
जम्मू, 15 मार्च जम्मू-कश्मीर सरकार ने शनिवार को विधानसभा में बताया कि तीन सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति के लिए कोई विशेष समय-सीमा तय नहीं की गई है।
इस समिति का गठन पिछले साल केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ शिकायतों की जांच करने के लिए किया गया था।
यह जानकारी सामाजिक कल्याण मंत्री सकीना इटू ने सदन में पीपुल्स कांफ्रेंस के विधायक सज्जाद गनी लोन के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
कैबिनेट उप-समिति का गठन इटू की अध्यक्षता में पिछले वर्ष दिसंबर में किया गया था। इस कैबिनेट उप-समिति के सदस्य मंत्री सतीश शर्मा और जावेद राणा हैं।
यह समिति अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद को सौंपने जा रही है।
पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार द्वारा आरक्षित श्रेणी में और अधिक समुदायों को जोड़ने और केंद्र शासित प्रदेश में आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
जम्मू-कश्मीर में आरक्षण 70 प्रतिशत तक बढ़ाने के केंद्र के कदम पर आपत्तियां बढ़ रही हैं।
मंत्री ने लोन के जवाब में कहा, "कैबिनेट उप समिति का गठन सरकारी आदेश संख्या 2061- जेकेजीएडी 2024, दिनांक 10 दिसंबर 2024 के अनुसार आरक्षण नियमों के संबंध में विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों के एक वर्ग द्वारा पेश की गई शिकायतों की जांच करने के लिए किया गया है। हालांकि, रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई विशेष समयसीमा तय नहीं की गई है।"
लोन ने पूछा था कि क्या मौजूदा आरक्षण नीति की समीक्षा करने के लिए समिति को छह महीने की समय अवधि दी गई है।
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