
जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स पांच जून को वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में रूस-यूक्रेन युद्ध, गाजा-इस्राएल, व्यापार नीतियों जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की संभावना है.जर्मनी के चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स पांच जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात वाइट हाउस, वॉशिंगटन में होगी. इस बात की पुष्टि जर्मन अधिकारियों और वाइट हाउस की तरफ से की गई है. चांसलर बनने के बाद मैर्त्स का यह पहला अमेरिकी दौरा होगा. स्थानीय मीडिया के मुताबिक इस मुलाकात के बाद मैर्त्स और ट्रंप एक आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. मैर्त्स को वाइट हाउस के पास ब्लेयर हाउस में ठहराया जाएगा, जो कि एक खास तरह का सम्मान है.
हालांकि, मुलाकात से पहले दोनों ही नेताओं की कई बार फोन पर बात हो चुकी है. इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात कई साल पहले न्यूयॉर्क में हुई थी. मैर्त्स से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, ब्रिटिश प्रधामंत्री कीएर स्टार्मर जैसे कई यूरोपीय नेता ट्रंप से मुलाकात कर चुके हैं.
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किन मुद्दों पर चर्चा की संभावना
बतौर चांसलर मैर्त्स का पहला अमेरिकी दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब रूस यूक्रेन युद्ध, गाजा में जारी इस्राएल की कार्रवाई, ट्रंप के टैरिफ और ट्रेड वॉर जैसे कई गंभीर मुद्दे मौजूद हैं. समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टेफान कॉरनिलूओस ने बताया कि दोनों देशों के नेताओं के बीच जर्मनी और अमेरिका के आपसी रिश्ते, मध्य पूर्व की स्थिति, यूक्रेन के खिलाफ जारी रूस के आक्रमण और व्यापार नीतियों जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है.
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टैरिफ वॉर के बीच कितनी सफल होगी मैर्त्स और ट्रंप की बातचीत
राष्ट्रपति बनने के बाद डॉनल्ड ट्रंप आए दिन नए नए ट्रैरिफ लगाकर और मौजूदा व्यापार नीतियों में बदलाव कर दूसरे देशों को चौंकाते रहे हैं. उनके इन कदमों का असर यूरोप पर भी देखा गया है. ट्रंप ने अपने यूरोपीय समकक्षों पर अलग अलग टैरिफों की झड़ी लगा दी है. साथ ही सुरक्षा पर खर्च को लेकर भी वह आए दिन यूरोपीय देशों को निशाना बनाते रहे हैं.
बीते हफ्ते डब्ल्यूडीआर यूरोपाफोरम कॉन्फ्रेंस में मैर्त्स ने कहा था कि अगर व्यापार विवाद इसी तरह जारी रहता है तो यूरोपीय संघ अमेरिकी टेक कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर जवाब दे सकता है. उन्होंने यह भी कहा था, "हमें बिना सोचे समझे और जल्दबाजी में कई कदम नहीं उठाना चाहिए लेकिन अगर हम कुछ और नहीं कर पाए तो इस टूल का इस्तेमाल करना ही होगा." माना जा रहा है कि मैर्त्स इस मुलाकात के दौरान यूरोपीय संघ पर ट्रंप के टैरिफों को लेकर जरूर चर्चा करेंगे.
यूक्रेन-रूस युद्ध भी इस मुलाकात का अहम हिस्सा होगा. यूरोप में मैर्त्स, यूक्रेन के लिए समर्थन जुटाने में नेतृत्व की भूमिका में है. हाल ही में मैर्त्स सरकार ने कहा था कि जर्मनी, यूक्रेन को लंबी दूरी तक निशाना बनाने वाली मिसाइलें देगा. हालांकि, बीते हफ्ते बर्लिन में जेलेंस्की के साथ हुई बैठक के दौरान मैर्त्स ने इस पर कोई आधिकारिक एलान नहीं किया.
ट्रंप के साथ होने वाली मुलाकात में जर्मनी की कोशिश रहेगी कि वह यूक्रेन के मुद्दे को इस बातचीत का हिस्सा बना सके. इससे पहले, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन के शीर्ष नेताओं ने सीजफायर को लेकर ट्रंप से फोन पर बातचीत भी की थी.
यूक्रेन पर ट्रंप के स्थायी रुख को भांपना भी एक चुनौती के जैसा है. बीते हफ्ते ट्रंप ने भी कहा था सीजफायर को नजरअंदाज कर, पुतिन आग से खेल रहे हैं. ट्रंप और पुतिन की फोन पर हुई बातचीत के बाद भी ट्रंप ने कहा था कि रूस चाहता है कि एक बार जब यह खून खराबा बंद हो जाएगा तो रूस, अमेरिका के साथ बड़े स्तर पर व्यापार करने की इच्छा रखता है. हालांकि, इस दौरान यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि रूस पूरी तरह पागल हो गया है.
तनाव के बीच रिश्तों को संतुलित करने की कोशिश
टैरिफ और युद्ध के साथ साथ जर्मन राजनीति में अमेरिकी दखल भी काफी चर्चा में रहा है. जर्मन चुनावों के दौरान अमेरिकी नेताओं के दखल पर मैर्त्स कड़ी प्रतिक्रिया दे चुके हैं. जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के खिलाफ हुई कार्रवाई की इलॉन मस्क, मार्को रूबियो और जेडी वैन्स ने आलोचना की थी. इसके बाद मैर्त्स ने कहा था कि हाल के कुछ सालों में जर्मनी ने अमेरिकी चुनावों से खुद को दूर रखा है. साथ ही किसी भी अमेरिकी उम्मीदवार का पक्ष भी नहीं लिया. उन्होंने अमेरिका को भी ऐसा करने की सलाह दी थी.