शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद गणपत सावंत ने वक्फ संशोधन बिल पर सरकार को घेरते हुए तीखे सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पहले "सौगात-ए-मोदी" चला, अब "सौगात-ए-बिल" चल रहा है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार अचानक मुसलमानों के लिए इतनी चिंतित क्यों हो गई. उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग देश की आजादी के लिए कुछ भी नहीं किए, वे आज सरकार चला रहे हैं. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मुसलमानों ने भी आजादी के लिए कुर्बानियां दी थीं और अंडमान की जेलों में यातनाएं सही थीं.सावंत ने कहा कि इस संशोधन से वक्फ बोर्ड में मुस्लिम अल्पसंख्यक हो जाएंगे और पहले से मौजूद महिला आरक्षण के बावजूद सरकार गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करना चाहती है. उन्होंने आशंका जताई कि सरकार इस कदम के जरिए हिंदू मंदिरों के बोर्ड में भी गैर-हिंदुओं को शामिल करने का रास्ता खोल सकती है. उन्होंने चेतावनी दी कि शिवसेना इसका कड़ा विरोध करेगी. उन्होंने सवाल किया कि अगर आज वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को जोड़ा जा रहा है, तो क्या कल सिखों के गुरुद्वारों और ईसाइयों के चर्चों में भी ऐसा किया जाएगा?उन्होंने अनुच्छेद 370 के समर्थन में शिवसेना की भूमिका का जिक्र करते हुए सरकार से पूछा कि कश्मीर में कितने हिंदू वापस बसाए गए. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि हिंदू देवस्थान की जमीनें बेची जा रही हैं, तो क्या सरकार उनके लिए भी कोई कानून लाने जा रही है? सावंत ने भाजपा के 2009 और 2014 के चुनावी घोषणापत्र की याद दिलाते हुए कहा कि पार्टी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से बातचीत कर वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा हटाने की बात कही थी, लेकिन अब वह खुद वक्फ की जमीनों पर नियंत्रण करना चाहती है.उन्होंने सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि यह बिल लाने का असली मकसद कुछ खास उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि सरकार के होंठों पर सच्चाई नहीं है और उसने "बंटेंगे तो कटेंगे" का नारा दिया था, लेकिन अब खुद देश को बांट रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के दिल में नफरत भरी हुई है, जिसे उसे बाहर निकाल देना चाहिए.
जेडीयू सांसद और केंद्र सरकार में पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर चल रहे विरोध को बेबुनियाद करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है कि यह बिल मुसलमान विरोधी है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. वक्फ कोई मुस्लिम संस्था नहीं, बल्कि एक ट्रस्ट है जो मुसलमानों के कल्याण के लिए काम करता है. ऐसे में इस ट्रस्ट को सभी वर्गों के साथ न्याय करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने साफ किया कि यह एक प्रशासनिक निकाय है जो मुसलमानों के हक में काम करता है और इसमें पारदर्शिता लाने के लिए संशोधन किया गया है. ललन सिंह ने कहा कि इस बिल का विरोध दो तरह के लोग कर रहे हैं—एक वे जो केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं और दूसरे वे जिनका वक्फ पर कब्जा था. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने से सच नहीं बदल जाएगा. अगर किसी को मोदीजी का चेहरा पसंद नहीं आता तो वे उन्हें न देखें, लेकिन यह सच्चाई है कि देश की जनता उन्हें पसंद करती है. उन्होंने कहा कि 2013 में किए गए "पाप" को खत्म कर पारदर्शिता लाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार वक्फ को कुछ लोगों के चंगुल से निकालकर आम मुसलमानों के कल्याण के लिए समर्पित कर रही है. इस संशोधन में वक्फ के काम में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की कोई बात नहीं है, बल्कि इसकी आमदनी सही जगह खर्च हो, इस पर नजर रखने के लिए यह बदलाव किया गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इसमें दिक्कत क्या है? क्या कुछ लोग मुसलमानों के कल्याण के ही विरोधी हैं? अंत में, ललन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश को सेक्यूलरिज्म के साथ एक विकसित भारत बनाने की दिशा में आगे ले जा रहे हैं. मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को भी अधिकार दिए हैं और हर तबके के कल्याण के लिए काम कर रही है. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे देश को बांटकर केवल वोट बैंक की राजनीति करना चाहते हैं. उन्होंने वक्फ के मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और किरेन रिजिजू का आभार व्यक्त किया और कहा कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) इस बिल का पूर्ण समर्थन करता है.
वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया है. बोर्ड के महासचिव ने कहा कि इस मुद्दे को संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट दाखिल की. उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में 5 करोड़ ई-मेल इस बिल के खिलाफ होने की बात दर्ज है. उनके अनुसार, संशोधित बिल पहले से भी ज्यादा विवादास्पद हो गया है और इसमें उनकी कोई आपत्ति स्वीकार नहीं की गई. बोर्ड का कहना है कि इस बिल की योजना पहले से बनाई गई थी और इसके जरिए वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार मुस्लिम समुदाय से छीनकर सरकार को दिया जा रहा है. महासचिव ने जेपीसी को “ढोंग” और “फरेब” बताते हुए आरोप लगाया कि इसमें मुस्लिम पक्ष की बातों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता इलियास ने साफ कहा कि यदि यह बिल पारित होता है, तो इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि हर कानूनी विकल्प अपनाया जाएगा और जब तक यह बिल वापस नहीं लिया जाता, तब तक शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने भी इस बिल पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे बाबरी मस्जिद से भी बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि पहले ही 25% वक्फ जमीनों पर कब्जा हो चुका है. जो थोड़ी-बहुत जमीनें बची हैं, उनकी आय से मस्जिदों का रखरखाव और इमामों की तनख्वाह दी जाती है. उन्होंने दावा किया कि इस लड़ाई में कई गैर-मुसलमान भी उनके समर्थन में हैं. अदीब ने इसे भारतीय इतिहास का सबसे "बदतर दिन" बताते हुए हर स्तर पर कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया. बोर्ड के सचिव मदनी ने कहा कि इस बिल से देश का कोई फायदा नहीं होने वाला, बल्कि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों की आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है, जो बेहद खतरनाक है. उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा और देशभर में जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य विरोधी दलों ने इस बिल को लेकर सरकार पर आरोप लगाए हैं, जबकि सरकार का दावा है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए किए जा रहे हैं. अब यह देखना होगा कि सरकार अपने रुख पर कायम रहती है या विरोध के दबाव में कोई बदलाव करती है.
जेपीसी के चेयरमैन रहे जगदंबिका पाल ने वक्फ बिल को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर विपक्ष इस बिल को पढ़ता, तो उसे समझ में आता कि इसमें क्या बदलाव किए गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल तो अपना ही विधेयक फाड़ देते थे और अब बिना समझे इसका विरोध कर रहे हैं. पाल ने यह भी कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने भी वक्फ बिल में संशोधन किए थे, लेकिन वे संशोधन गलत थे. उन्होंने दावा किया कि मौजूदा सरकार कांग्रेस की गलतियों को सुधार रही है और इस बिल का असल लाभ गरीब मुसलमानों को मिलेगा. उन्होंने विपक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग मुस्लिम समुदाय को भ्रमित कर रहे हैं. उनके अनुसार, विपक्षी दल केवल मुसलमानों को वोटबैंक के रूप में देखते हैं, इसलिए इस बिल के खिलाफ चिल्ला रहे हैं. इसके अलावा, पाल ने कहा कि जाकिर नाइक, असदुद्दीन ओवैसी और पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी.
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) संसदीय दल के नेता कल्याण बनर्जी ने इस बिल को पूरी तरह असंवैधानिक करार दिया और इसका कड़ा विरोध किया. कल्याण बनर्जी ने कहा कि बीजेपी इस बिल के जरिए वक्फ संपत्तियों पर राजनीति कर रही है और यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर सीधा प्रहार है. उन्होंने कहा,"यह बिल संविधान के खिलाफ है और संवैधानिक ढांचे पर हमला करता है. हम इसका पूरी तरह से विरोध करते हैं."उन्होंने वक्फ संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय की बैकबोन बताते हुए कहा कि इस्लामिक परंपराओं और संस्कृति से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कल्याण बनर्जी ने 1995 के वक्फ एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि यह कानून इस्लामिक सिद्धांतों के अनुरूप बनाया गया था, लेकिन अब संशोधन के नाम पर मुस्लिमों के अधिकार छीने जा रहे हैं, जो कि पूरी तरह असंवैधानिक है.उन्होंने बिल के हर क्लॉज का विश्लेषण करते हुए यह समझाने की कोशिश की कि यह कैसे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है. कल्याण बनर्जी ने धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाते हुए कहा, "दान करना मेरा अधिकार, सरकार इसमें दखल कैसे दे सकती है?" उन्होंने "मैं हिंदू हूं. मैं मंदिर में दान करूंगा, बौद्ध मठ को दान दूंगा, मस्जिद को दान दूंगा, चर्च को दान दूंगा. सरकार इसमें दखल कैसे दे सकती है?" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार किसी धर्म से जुड़े मामलों को कंट्रोल करने की कोशिश क्यों कर रही है और यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.टीएमसी का रुख: बिल को पूरी तरह से खारिज करने की मांगटीएमसी ने इस बिल को पूरी तरह से खारिज करने की मांग की और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है. उन्होंने केंद्र सरकार पर धार्मिक ध्रुवीकरण और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण की कोशिश का आरोप लगाया.
