कोरोना Covid-19 महामारी को रोकने के लिए mRNA वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिकों कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीजमैन (Drew Weissman) को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला है. इस वैक्सीन के जरिए इन दोनों वैज्ञानिकों ने दुनियाभर की सोच बदल दी. इनकी खोज की वजह से दुनियाभर के वैज्ञानिक शरीर में होने वाले इम्यून सिस्टम के एक्शन और रिएक्शन को और ज्यादा समझ पाए थे.
एमआरएनए वैक्सीन एक नए प्रकार के टीके हैं जो शरीर की कोशिकाओं को एक प्रोटीन बनाने का तरीका सिखाने के लिए मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) का उपयोग करते हैं जो एक विशिष्ट रोगज़नक़ के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करेगा. एमआरएनए वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी और सुरक्षित हैं, और उन्होंने वैश्विक कोविड-19 टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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The 2023 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Katalin Karikó and Drew Weissman for their discoveries concerning nucleoside base modifications that enabled the development of effective mRNA vaccines against COVID-19. pic.twitter.com/Y62uJDlNMj
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 2, 2023
कारिको और वीसमैन ने 1990 के दशक की शुरुआत में एमआरएनए टीकों पर अपना शोध शुरू किया. रास्ते में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे डटे रहे और उनके काम से अंततः पहले सफल एमआरएनए टीके का विकास हुआ.
2020 में, दुनिया COVID-19 महामारी की चपेट में थी. एमआरएनए टीकों पर कारिको और वीसमैन का काम जल्द ही गहन ध्यान का केंद्र बन गया. फार्मास्युटिकल कंपनियों ने COVID-19 के खिलाफ mRNA टीके विकसित करना शुरू किया और दिसंबर 2020 में, Pfizer और BioNTech द्वारा विकसित पहली mRNA वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई.
तब से, दुनिया भर में अरबों लोगों को एमआरएनए टीके लगाए गए हैं. उन्होंने लाखों लोगों की जान बचाने में मदद की है और COVID-19 महामारी को नियंत्रण में लाने में मदद की है.
एमआरएनए टीकों पर कारिको और वीसमैन का काम बुनियादी विज्ञान अनुसंधान की शक्ति का एक प्रमाण है. उनके काम का दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है और यह उचित है कि उन्हें उनकी अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिए चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.