Chanakya Niti: अनजान शख्स से निजी एवं लाभकारी योजनाएं शेयर करना आपको पहुंचा सकता है नुकसान!
Chanakya Niti

आचार्य चाणक्य का नीतिशास्त्र ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti) के नाम से दुनिया भर में मशहूर है. सैकड़ों साल पुरानी आचार्य की नीतिगत बातें आज भी प्रासंगिक लगती हैं, और काफी हद तक सटीक होती हैं. विद्वान मानते हैं कि आचार्य चाणक्य की नीति के तहत शिक्षाप्रद बातों को गहराई से समझने वाला व्यक्ति अपने रास्ते में आनेवाली सारी समस्याओं का समाधान स्वयं निकाल लेता है.

गौरतलब है कि आचार्य चाणक्य को राजनीति, कूटनीति एवं अर्थ नीति के साथ-साथ जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण नीतियों का भी गहराई तक ज्ञान था. आचार्य चाणक्य की नीतियों के तहत हम यहां जानने की कोशिश करेंगे कि किसी भी व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत भावनाओं अथवा महत्वपूर्ण जानकारियों को किसी अनजान व्यक्ति से शेयर करने से पहले उसे अच्छी तरह जान-समझ लेना चाहिए. आचार्य चाणक्य के निम्न श्लोक कुछ इसी तथ्य को चरितार्थ करते हैं.

मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।

मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य चापि नियोजयेत् ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक का मूल आशय यही है कि किसी भी व्यक्ति को अपने मन के भीतर चल रहे विचारों अथवा लाभगत योजनाओं को किसी से भी साझा करने से पहले अच्छी तरह मनन कर लेना चाहिए, बल्कि अपनी योजनाओं को अपनी किसी बहुमूल्य वस्तुओं की तरह उसकी सुरक्षा करनी चाहिए, क्योंकि अगर आपने अपनी योजना किसी से शेयर की है तो हो सकता है कि आप जब तक योजना को अमल में लायें, वह उसे शुरू करके ना केवल सारा श्रेय और सम्मान हासिल कर ले, बल्कि अवसर पाते ही वह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है.

न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।

कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ।।

आचार्य चाणक्य इस श्लोक के जरिये दर्शाते हैं कि व्यक्ति को अपने दुश्मन पर कभी भी भरोसा या विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह मौका पाते ही बदला लेने से नहीं चूकेगा. चाणक्य मूलतः यही कहना चाहते हैं कि कोई भी सच्चा, व्यक्ति गुस्से में आकर बड़ी आसानी से वह बात कह जात है, उसे यह बात समझ में नहीं आती कि सामने वाला उसके इमोशन, उसके गुस्से में कही सच्ची बात का नाजायज लाभ भी उठा सकता है, उसे बदनाम भी कर सकता है, इसलिए आंख बंद कर हर किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए.