Balakot Airstrike Anniversary: 'ऑपरेशन बंदर', 40 शहीदों का बदला, जिसे याद कर आज भी कांप उठता है पाकिस्तान
पाकिस्तान में घुसकर उड़ाया था आतंकियों के ठिकाने ( फोटो क्रेडिट- IANS /Pixabay)

14 फरवरी 2019 दोपहर लगभग 3.30 बजे... सीआरपीएफ की 78 बसों (2500 भारतीय जवानों के साथ) का काफिला नेशनल हाइवे नंबर 44 से गुजर रही थीं. परिवार के साथ छुट्टियां मनाकर लौटे भारतीय जवान परिवार के साथ गुजारे सुखद पलों को एक दूसरे से शेयर कर रहे थे. अचानक तेज धमाकों के साथ हंसते-बतियाते जवानों की क्षत-विक्षत लाशें सड़कों पर बिखर जाती है. आतंकी सरगना का मुखिया जैश-ए-मोहम्मद इस हमले की जिम्मेदारी लेता है. इस खबर से भारतीय प्रधानमंत्री और भारतीयों का खून खौल उठता है. प्रधानमंत्री जनता और जवानों से वादा करते हैं, हम जवानों की शहादत का बदला लेंगे.

लेकिन गुजरते दिनों के साथ भारतवासियों का संयम जवाब देने लगता है.. अचानक एक सुबह खबर मिलती है, भारतीय एयरफोर्स के जवानों ने POK में घुसकर जैश के आतंकी ठिकानों को मटियामेट कर दिया... यह दिन था 26 फरवरी 2019... भारतवंशी सेना के शौर्य से झूम उठते हैं, उधर पाकिस्तान सरकार और जनता के बीच दहशत छा जाती है, आखिर कैसे हुई बदले की यह कामयाब कार्यवाही.. आइये जानते हैं...

ऑपरेशन बंदर

भारतीय सेना हर कीमत पर अपने 40 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए कृतसंकल्प थी. 25 फरवरी की रात बालाकोट के इर्दगिर्द बड़ी खामोशी से एक व्युह रचा गया. गौरतलब है कि पीओके स्थित बालाकोट में ही जैश-ए-मोहम्मद के तमाम आतंकी शिविरों में आतंकी तैयार किये जा रहे थे. पाकिस्तान को भारतीय सेना की कार्यवाही का अंदेशा था. उसने अपनी सेना को हर तरह से चाक-चौबंद कर रखा था, जिसे भेदना आसान नहीं था. लेकिन भारतीय सेना जवाब देने के लिए तत्पर थी.

ऑपरेशन की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मिशन को कोडनेम दिया गया, 'ऑपरेशन बंदर'. इस मिशन की रूपरेखा संभवतया रामायणकाल में हनुमान जी द्वारा विशाल समुद्र लांघकर लंका में प्रवेश कर उसे खाक में मिलाकर सुरक्षित वापस लौटने की घटना से प्रेरित था. भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमान 26 फरवरी की अलसुबह अलग-अलग स्थानों से उड़कर पाकिस्तान के वायुक्षेत्र में घुसे और खैबर पख्तुनवा प्रांत के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर बमवर्षा कर उसे पूरी तरह से तबाह कर दिया. पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए उसने चप्पे-चप्पे पर सेना और मिसाइल तैनात किया हुआ है, उसे भारतीय सेना इतनी आसानी से बर्बाद कर सकती है.

एक अनुमान के मुताबिक भारतीय जवानों के इस जांबाज ऑपरेशन में लगभग 250 से 300 आतंकी मारे गये. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू फाइटर भोर होने से भारतीय सीमा के भीतर पूरी तरह सुरक्षित प्रवेश कर चुके थे. इस मिशन में एक भी भारतीय सेना को खरोच तक नहीं आयी. यह भी पढ़ें:- पुलवामा की पहली बरसी: तीन दशक का सबसे घातक आतंकी हमला! जब 20 साल के आतंकवादी ने ली 40 जवानों की जान.

26 फरवरी को सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैसे पाकिस्‍तान के बालाकोट में वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने तड़के प्रवेश कर आतंकी शिविरों को बर्बाद कर पुलवामा हमले का बदला लिया. ‘ऑपरेशन बंदर’ के जरिये सेना ने न केवल पीओके स्थित आतंकियों के मन में दहशत फैलाई बल्कि पाकिस्तानी को भी इस कदर खौफजदा किया कि आइंदा भारत पर हमला करने से पूर्व उसे सौ बार सोचना होगा.