Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नजर में क्या है श्रीराम की मर्यादा और सच्चाई? जानें क्या कहती है चाणक्य नीति?

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में मानव-जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं का वर्णन बड़ी सूक्ष्मता से किया है. चाणक्य नीति की गंभीरता और गहराई इसी से परिलक्षित होती है कि सैकड़ों साल बाद आज भी उतनी ही सामयिक लगती है. इस नीति शास्त्र में धन, दुख, सुख, स्वभाव, शिक्षा, जीवन, व्यापार, माता-पिता, दोस्त व परिवार आदि से जुड़ी तमाम बातों का बड़ा ही सटीक वर्णन किया गया है. हालांकि चाणक्य नीतियों का पालन करना कठिन है, लेकिन जिसने भी इन नीतियों को अपना लिया, उसे असफलता का कम ही सामना करना पड़ता है. आचार्य ने निम्न श्लोक में प्रभु श्रीराम के बारे में कई बातें लिखी हैं. आइये देखते हैं... यह भी पढ़ें : Shahu Maharaj Jayanti 2025: जब बच्चों को स्कूल नहीं भेजने वाले माता-पिता के लिए बना यह अनोखा कानून! जानें शाहू महाराज के बारे में कुछ रोचक फैक्ट!

धर्मे तत्परता मुखे मधुरता दाने समुत्साहता,

मित्रेऽवञ्चकता गुरौ विनयता चित्तेऽपि गम्भीरता।

आचारे शुचिता गुणे रसिकता शास्त्रेषु विज्ञावृता,

रूपे सुन्दरता शिवे भजनता त्वय्यस्ति भो राघव ।।

अर्थात धर्म में तत्परता, मुख में मधुरता, दान में उत्साह, मित्रों के साथ निष्कपटता, गुरु के प्रति विनम्रता, चित्त में गम्भीरता, आचरण में पवित्रता, शास्त्रों का विशेष ज्ञान, रूप में सुंदरता तथा भगवान शिव के प्रति सच्ची भक्ति.. हे राघव हे प्रभु श्रीराम यह सारे गुण केवल आपमें ही हैं.

उपरोक्त श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य यहां कहना चाह रहे हैं, हे प्रभु श्रीराम, आप धर्म का बड़ी तत्परता से पालन करते हैं. आपके कमल समान मुख पर एक अनूठी मधुरता है. दान-पुण्य में आपकी अत्यधिक रुचि है. आप मित्रों के लिए निष्कपट हैं, गुरुजनों के लिए विनम्र हैं, आपका हृदय अत्यंत गंभीर है. आपका आचरण पवित्र है, आप गुणी व्यक्तियों का आदर करते हैं तथा सभी शास्त्रों-विद्याओं का आपको विशेष ज्ञान है. आपकी सुंदरता का वर्णन करने में कोई भी सक्षम नहीं हो सकता. भगवान शिव में आपकी भक्ति अटूट है! इतने सारे गुण प्रभु श्रीराम आप में ही पाये जा सकते हैं.