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली.अखिलेश यादव का तंज: "बीजेपी में मुकाबला चल रहा है कि सबसे खराब हिंदू कौन?"अखिलेश यादव ने चर्चा के दौरान बिल की कुछ बातों से रविशंकर प्रसाद की सहमति जताई, लेकिन साथ ही उन्होंने बीजेपी पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, "जो एक्स-कांग्रेस वाले हैं, वही ज्यादा बोल रहे हैं." अखिलेश ने आगे कहा कि, "इस बिल को जितना समझ पा रहा हूं, मंत्री जी ने कहा कि उम्मीद है. लेकिन यह हिंदी में भी नहीं समझ पा रहा हूं और अंग्रेजी में भी नहीं समझ पा रहा हूं कि 'उम्मीद' है ये यूनिफाइड वक्फ बिल!"उन्होंने बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, "इस पार्टी में मुकाबला चल रहा है कि सबसे खराब हिंदू कौन है!"अखिलेश के कटाक्ष पर गृह मंत्री अमित शाह ने भी हंसते-हंसते जवाब दिया. उन्होंने कहा, "अखिलेश जी ने हंसते-हंसते यह कहा है, मैं भी हंसते-हंसते ही जवाब दे रहा हूं." अमित शाह ने समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा, "आपको तो बस पांच लोगों में से ही अध्यक्ष चुनना है, परिवार से. हमें करोड़ों लोगों में से चुनना होता है, इसलिए समय लगता है!" शाह ने मजाकिया लहजे में यह भी कह दिया, "मैं कहता हूं कि आप अभी 25 साल तक अध्यक्ष बने रहिए."अखिलेश ने सरकार की नीतियों पर उठाए सवालअखिलेश यादव ने वक्फ बिल को सरकार की नाकामी का पर्दा करार दिया और कहा, "नोटबंदी भी एक ऐसा ही फैसला था, जिसमें आधी रात के बाद नोट नहीं चले. आज भी पता नहीं कितने रुपये वापस निकलकर आ रहे हैं."उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा उठाते हुए कहा, "इस बिल की नाकामी पर चर्चा हो रही है, लेकिन किसान की आय दोगुनी करने की नाकामी, महंगाई और बेरोजगारी पर भी चर्चा होनी चाहिए."
