नयी दिल्ली, 31 अगस्त : उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने शनिवार को कहा कि समूची न्यायपालिका लंबित मामलों की समस्या से जूझ रही है तथा इन चुनौतियों से निपटने के लिए जिला न्यायपालिका का कुशल कामकाज महत्वपूर्ण है. यहां जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि आम जनता के लिए न्यायपालिका की छवि जिला अदालत के न्यायाधीशों से बनती है, क्योंकि ज्यादातर नागरिक इन न्यायाधीशों के संपर्क में पक्षकार या गवाह के रूप में आते हैं. इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 के बाद से जिला अदालतों में निपटारा दर में काफी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘आज, पूरी न्यायपालिका लंबित मामलों की समस्या से जूझ रही है. इसलिए, इन चुनौतियों को कम करने के लिए जिला न्यायपालिका का कुशल कामकाज महत्वपूर्ण है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सकारात्मक पक्ष पर नजर डालें तो आंकड़ों से पता चलता है कि जिला अदालतों में 2018 के बाद से निपटारा की दर में काफी वृद्धि हुई है.’’ शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि 2018 में, पुराने मुकदमों समेत दीवानी मामलों के निपटारे की दर 93.15 प्रतिशत थी. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि 2023 में दीवानी मामलों के निपटारे की दर बढ़कर 99.61 प्रतिशत हो गई. उन्होंने कहा कि 2018 में आपराधिक मामलों के निपटारे की दर 86.65 प्रतिशत थी, जो 2023 में बढ़कर 95 प्रतिशत हो जाएगी. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘2023 के आंकड़ों पर करीब से नजर डालने पर दिलचस्प आंकड़े सामने आते हैं. करीब 38.24 प्रतिशत दीवानी मामलों का निपटारा एक साल के भीतर ही कर दिया गया.’’ उन्होंने यह भी कहा कि 71.82 प्रतिशत आपराधिक मामलों का निपटारा एक साल में ही कर दिया गया. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि लगभग 11 राज्यों ने एक साल में आए नए मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटारा करके पुराने मामलों को कम करने का उल्लेखनीय काम किया है. यह भी पढ़ें :शिवसेना के मंत्री की टिप्पणी से उपजे विवाद पर अजित पवार ने कहाः मैं लोगों के लिए काम करता हूं
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि लंबित मामलों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें ट्रैफिक चालान के मामले में लोक अदालतों की मदद लेना और छोटे अपराधों से निपटने के लिए ई-कोर्ट बनाना शामिल है. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रभाव आकलन, न्यायपालिका के सभी स्तरों पर केस प्रबंधन के लिए एक बहुचर्चित रणनीति है, जो न्यायपालिका में मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे का आकलन करने और उसे बढ़ाने में एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘आंकड़ों पर गहराई से गौर करते हुए हम अपनी सफलताओं और कमजोरियों को जान सकते हैं.’’ सम्मेलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश भर से आए लगभग 800 न्यायिक अधिकारियों का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति से बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने न्यायपालिका के प्रति लगातार सम्मान व्यक्त किया है और इसके विकास के लिए अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है.’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका में तकनीक को बढ़ावा दिया है और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता तथा अथक प्रयासों ने जिला न्यायपालिका को अग्रणी स्थान पर ला दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा, प्रधान न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी, उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी सम्मेलन को संबोधित किया. यह दो दिवसीय सम्मेलन उच्चतम न्यायालय ने आयोजित किया है. उच्चतम न्यायालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सितंबर को समापन भाषण देंगी और उच्चतम न्यायालय के झंडे व प्रतीक चिह्न का भी अनावरण करेंगी.