नयी दिल्ली, 04 अक्टूबर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि भारत की सुरक्षा चिंताएं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा से कहीं आगे तक फैली हुई हैं और इसमें अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा सहित कल्याण के अन्य आयाम भी शामिल हैं. राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के 63वें पाठ्यक्रम संकाय और सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन में मुर्मू से मुलाकात की. उन्हें संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण गतिशील है और कई चुनौतियां खड़ी करता है. उन्होंने कहा, “तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल में किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए हमें पूरी तरह से तैयार रहने की जरूरत है. भूराजनीतिक गतिशीलता ने सुरक्षा परिदृश्य को बदल दिया है.
राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ की आवश्यकता है। हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है बल्कि साइबर युद्ध, प्रौद्योगिकी के जरिए आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी नई सुरक्षा चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है.” राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापक शोध पर आधारित नई जानकारियां और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “ आपको वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नवीन अनुप्रयोगों का पता लगाने की आवश्यकता है. वास्तव में, सरकारी एजेंसियों और कॉर्पोरेट क्षेत्र को इन चुनौतियों की पहचान करने और उनका समाधान करने के लिए सहयोग करने की जरूरत है.”
मुर्मू ने कहा कि जिस तरह से वैश्विक घटनाएं हो रही हैं, उससे ‘आत्मनिर्भर’ होने की अहमियत समझ आ रही है. उन्होंने कहा कि वैश्विक रूप से सक्षम होने और भविष्य की किसी भी स्थिति और संकट से निपटने के लिए तैयार रहने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा, “ आज हमारी सुरक्षा चिंताएं क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से कहीं आगे तक फैली हुई हैं और इसमें अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा सहित कल्याण के अन्य आयाम भी शामिल हैं.” राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र बलों की भूमिका भी पारंपरिक सैन्य मामलों तक ही सीमित नहीं रह गई है.
उन्होंने कहा, “यह साफ है कि जटिल रक्षा और सुरक्षा परिवेश में भविष्य के संघर्षों के लिए अधिक एकीकृत बहु-राज्य और बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी.” मुर्मू ने कहा कि प्रगति और विकास के लिए सुरक्षा जरूरी है. उन्होंने कहा, "किसी राष्ट्र की वास्तविक प्रगति काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने संसाधनों, विशेषकर अपने मानव संसाधन का कितने प्रभावी ढंग से उपयोग करता है." उन्होंने कहा कि एनडीसी पाठ्यक्रम भविष्य के जटिल सुरक्षा माहौल से व्यापक तरीके से निपटने के लिए सैन्य और सिविल सेवा अधिकारियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
उन्होंने कहा कि एनडीसी पाठ्यक्रम अपनी तरह का ऐसा पाठ्यक्रम है जिसमें शासन, प्रौद्योगिकी, इतिहास और अर्थशास्त्र के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति के क्षेत्र शामिल हैं. कार्यक्रम में 27 मित्र देशों के कुल 37 अधिकारी मौजूद थे.
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