अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने 2024 की अपनी आठवीं और अंतिम मौद्रिक नीति का फैसला बुधवार, 18 दिसंबर 2024 को दो दिवसीय फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक के बाद किया. व्यापक रूप से अनुमानित इस फैसले में, फेड ने बेंचमार्क ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25%) की कटौती की और इसे 4.25% से 4.50% के लक्ष्य सीमा तक पहुंचा दिया. यह इस साल की लगातार तीसरी दर कटौती है और बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप है.
जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति अभी भी "कुछ हद तक ऊंची" बनी हुई है. फेड ने संकेत दिया कि 2025 में केवल दो दर कटौतियां की जाएंगी, जो यह दर्शाती है कि केंद्रीय बैंक अब सावधानी से कदम उठा रहा है.
सितंबर की बैठक के प्रमुख निर्णय
यह निर्णय सितंबर 2024 की बैठक के बाद आया है, जिसमें फेड ने चार वर्षों में पहली बार 50 बेसिस पॉइंट्स की बड़ी कटौती की थी. उस समय, बेंचमार्क दर को 4.75% से 5.00% के दायरे में लाया गया था. यह कदम नीति निर्माताओं के मुद्रास्फीति को 2% के दीर्घकालिक लक्ष्य तक लाने में प्रगति के प्रति विश्वास को दर्शाता है.
मुद्रास्फीति के खिलाफ फेड की रणनीति
मार्च 2022 से, फेड ने चार दशकों में सबसे गंभीर मुद्रास्फीति का सामना करते हुए आक्रामक रूप से दरें बढ़ाईं. 15 महीनों के दौरान, केंद्रीय बैंक ने दरों में 525 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की, जो जुलाई 2023 में 5.25% से 5.50% की उच्चतम सीमा तक पहुंच गई. हालांकि, जुलाई 2023 के बाद से, फेड ने मुद्रास्फीति में प्रगति का आकलन करने के लिए दरों को स्थिर रखा है, ताकि आर्थिक स्थिरता को प्रभावित किए बिना मुद्रास्फीति को 2% के लक्ष्य तक लाया जा सके.
संतुलन बनाने की कोशिश
फेड के इस सावधानीपूर्वक दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि वह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखने के बीच एक संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय का असर अमेरिकी शेयर बाजार, निवेश और वैश्विक आर्थिक नीतियों पर भी पड़ेगा.
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और बाजार की प्रतिक्रिया
फेड की दर कटौती का वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी असर पड़ेगा. इससे उभरते बाजारों में निवेश प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है. भारतीय बाजार और अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं भी इस फैसले पर करीब से नजर रख रही हैं.
फेड के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना प्राथमिकता बनी हुई है, जबकि आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के प्रयास जारी हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में फेड अपनी नीतियों को किस दिशा में ले जाता है.