Happy Hanuman Jayanti 2019: सदियों से विभिन्न धार्मिक ग्रंथ विज्ञान को चुनौती देते आ रहे हैं. ग्रंथों में लिखे तथ्य आज भी लोगों को चौंका देते हैं. हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) 16वीं शताब्दी में तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में लिखी गई थी. इन चालीस चौपाइयों में बजरंग बली की जीवन गाथा का वर्णन है. हनुमान चालीसा की 18 वीं चौपाई में धरती और सूरज की बीच की दूरी का वर्णन किया गया है. संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा हनुमान भक्तों के लिए एक अमोघ ब्रह्मास्त्र ही नहीं बल्कि यह भी दर्शाती है कि यह विज्ञान से कितनी आगे की कहानी है. यह चालीसा हनुमान जी के लिए एक आदर्श है, जिसने उन्हें रामायण में एक विशिष्ठ स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
हनुमान चालीसा के रूप में इस पौराणिक काव्य की चौपाइयां भू-विज्ञान के उस रहस्य को उजागर करता है, जो किसी भी वैज्ञानिक को हैरत में डाल देता है, और प्रमाणित करता है कि हिंदू वेद पुराण में उल्लेखित तथ्य महज कपोल कथा नहीं बल्कि प्रमाणित सत्य हैं, जिसे आज का विज्ञान भी मानता है. हनुमान चालीसा की एक पंक्ति में दर्शाया गया है कि पृथ्वी की कक्षा और सूर्य के बीच की दूरी क्या है. हनुमान चालीसा की अठारहवीं चौपाई, में गोस्वामी तुलसीदास जी ने पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी को स्पष्ट रूप से लिखा है. अब तक तो हम यही जानते हैं कि सूर्य के चारों और पृथ्वी की कक्षा अंडाकार है, इसीलिए दोनों के बीच की दूरी अलग-अलग बिंदुओं पर अलग-अलग होती है.
हनुमान चालीसा की यह पंक्ति, हमारे ग्रह और हमारी ऊर्जा के स्त्रोत के बीच की अनुमानित दूरी को बताती है. वर्तमान के वैज्ञानिकों के आकलन या गणना के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 147 मिलियन किमी है. यह पृथ्वी की कक्षा में निकटतम बिंदु पर है, जिसे पेरिहेलियन कहते हैं. रिकॉर्ड में दो अपोफेसिस के बीच की सबसे लंबी दूरी 152 मिलियन किमी दर्ज है. दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार इस दूरी का माप सर्वप्रथम 16वीं शताब्दी में जीन रिचर और जियोवानी डोममेनिको कैसिनी ने लिया था.
यहां ध्यान रखने योग्य दिलचस्प बात यह है कि संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसकी गणना मात्र दो पंक्तियों में बड़ी सहजता से कर दी. आप हनुमान चालीसा पढ़ेंगे तो पायेंगे कि इसमें सूर्य और पृथ्वी की दूरी का उल्लेख किया गया है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार महावीर पवनपुत्र एवं शिव के अवतार हनुमान जी ने बचपन में सूर्य को आम का फल मान लिया था. उस समय वह इतने भूखे थे कि सूर्य को आम का फल मानकर उसे खाने के लिए दौड़ पड़े थे.
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तुलसीदास जी की यह चौपाई यही तो दर्शाती है...
"युग-सहस्र-योजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुरा फलं जानु"।
इस पंक्ति का अर्थ यही है कि, "सूर्य सहस्त्र (हज़ार) योजन (दूरी की इकाई) की दूरी पर है. (हिन्दू वैदिक साहित्य के हिसाब से 1 जुग यानि 12000, सहस्र यानि 1000, 1 योजन यानि 8 मील.)
देखें हनुमान चालीसा का वीडियो लिरिक्स के साथ.
इस तरह, हनुमान चालीसा सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को स्पष्ट रूप से बताता है. वैज्ञानिकों द्वारा नापे जाने से लगभग दो सौ साल पूर्व ही संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में सूर्य और पृथ्वी की दूरी दर्ज कर दी थी.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की अपनी निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.