Hanuman Jayanti 2019: जानिए क्यों बाल ब्रह्मचारी होते हुए भी हनुमान जी को करना पड़ा विवाह, सूर्य पुत्री से हुई थी उनकी शादी
हनुमान जयंती 2019 (File Image)

Happy Hanuman Jayanti 2019: पवनपुत्र हनुमान (Hanuman) के संदर्भ में मान्यता है कि वह अपने भक्तों पर जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, जरा-सी चूक होने पर रुष्ठ भी जल्दी हो जाते हैं. इसलिए उनकी पूजा-अर्चना करते हुए पूजा की हर प्रक्रिया पर बहुत ध्यान देना पड़ता है. हनुमान जी के व्यक्तित्व को लेकर अक्सर मन में सवाल उठता है कि क्या वे वाकई बाल ब्रह्मचारी (Bal Brahmachari) थे, अगर हां, तो फिर उन्हें सिंदूर से इतना प्रेम क्यों था? बचपन में मारुति (Maruti) के नाम से लोकप्रिय होने वाले अचानक हनुमान कैसे बन गये? आइये जानें क्या रहस्य था इन सवालों के पीछे..

19 अप्रैल को सारा देश हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) मनाने की तैयारी कर रहा है. इस अवसर पर जहां सभी हनुमान मंदिर सजाये जा चुके हैं, वहीं जगह-जगह भोग भी लगाये जा रहे हैं. कहा जाता है कि जिस भक्त की मन्नत पूरी होती है, वह भी इस भोग का आयोजन करता है. हनुमान जयंती के इस विशेष अवसर पर आइये जानते हैं बजरंगबली से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक बातों के बारे में जिनके बारे में कम लोगों को ही ज्ञात होगा.. यह भी पढ़ें: Happy Hanuman Jayanti 2019: सदियों पूर्व ‘हनुमान चालीसा’ में दर्ज थी सूरज से पृथ्वी की दूरी!

कैसे बनें मारुति से हनुमान?

कहा जाता है कि एक दिन जब मारुति बहुत छोटे से थे, घर में अकेले थे. उन्हें बहुत तेज भूख लगी. उन्होंने आकाश में सुर्ख लाल रंग के चमकते सूर्य को कोई फल समझा और उसे खाने के लिए सूर्य के पास पहुंच गये. जैसे ही मारुति ने सूर्य को खाने के लिए अपना मुंह खोला, सूर्य की रक्षार्थ इंद्र देव ने उन पर अपने वज्र से प्रहार किया. वज्र का प्रहार मारुति की हनु यानी ठोड़ी पर लगा. व्रज के प्रहार से बाल मारुति बेसुध होकर गिर पड़े. कहा जाता है कि इसके बाद से ही उनका नाम मारुति से हनुमान हो गया.

बाल ब्रह्मचारी नहीं थे पवन पुत्र

कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा करने समय स्त्रियों को उनकी मूर्ति अथवा फोटो को स्पर्श नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह ब्रह्मचारी थे. लेकिन कहा जाता है कि हनुमान जी को कुछ विद्याएं सीखने के लिए विवाह करना पड़ा था. शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य भगवान को अपना गुरु बनाया था. हनुमान जी सूर्य भगवान से उनके सभी सात विद्याएं सीख रहे थे. हनुमान जी जब पहली पांच विद्याएं सीख लीं तो सूर्य भगवान ने उनसे कहा कि वह छठी और सातवीं विद्याएं नहीं सिखा सकते.

हनुमान जी ने जब इसका कारण पूछा तो सूर्य देव ने बताया कि यह विद्या केवल विवाहित पुरुष ही सीख सकता है. तुम शादी करोगे तो इसके बाद ही मैं तुम्हें ये विद्याएं सिखा सकता हूं. हनुमान जी ने सूर्य देव से कहा कि कुछ ऐसा करें कि मेरा ब्रह्मचर्य भी न टूटे और मैं अंतिम विद्याएं भी सीख लूं. सूर्य देव ने अपनी पुत्री सुवर्चला से हनुमान जी की शादी करवा दी. सुवर्चला तपस्वी थीं, शादी के पश्चात वे पुनः तपस्या में लीन हो गयी. सूर्य भगवान ने इस दौरान हनुमान जी को शेष विद्याएं भी सिखा दीं. इस तरह हनुमान जी सूर्य देव से सारी विद्याएं भी सीख लीं और उनका ब्रह्मचर्य भी खंडित नहीं हुआ. यह भी पढ़ें: Happy Hanuman Jayanti 2019 Messages and Wishes: बजरंगबली के भक्तों को भेजें ये शानदार कोट्स, भक्तिमय मैसेजेस और दें हनुमान जयंती की शुभकामनाएं

हनुमान जी को सिंदूर से क्यों था प्रेम?

हर हनुमान भक्त को ज्ञात है कि हनुमान जी को सिंदूर बहुत पसंद है. जो भक्त उन्हें सिंदूर चढाता है, उस पर हनुमान जी बहुत प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि ब्रह्मचारी होकर भी उन्हें सिंदूर से प्यार क्यों हुआ. एक दिन हनुमान जी ने सीता जी को अपनी मांग में सिंदूर लगाते देखा तो उन्होंने कौतूहलवश पूछा, हे माँ आप सिंदूर बालों में क्यों लगाती हैं? तब सीता जी ने कहा, ऐसा करने से प्रभु राम की आयु बढ़ती है और वे बहुत खुश रहते हैं. यह सुनते ही हनुमान जी ने अपने प्रभु श्रीराम की दीर्घायु के लिए अपने पूरे शरीर में सिंदूर लपेट लिया.

श्रीराम ने जब हनुमान जी को इस रूप में देखा तो हैरान होकर पूछा, उन्होंने ऐसा क्यों किया तब हनुमान जी ने सीता जी द्वारा बताई बात प्रभु श्रीराम को कह दिया. हनुमान जी की अपने प्रति इस भक्ति को देखकर श्रीराम जी के मन में हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और प्रेम और ज्यादा बढ़ गया. यही वजह है कि जब कोई हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाता है तो हनुमान जी के साथ-साथ श्रीराम जी भी बहुत खुश होते हैं.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.