं है. इसमें कारोबारी जहाजों पर हूथियों के पुराने हमलों का ही जिक्र है. इसी महीने की शुरुआत में अमेरिका ने हूथियों को दोबारा से, "विदेशी आतंकवादी संगठन" के रूप में चिह्नित किया और उनके साथ अमेरिका की किसी तरह की बातचीत पर रोक लगा दी. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इस बारे में रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से भी चर्चा की है. ईरान को रूस का करीबी माना जाता है.
हूथी विद्रोहियों ने सना पर 2014 में कब्जा कर लिया था और वे बाकी बचे हिस्से पर भी नियंत्रण करना चाहते थे लेकिन सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने दखल दे कर उनके अभियान को रोक दिया. इस जंग में यमन की भारी तबाही हुई और यह पहले से ही दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल हो चुका है. 2002 के संघर्षविराम के बाद यहां जंग तो थम गई है लेकिन प्रस्तावित शांति वार्ता अटकी हुई है. इसकी प्रमुख वजह है हूथी विद्रोहियों को इस्राएल और इस्राएल से जुड़े जहाजों पर हमला करना.
एनआर/एसके (एएफपी)