हुई खूनी जंग, Viral Video में देखें इस लड़ाई में हुई किसकी जीत">शिकारी जैगुआर और खूंखार मगरमच्छ के बीच हुई खूनी जंग, Viral Video में देखें इस लड़ाई में हुई किसकी जीत
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सरकार के विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सच में पिछड़ों और महिलाओं को अधिकार देना है तो मंदिर ट्रस्टों में 80% स्थान दलितों, पिछड़ों और जनजातियों को दिया जाए. उन्होंने सरकार के पुराने वादों और बयानों का हवाला देते हुए पूछा कि जब वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण हो चुका है, तो अब कागजात मांगकर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है. उन्होंने सरकार पर मुस्लिमों की चिंता के नाम पर हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया और विधेयक वापस लेने की मांग की. उनके बयानों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संजय सिंह तर्कहीन बातें कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उदय प्रताप की पंक्तियों "न तेरा है, न मेरा है, ये हिंदुस्तान सबका है. जो आकर मिल गई इसमें वो नदियां दिखलाई नहीं देतीं, महासागर बनाने में योगदान सबका है." के साथ अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि सरकार को हमेशा जनता का संरक्षक माना गया है, जो सभी नागरिकों का समान रूप से ख्याल रखती है.उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है. संजय सिंह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के हित में यह कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन उनके अनुसार, सच्चाई इससे अलग है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब दोनों सदनों में पार्टी का केवल एक मुस्लिम सांसद है और कई मुस्लिम नेताओं का राजनीतिक करियर खत्म कर दिया गया है, तो फिर यह दावा कैसे किया जा सकता है कि यह समुदाय के हित में है.संजय सिंह ने इस बिल को धार्मिक संपत्तियों पर कब्जे की कोशिश करार दिया और कहा कि यह केवल वक्फ संपत्तियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भविष्य में गुरुद्वारों, चर्चों और मंदिरों की जमीनों को भी प्रभावित कर सकता है. उन्होंने सत्ता पक्ष पर राम मंदिर से जुड़े घोटालों का आरोप भी लगाया और इसे चंदे में भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए तीखी टिप्पणी की.उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और संसद में जोरदार हंगामा हुआ. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने संजय सिंह की टिप्पणियों पर पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाया, जिससे सदन में और अधिक विवाद बढ़ गया.
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सरकार के विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सच में पिछड़ों और महिलाओं को अधिकार देना है तो मंदिर ट्रस्टों में 80% स्थान दलितों, पिछड़ों और जनजातियों को दिया जाए. उन्होंने सरकार के पुराने वादों और बयानों का हवाला देते हुए पूछा कि जब वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण हो चुका है, तो अब कागजात मांगकर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है. उन्होंने सरकार पर मुस्लिमों की चिंता के नाम पर हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया और विधेयक वापस लेने की मांग की. उनके बयानों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संजय सिंह तर्कहीन बातें कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उदय प्रताप की पंक्तियों "न तेरा है, न मेरा है, ये हिंदुस्तान सबका है. जो आकर मिल गई इसमें वो नदियां दिखलाई नहीं देतीं, महासागर बनाने में योगदान सबका है." के साथ अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि सरकार को हमेशा जनता का संरक्षक माना गया है, जो सभी नागरिकों का समान रूप से ख्याल रखती है.उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है. संजय सिंह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के हित में यह कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन उनके अनुसार, सच्चाई इससे अलग है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब दोनों सदनों में पार्टी का केवल एक मुस्लिम सांसद है और कई मुस्लिम नेताओं का राजनीतिक करियर खत्म कर दिया गया है, तो फिर यह दावा कैसे किया जा सकता है कि यह समुदाय के हित में है.संजय सिंह ने इस बिल को धार्मिक संपत्तियों पर कब्जे की कोशिश करार दिया और कहा कि यह केवल वक्फ संपत्तियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भविष्य में गुरुद्वारों, चर्चों और मंदिरों की जमीनों को भी प्रभावित कर सकता है. उन्होंने सत्ता पक्ष पर राम मंदिर से जुड़े घोटालों का आरोप भी लगाया और इसे चंदे में भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए तीखी टिप्पणी की.उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और संसद में जोरदार हंगामा हुआ. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने संजय सिंह की टिप्पणियों पर पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाया, जिससे सदन में और अधिक विवाद बढ़ गया.
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर गर्मागर्म बहस जारी है. कांग्रेस के सांसद डॉक्टर सैयद नसीर हुसैन ने इस बिल का पुरजोर विरोध करते हुए इसे "फेक नैरेटिव पर आधारित" और "बीजेपी के ध्रुवीकरण का टूल" बताया. उन्होंने गृह मंत्री के 1995 के वक्फ बिल और 2013 के संशोधन को लेकर उनकी पूर्व की स्थिति पर सवाल उठाए.कांग्रेस सांसद ने उठाए सवाल
हुसैन ने कहा कि 2013 में वक्फ कानून में संशोधन सच्चर कमेटी और रहमान खान कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किया गया था, और बीजेपी ने भी अपने 2009 के मैनिफेस्टो में इनकी समीक्षा का वादा किया था.
उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि "अगर यह विधेयक किसी समुदाय के तुष्टिकरण के लिए था, तो आपने पहले समर्थन क्यों किया था?"
उन्होंने वक्फ संपत्तियों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर सवाल उठाते हुए कहा, "देश में राजस्व रिकॉर्ड, कानून और अदालतें मौजूद हैं, फिर यह झूठ क्यों फैलाया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपनी घोषित कर सकता है?"
विधेयक को लेकर कांग्रेस का रुख
हुसैन ने कहा कि यह विधेयक "पूरी तरह से एक राजनीतिक एजेंडे के तहत लाया गया है" और इसका उद्देश्य "ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना" है.
उन्होंने बीजेपी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, "आप 10 साल से सत्ता में हैं, फिर भी वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता क्यों नहीं ला पाए?"
उन्होंने आरोप लगाया कि "सेंट्रल वक्फ काउंसिल में सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई है और केवल किरेन रिजिजू का नाम ही वहां नजर आता है."
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि "97% विशेषज्ञों ने इस बिल का विरोध किया, लेकिन फिर भी इसे जबरन पारित करने की कोशिश की गई."
बीजेपी के लिए बड़ा राजनीतिक मुद्दा?
डॉ. हुसैन ने इस विधेयक को "संविधान विरोधी" बताते हुए कहा कि इसे लाकर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि "एक समुदाय को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखा जाएगा."राज्यसभा में इस पर आगे क्या रुख अपनाया जाएगा और सरकार की ओर से क्या जवाब आता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर बोलते हुए कहा कि अब वक्फ किसी संपत्ति पर सीधे कब्जा नहीं कर सकेगा. संपत्ति पर दावा करने के लिए दस्तावेज अनिवार्य होंगे और रजिस्ट्रेशन जरूरी किया गया है.मुख्य बिंदु🔹 आदिवासी क्षेत्रों में किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा। 🔹 वक्फ ट्रिब्यूनल के लिए 5 साल का कार्यकाल निर्धारित किया गया है. 🔹 राइट टू अपील का प्रावधान जोड़ा गया, ताकि ट्रिब्यूनल के बाद कोर्ट में अपील संभव हो. 🔹 यूपीए सरकार के समय ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम था, अब कोर्ट में भी चुनौती दी जा सकेगी. 🔹 वार्षिक सहयोग शुल्क 7% से घटाकर 5% किया गया ताकि ज्यादा धन कल्याणकारी कार्यों में लगे. 🔹 लिमिटेशन एक्ट लागू – प्राइवेट जमीन पर 12 साल, सरकारी जमीन पर 13 साल के भीतर दावा करना होगा.वक्फ बाई यूजर पर बड़ी बातरिजिजू ने कहा कि पहले सिर्फ दावा करने से ही किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता था. अब प्रूफ जरूरी होगा. सेटल केस में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन विवादित मामलों में कोर्ट का अधिकार बना रहेगा.उन्होंने अपील की कि इस बिल का समर्थन करें क्योंकि यह करोड़ों मुसलमानों के हित में है और इससे न्याय व्यवस्था मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि अगर मिलकर काम करें तो तीन-चार साल में करोड़ों मुसलमानों की जिंदगी आबाद हो जाएगी.
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर गर्मागर्म बहस जारी है. कांग्रेस के सांसद डॉक्टर सैयद नसीर हुसैन ने इस बिल का पुरजोर विरोध करते हुए इसे "फेक नैरेटिव पर आधारित" और "बीजेपी के ध्रुवीकरण का टूल" बताया. उन्होंने गृह मंत्री के 1995 के वक्फ बिल और 2013 के संशोधन को लेकर उनकी पूर्व की स्थिति पर सवाल उठाए.कांग्रेस सांसद ने उठाए सवाल
हुसैन ने कहा कि 2013 में वक्फ कानून में संशोधन सच्चर कमेटी और रहमान खान कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किया गया था, और बीजेपी ने भी अपने 2009 के मैनिफेस्टो में इनकी समीक्षा का वादा किया था.
उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि "अगर यह विधेयक किसी समुदाय के तुष्टिकरण के लिए था, तो आपने पहले समर्थन क्यों किया था?"
उन्होंने वक्फ संपत्तियों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर सवाल उठाते हुए कहा, "देश में राजस्व रिकॉर्ड, कानून और अदालतें मौजूद हैं, फिर यह झूठ क्यों फैलाया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपनी घोषित कर सकता है?"
विधेयक को लेकर कांग्रेस का रुख
हुसैन ने कहा कि यह विधेयक "पूरी तरह से एक राजनीतिक एजेंडे के तहत लाया गया है" और इसका उद्देश्य "ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना" है.
उन्होंने बीजेपी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, "आप 10 साल से सत्ता में हैं, फिर भी वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता क्यों नहीं ला पाए?"
उन्होंने आरोप लगाया कि "सेंट्रल वक्फ काउंसिल में सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई है और केवल किरेन रिजिजू का नाम ही वहां नजर आता है."
