
Mahesh Navami 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी मनाया जाता है. इस अवसर पर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार युधिष्ठर सम्वत 9 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष नवमी को भगवान महेश (शिवजी) तथा आदिशक्ति माता पार्वती ने ऋषियों के श्राप से शिला बन चुके 72 क्षत्रिय को श्राप मुक्त किया, और उन्हें पुनर्जन्म प्रदान करते हुए कहा कि आज से तुम्हारे वंश पर हमारी पहचान रहेगी, और तुम माहेश्वरी कहलाओगे. इस तरह माहेश्वरी समाज का उद्भव हुआ. इसलिए भगवान शिव एवं देवी पार्वती को माहेश्वरी समाज का संस्थापक माना जाता है. इस दिन माहेश्वरी समाज द्वारा प्रभात फेरी में कीर्तन भजन के साथ शोभा-यात्रा निकाली जाती है, शिव मंदिरों में भगवान शिव की महाआरती का आयोजन किया जाता है. आइए जानते हैं महेश नवमी का महत्व, मूल तिथि, पूजा मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि आदि के बारे में विस्तार से.. यह भी पढ़ें: Ganga Dussehra 2025: गंगा में डुबकियां क्यों लगाते हैं श्रद्धालु? जानें गंगा दशहरा पर स्नान एवं दान-धर्म का विशेष शुभ मुहूर्त!
महेश नवमी का महत्व
महेश नवमी के दिनः माहेश्वरी समाज एवं शेष सनातनी भी इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि ऐसा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, परिवार में सुख-शांति एवं ऐश्वर्य बना रहता है. निसंतानों को संतान प्राप्त होती है. इसके साथ ही इस दिन शिवजी के विशेष अनुष्ठान से नकारात्मक शक्तियां क्षीण होती हैं, आर्थिक अभाव खत्म होता है.
महेश नवमी 2025 मूल तिथि एवं पूजा-मुहूर्त
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष नवमी प्रारंभः 09.56 PM (03 जून 2025, मंगलवार)
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष नवमी समाप्त: 11.54 PM 04 जून 2025, बुधवार)
उदया तिथि के कारण महेश नवमी का पर्व 04 जून 2025 को मनाया जाएगा.
इस दिन बन रहे विशेष योग
रवि योगः पूरे दिन रवि योग रहेगा. इस योग में भगवान शिव की पूजा से शारीरिक एवं मानसिक कष्ट दूर होता है. कारोबार एवं नौकरी में सफलता मिलती है.
शिववास योगः पूरे दिन दुर्लभ शिववास योग रहेगा. अर्थात शिवजी कैलाश पर होंगे, ऐसे में शिवजी की पूजा-अभिषेक से जातक को सौभाग्य प्राप्त होता है. जीवन में चल रहे कष्ट दूर होते हैं.
महेश नवमी पूजा विधि
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव का ध्यान कर महेश नवमी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. मंदिर के आसपास की सफाई करने के पश्चात मंदिर में स्थित भगवान शिव एवं माता पार्वती पर गंगाजल छिड़ककर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. धूप-दीप प्रज्वलित कर निम्न मंत्र का जाप करते हुए पूजा की प्रक्रिया शुरू करें.
‘ॐ नमः शिवाय’
भगवान पर चंदन, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, रोली, सिंदूर (महिलाएं) और मिष्ठान अर्पित करें. भगवान शिव को बेल-पत्र, धतूरा, भांग एवं फल चढ़ाएं. अगर इस दिन रुद्राभिषेक करवाएं, तो अति फलदायक साबित हो सकता है. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती उतारें, और भक्तों को प्रसाद वितरित करें.