ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए आतंकी हमले को देश के प्रधानमंत्री ने यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किया गया हमला बताया है. भारत के प्रधानमंत्री ने भी हमले की निंदा की है.ऑस्ट्रेलिया में यहूदी समुदाय के खिलाफ घटनाओं में गाजा युद्ध के बाद तेजी देखी गई है. देश की खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने इसे जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया था. रविवार को सिडनी के बोंडाई बीच पर हनुका समारोह के दौरान हुई गोलीबारी ने उन आशंकाओं को वास्तविक रूप दे दिया, जिनके साथ ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले कई यहूदी पिछले 16 महीनों से जी रहे थे.
रविवार को दो बंदूकधारियों ने सिडनी में उस जगह पर गोलीबारी की, जहां हनुका त्योहार मनाने के लिए यहूदी समुदाय के लोग जमा हुए थे. इस घटना में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई. दो बंदूकधारियों में से एक को मार गिराया गया जबकि दूसरा घायल हो गया और उसे हिरासत में ले लिया गया.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने इसे यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किया गया आतंकी हमला बताया. उन्होंने कहा, "यह ऑस्ट्रेलियाई यहूदियों को निशाना बनाकर किया गया हमला था. यह हनुका त्योहार के पहले दिन हुआ जो अपने धर्म को खुशी से मनाने का दिन होना चाहिए. हमारे देश के दिल पर एंटी सेमीटिज्म और आतंकवाद का एक घिनौना हमला हुआ है. यहूदी ऑस्ट्रेलियाइयों पर हमला हर ऑस्ट्रेलियाई पर हमला है."
दुनियाभर के नेताओं ने इस घटना की निंदा की है, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. ट्विटर पर नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज ऑस्ट्रेलिया के बोंडाई बीच पर यहूदी पर्व हनुक्का के पहले दिन का उत्सव मना रहे लोगों को निशाना बनाकर किए गए इस जघन्य आतंकी हमले की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति भारत के लोगों की ओर से मैं गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. इस दुख की घड़ी में हम ऑस्ट्रेलिया के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं. भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति रखता है और आतंकवाद के हर रूप और अभिव्यक्ति के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करता है."
पहले से थी आशंका
ऐसे हमले की आशंका कुछ लोगों को पहले से ही थी. यह सिलसिला अक्टूबर 2023 में तब शुरू हुआ, जब हमास ने इस्राएल पर हमला किया. उस हमले में करीब 1,200 लोग मारे गए. इसके कुछ ही दिनों बाद सिडनी में एक यहूदी बेकरी के सामने लाल रंग का उल्टा त्रिकोण स्प्रे से बनाया गया. यह ऑस्ट्रेलिया में दर्ज की गई पहली ऐसी यहूदी विरोधी घटना थी, जिसके बाद ऐसी घटनाओं की एक लंबी श्रृंखला सामने आई.
इसके बाद के 16 महीनों में देश भर में आगजनी, फायरबम हमले, दीवारों पर आपत्तिजनक नारे लिखने और नफरत फैलाने वाले भाषणों की घटनाएं बड़ी तादाद में दर्ज की गईं. इन घटनाओं की बढ़ती संख्या के बीच देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि यहूदी विरोध अब उनके लिए जीवन के लिए सबसे प्राथमिक खतरा बन चुका है.
रविवार के हमले ने यहूदी समुदाय की उस आशंका को सच कर दिया, जिसे वे लंबे समय से महसूस कर रहे थे कि अब वे उस देश में भी सुरक्षित नहीं हैं, जिसे वे अपनी सुरक्षा का भरोसेमंद स्थान मानते थे.
यहूदियों की संस्था ऑस्ट्रेलियन ज्यूअरी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सह मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलेक्स रिवचिन ने स्काई न्यूज से कहा कि यह यहूदी समुदाय के सबसे बुरे डर की पुष्टि है. उन्होंने कहा, "यह खतरा लंबे समय से सतह के नीचे पनप रहा था और अब यह वास्तव में सामने आ गया है."
ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या लगभग दो करोड़ सत्तर लाख है, जिसमें करीब एक लाख पचास हजार लोग खुद को यहूदी बताते हैं. यह समुदाय संख्या में छोटा है, लेकिन समाज में गहराई से जुड़ा हुआ है. अनुमान के मुताबिक, इनमें से करीब एक तिहाई लोग सिडनी के पूर्वी उपनगरों में रहते हैं, जिनमें बोंडाई क्षेत्र भी शामिल है.
लगातार बढ़ी घटनाएं
पिछले एक वर्ष से लगातार ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि यहूदी माता पिता अपने बच्चों को डे केयर भेजने से डर रहे हैं. कई यहूदी स्कूलों ने अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की है. इन हालात को देखते हुए सरकार ने पिछले वर्ष यहूदी विरोध से निपटने के लिए अपना पहला विशेष दूत नियुक्त किया था.
सिडनी में हनुका समारोह के पास मौजूद एक व्यक्ति टैरी ने कहा कि यहूदी होना पिछले कुछ वर्षों में बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है. उन्होंने कहा कि शायद एक दिन उन्हें इस्राएल जाना पड़े. उन्होंने इसे विडंबना बताते हुए कहा, "यहूदियों के लिए अब वही दुनिया में एकमात्र सुरक्षित जगह नजर आने लगी है."
एलेक्स रिवचिन के संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि 30 सितंबर तक एक साल में यहूदी विरोधी करीब 1,600 घटनाएं दर्ज की गईं. यह संख्या हमास के हमले और इस्राएल की प्रतिक्रिया से पहले किसी भी वर्ष की तुलना में करीब तीन गुना अधिक है.
इन्हीं घटनाओं में से एक जनवरी में बोंडाई बीच के पास स्थित रिवचिन के पूर्व आवास पर यहूदी विरोधी नारे लिखना भी शामिल थी. रिपोर्ट के अनुसार, अन्य घटनाओं में सिडनी के पूर्वी उप नगरों में स्थित एक चाइल्डकेयर केंद्र पर फायरबम हमला किया जाना और वहां आपत्तिजनक नारों का लिखा पाया जाना भी शामिल है.
इसके अलावा, दो सार्वजनिक अस्पतालों से नर्सों को तब नौकरी से हटा दिया गया, जब एक सोशल मीडिया वीडियो चैट मंच पर वे यह कहते हुए रिकॉर्ड हुए कि वे इस्राएली मरीजों का इलाज करने से इनकार कर देंगे.
सेंट्रल सिडनी सिनेगॉग के रैबाई लेवी वोल्फ ने बोंडाई में कहा कि जो होना था वह अब हो चुका है. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में एक यहूदी होने के नाते हमेशा पीछे मुड़कर देखने की आदत बन गई है.
रविवार की गोलीबारी की घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और जांच जारी है. यहूदी समुदाय के नेताओं और सरकारी अधिकारियों के बयानों से साफ है कि इस मुद्दे को अब राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.













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