Toolkit के आरोपियों पर कसा कानूनी शिकंजा, दिशा रवि की करीबी निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी
किसान आंदोलन (File Photo)

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) की आड़ में भारत की छवि धूमिल करने वाले लोगों के खिलाफ क़ानूनी शिकंजा कसता जा रहा है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि बीते 26 जनवरी को हुई दिल्ली हिंसा से संबंधित 'टूलकिट' मामले में निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है. निकिता जैकब 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की करीबी बताई जा रही है. दिशा को शनिवार को बेंगलुरु के सोलादेवनहल्ली इलाके में उसके घर से गिरफ्तार किया गया था. Greta Thunberg Toolkit Case: दिशा रवि की गिरफ्तारी पर बोले कांग्रेस नेता शशि थरूर, एक्टिविस्ट जेल में, टेररिस्ट बेल पर

दिल्ली पुलिस ने रविवार को बताया कि साइबर क्राइम सेल द्वारा गिरफ्तार की गई दिशा रवि 'टूलकिट' गूगल डॉक की संपादक हैं और दस्तावेज तैयार करने एवं इसके प्रसार में एक प्रमुख साजिशकर्ता हैं. दिशा ने व्हाट्सएप ग्रुप शुरू किया और दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिए सहयोग किया. इसी टूलकिट को अंतर्राष्ट्रीय जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी साझा किया था. 'फ्राइडे फॉर फ्यूचर' अभियान के संस्थापकों में से एक दिशा को पांच दिन की हिरासत में भेज दिया गया है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक इस प्रक्रिया में उन्होंने भारत के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए खालिस्तानी पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ सहयोग किया. दिशा ने ही ग्रेटा थनबर्ग के साथ टूलकिट डॉक साझा किया था. हालांकि रविवार को कोर्ट में पेशी के दौरान दिशा रो पड़ी और मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को बताया कि उसने 'टूलकिट' नहीं बनाई है. उसने 3 फरवरी को केवल दो लाइनें संपादित की.

बहरहाल, दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि आपत्तिजनक विवरण गलती से पब्लिक डोमेन में लीक हो जाने के बाद ग्रेटा से मुख्य दस्तावेज हटाने के लिए कहा गया था. यह दो पंक्तियों के संपादन से कहीं ज्यादा है, जिसका वह दावा करती है.

पुलिस के अनुसार, किसानों के विरोध के दौरान की घटनाएं और 26 जनवरी को लालकिले के पास हिंसा - ये सारी घटनाएं ठीक उसी तरह से हुईं जैसे कि कथित तौर पर 'टूलकिट' में विस्तृत 'एक्शन प्लान' का जिक्र था. जिस वजह से दिल्ली पुलिस ने टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए, 120-ए और 153-ए के तहत राजद्रोह, आपराधिक षड्यंत्र और घृणा को बढ़ावा देने के आरोप में 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी. पुलिस ने कहा कि इसे बनाने वालों की मंशा विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच असहमति पैदा करने और केंद्र सरकार के खिलाफ असहमति को प्रोत्साहित करना था और इसका उद्देश्य भारत के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ना है.