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के विरोध को बेबुनियाद और राजनीतिक करार दिया. उन्होंने साफ कहा कि यह कोई धार्मिक मामला नहीं है, बल्कि पारदर्शिता और जनहित से जुड़ा मसला है.विपक्ष पर हमला: "वोटों की सौदागरी अब नहीं चलेगी" रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “वोटों की राजनीति में कांग्रेस की मजबूरी है कि वह इस बिल का विरोध करे. लेकिन अब वोटों की सौदागरी नहीं चलेगी.”उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के असली आदर्श वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेता नहीं हैं, बल्कि सानिया मिर्जा और मोहम्मद शमी जैसे लोग हैं, जिन्होंने मेहनत से अपना नाम बनाया है. वक्फ संपत्तियों पर पारदर्शिता जरूरीरविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन इनमें से कितनी जमीनों का उपयोग जनहित में हुआ? उन्होंने सवाल उठाया कि, "क्या कांग्रेस ने कभी इसका हिसाब मांगा?"उन्होंने पटना के गर्दनीबाग, कोलकाता के फोर्ट विलियम, प्रयागराज और भोपाल जैसी जगहों पर वक्फ के विवादित दावों का जिक्र करते हुए कहा कि, “वक्फ की प्रॉपर्टी लूटी जा रही है. कांग्रेस के ही एक नेता ने स्वीकार किया था कि वक्फ संपत्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है.”मुतवल्लियों पर नियंत्रण क्यों जरूरी?रविशंकर प्रसाद ने वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि, “मुतवल्ली वक्फ संपत्तियों के मैनेजर होते हैं, लेकिन जब इनकी बिल्डरों से सांठगांठ हो जाती है, तो पूरी-की-पूरी बिल्डिंग खड़ी कर दी जाती है. क्या मुतवल्ली पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए?” उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया, "अगर इस बिल में पारदर्शिता लाई जा रही है, वक्फ संपत्तियों को अवैध कब्जे और गड़बड़ियों से बचाया जा रहा है, तो इस बिल का विरोध क्यों?""पूरा देश वक्फ संपत्ति घोषित कर देंगे?"रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “अगर वक्फ संपत्तियों का यही हाल रहा, तो कहीं ये पूरे देश को ही वक्फ प्रॉपर्टी घोषित न कर दें.”
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह संविधान के अनुरूप है और कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है. उन्होंने विपक्ष की दोहरी मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, “एक तरफ विपक्ष कहता है कि संशोधन होना चाहिए और दूसरी तरफ कहता है कि संशोधन नहीं होना चाहिए. दोनों तर्क एक साथ कैसे चल सकते हैं?”संविधान का हवाला देकर विपक्ष को दिया जवाबरविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष इस बिल को असंवैधानिक बता रहा है, जबकि संविधान का अनुच्छेद 15 यह कहता है कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा, और सरकार इस संबंध में कानून बना सकती है. उन्होंने आगे कहा कि, “अगर इस विधेयक में महिलाओं और पिछड़े मुसलमानों को वक्फ प्रबंधन में अवसर देने का प्रावधान किया जा रहा है, तो इसमें परेशानी क्यों हो रही है?”उन्होंने विपक्ष द्वारा संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) का हवाला दिए जाने पर कहा कि, “अगर वक्फ की जमीनों का दुरुपयोग हो रहा है, वे लूटी जा रही हैं या अवैध कब्जे किए जा रहे हैं, तो संविधान का अनुच्छेद 25(2) सरकार को इस पर कानून बनाने का पूरा अधिकार देता है.”गरीब मुसलमानों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार प्रतिबद्धरविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि, “देश में कई पिछड़े मुस्लिम समुदाय के लोग हैं, जिन्हें वक्फ प्रबंधन में अवसर नहीं मिलता. यह विधेयक उन्हें अवसर देने के लिए लाया गया है. विपक्ष संविधान की दुहाई दे रहा है, तो मैं भी उन्हें संविधान से ही जवाब दे रहा हूं.” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता और गरीब मुस्लिमों के हित में लाया गया है.
नई दिल्ली: लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पेश करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि देश में वक्फ संपत्तियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि “पहले वक्फ संपत्तियों की संख्या 4.9 लाख थी, जो अब बढ़कर 8.72 लाख हो गई है.”रिजिजू ने कहा कि “अगर इन 8.72 लाख वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन किया जाता, तो यह न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोगों के जीवन में सुधार लाता, बल्कि पूरे देश की तक़दीर बदल सकता था.”उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए पूछा कि “जब हमारे देश में दुनिया की सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां हैं, तो फिर इसका इस्तेमाल गरीब मुसलमानों की शिक्षा, चिकित्सा, कौशल विकास और आय बढ़ाने के लिए क्यों नहीं किया गया? अब जब मोदी सरकार इस दिशा में काम कर रही है, तो इसका विरोध क्यों हो रहा है?”सरकार का उद्देश्य गरीब मुस्लिमों को लाभ पहुंचानारिजिजू ने जोर देकर कहा कि वक्फ संपत्तियों को चंद लोगों के हाथों में केंद्रित करने के बजाय इसका उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए, जिससे गरीब मुस्लिमों को वास्तविक लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह संशोधन लेकर आई है ताकि इन संपत्तियों का सदुपयोग हो सके.
