1948 में भारतीय संविधान के लागू होने के बाद 14 सितंबर 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसी आधार पर हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार और विदेशों में हिंदी को एक सशक्त भाषा के तौर पर स्थापित करने के लिए 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में 30 देशों ने हिस्सा लिया था. सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे मॉरिशस के प्रधानमंत्री श्री शिवसागर रामगुलाम (Shree Seewoosagur Ramgoolam).
सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य था संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा (United Nation Hindi Language) को आधिकारिक भाषा का स्थान दिलाना. माना जाता है कि उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने पर सन 2006 में नयी दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की औपचारिक घोषणा की. उन्होंने बताया कि इससे विदेशों में हिंदी भाषा के प्रति जागरुकता पैदा करने, अप्रवासी हिंदी भाषियों को देश से जोड़ने और हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के तौर पर प्रचारित-प्रसारित करने में मदद मिलेगी.
इस विशेष दिवस को रोचक बनाने के लिए विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में विशेष रंगारंग कार्यक्रम और हिंदी विषयों पर गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं. जिसमें भारी संख्या में हिंदीभाषी भाग लेते हैं. आज विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में एक है हिंदी भाषा. सूत्रों के अनुसार विश्व के कई विश्व विद्यालयों में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ायी जाती है और अप्रवासी भारतीय रुचि के साथ हिंदी पढ़ना पसंद करते हैं.
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विश्व हिंदी दिवस की सार्थकता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड (New Zealand), संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates), युगांडा (Uganda), गुयाना (Guyana), सूरीनाम (Suriname), म़ॉरिशस साउथ अफ्रीका (Moreish South Africa), पाकिस्तान (Pakistan), नेपाल (Nepal) और बांग्लादेश (Bangladesh) में भी हिंदी भाषा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है. विश्व भर में हिंदी सिनेमा और हिंदी टीवी चैनल के दर्शकों की संख्या भी लगातार बढ़ी है.