नई दिल्ली: लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर चर्चा के दौरान केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह बिल वक्फ संपत्तियों से जुड़े पुराने विवादों को खत्म करने के लिए लाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए यह सुनिश्चित किया है कि वक्फ संपत्तियां शेड्यूल 5 और शेड्यूल 6 के तहत आने वाले क्षेत्रों में क्रिएट नहीं की जा सकेंगी.रिजिजू ने बताया कि वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन मेंबर होंगे, जिनका एक तय कार्यकाल होगा. अगर किसी को ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतोष हो, तो वह अदालत में अपील कर सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्ति पर अब लिमिटेशन एक्ट लागू होगा, जिससे अनिश्चितकाल तक कानूनी दावों की स्थिति खत्म हो जाएगी.विवादों को कम करने की दिशा में उठाए गए कदमरिजिजू ने कहा कि सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने का जो अधिकार था, उसे हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि “इस प्रावधान का इतना दुरुपयोग हुआ कि लाखों संपत्तियां वक्फ घोषित कर दी गईं, जिससे देशभर में विवाद बढ़े. चर्च के लोग भी इस बिल के पारित होने की मांग कर रहे हैं."उन्होंने हरियाणा से लेकर कर्नाटक तक वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों का जिक्र किया और बताया कि केरल में 600 ईसाई परिवारों की जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया था, जिससे वहां भारी विवाद हुआ.विपक्ष पर तीखा हमलारिजिजू ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि "अगर आप इस बिल का राजनीतिकरण करेंगे तो मुश्किल में फंसने वाले हैं. कांग्रेस के सहयोगी दल भी इस बिल का विरोध करके बड़ी समस्या में पड़ सकते हैं." उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “कहीं ऐसा न हो कि संसद को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाए, इसलिए इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए.”उन्होंने खुद को इस बिल का समर्थक बताते हुए कहा, “मेरी हिम्मत की सराहना कीजिए, मेरे हमराही बनिए. मैंने एक शमा जलाई है हवाओं के खिलाफ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे इतना पुण्य का काम करने के लिए चुना है.”
Lok Sabha Waqf Amendment Bill 2024 Live Updates: लोकसभा में आज वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा और पारित होने की संभावना है, जिससे सदन में तीव्र बहस की उम्मीद है. यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार के उद्देश्य से मौजूदा वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने का प्रस्ताव करता है.
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
वक्फ बोर्डों का पुनर्गठन: विधेयक में वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव है, जिससे बोर्डों की संरचना अधिक समावेशी होगी.
वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण: सभी वक्फ संपत्तियों को छह महीने के भीतर एक केंद्रीय डेटाबेस में पंजीकृत करना अनिवार्य होगा, जिससे पारदर्शिता और निगरानी में सुधार होगा.
वक्फ विवादों का समाधान: जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे यह निर्धारित करें कि विवादित संपत्ति वक्फ है या सरकारी संपत्ति, जिससे विवादों के समाधान में तेजी आएगी.
सदन में संख्या बल का विश्लेषण
लोकसभा में कुल 542 सांसद हैं, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 293 सांसदों के साथ बहुमत में है. तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), जनता दल (यूनाइटेड) [जद(यू)], शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट), और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) जैसे प्रमुख एनडीए सहयोगियों ने अपने सांसदों को सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया है.
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने विधेयक का विरोध करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई दलों के नेताओं ने संसद भवन में बैठक कर संयुक्त रणनीति पर चर्चा की.
विधेयक पर विवाद और आलोचना
विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है. विशेष रूप से, गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने और जिलाधिकारी को विवादित संपत्तियों पर निर्णय लेने का अधिकार देने जैसे प्रावधानों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है. आलोचकों का मानना है कि ये बदलाव वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ा सकते हैं और समुदाय की स्वायत्तता को प्रभावित कर सकते हैं.
वर्तमान स्थिति और आगे की राह
विधेयक पर चर्चा आज दोपहर 12 बजे से शुरू होगी, जिसके लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया गया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सदन में सरकार का पक्ष प्रस्तुत करेंगे और उठाए गए सवालों का जवाब देंगे.
यदि विधेयक लोकसभा में पारित हो जाता है, तो इसे अगले दिन राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा. विधेयक के भविष्य को लेकर राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी बनी हुई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न दल किस प्रकार की रणनीति अपनाते हैं.













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