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि "97% विशेषज्ञों ने इस बिल का विरोध किया, लेकिन फिर भी इसे जबरन पारित करने की कोशिश की गई."
बीजेपी के लिए बड़ा राजनीतिक मुद्दा?
डॉ. हुसैन ने इस विधेयक को "संविधान विरोधी" बताते हुए कहा कि इसे लाकर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि "एक समुदाय को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखा जाएगा."राज्यसभा में इस पर आगे क्या रुख अपनाया जाएगा और सरकार की ओर से क्या जवाब आता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर बोलते हुए कहा कि अब वक्फ किसी संपत्ति पर सीधे कब्जा नहीं कर सकेगा. संपत्ति पर दावा करने के लिए दस्तावेज अनिवार्य होंगे और रजिस्ट्रेशन जरूरी किया गया है.मुख्य बिंदु🔹 आदिवासी क्षेत्रों में किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा। 🔹 वक्फ ट्रिब्यूनल के लिए 5 साल का कार्यकाल निर्धारित किया गया है. 🔹 राइट टू अपील का प्रावधान जोड़ा गया, ताकि ट्रिब्यूनल के बाद कोर्ट में अपील संभव हो. 🔹 यूपीए सरकार के समय ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम था, अब कोर्ट में भी चुनौती दी जा सकेगी. 🔹 वार्षिक सहयोग शुल्क 7% से घटाकर 5% किया गया ताकि ज्यादा धन कल्याणकारी कार्यों में लगे. 🔹 लिमिटेशन एक्ट लागू – प्राइवेट जमीन पर 12 साल, सरकारी जमीन पर 13 साल के भीतर दावा करना होगा.वक्फ बाई यूजर पर बड़ी बातरिजिजू ने कहा कि पहले सिर्फ दावा करने से ही किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता था. अब प्रूफ जरूरी होगा. सेटल केस में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन विवादित मामलों में कोर्ट का अधिकार बना रहेगा.उन्होंने अपील की कि इस बिल का समर्थन करें क्योंकि यह करोड़ों मुसलमानों के हित में है और इससे न्याय व्यवस्था मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि अगर मिलकर काम करें तो तीन-चार साल में करोड़ों मुसलमानों की जिंदगी आबाद हो जाएगी.
किरेन रिजिजू ने कहा कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि हमारे कदमों से मुसलमानों को नुकसान होगा और ये संशोधन अवैध व असंवैधानिक है. सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन लगाए गए आरोपों को हम सिरे से खारिज करते हैं.
उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों में कोई गैर-मुस्लिम हस्तक्षेप नहीं करेगा. मुतवल्ली और वक्फ क्रिएटर केवल मुस्लिम ही होंगे. वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और मजबूत बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित हैं. अगर कोई वक्फ बोर्ड के माध्यम से ट्रस्ट चलाना चाहता है, तो उसे अनुमति दी जाएगी, और जो स्वतंत्र रूप से संचालित करना चाहता है, उसे भी इजाजत होगी.
रिजिजू ने जोर देकर कहा कि हमने पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुधार किए हैं. हमारा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. मुसलमान वक्फ बना सकते हैं, और फितरा व जकात के मामलों में भी किसी तरह का दखल नहीं होगा.
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "... वर्तमान में 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं... 2006 में सच्चर समिति ने 4.9 लाख वक्फ संपत्तियों से 12,000 करोड़ रुपये की आय का अनुमान लगाया था, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अब इनसे कितनी आय हो रही होगी..." इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों से वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का समर्थन करने की अपील की.
Speaking in Rajya Sabha on Waqf Amendment Bill 2025, Union Minister Kiren Rijiju says, "... As of today, there are 8.72 lakh Waqf properties...In 2006, if the Sachar committee had estimated the earnings from 4.9 lakh Waqf properties at Rs 12,000 crore, then you can imagine the… https://t.co/G6SAe5L5it— ANI (@ANI) April 3, 2025
03 Apr, 13:23 (IST) 🔹 वार्षिक सहयोग शुल्क 7% से घटाकर 5% किया गया ताकि ज्यादा धन कल्याणकारी कार्यों में लगे. 🔹 लिमिटेशन एक्ट लागू – प्राइवेट जमीन पर 12 साल, सरकारी जमीन पर 13 साल के भीतर दावा करना होगा.वक्फ बाई यूजर पर बड़ी बातरिजिजू ने कहा कि पहले सिर्फ दावा करने से ही किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता था. अब प्रूफ जरूरी होगा. सेटल केस में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन विवादित मामलों में कोर्ट का अधिकार बना रहेगा.उन्होंने अपील की कि इस बिल का समर्थन करें क्योंकि यह करोड़ों मुसलमानों के हित में है और इससे न्याय व्यवस्था मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि अगर मिलकर काम करें तो तीन-चार साल में करोड़ों मुसलमानों की जिंदगी आबाद हो जाएगी.
किरेन रिजिजू ने कहा कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि हमारे कदमों से मुसलमानों को नुकसान होगा और ये संशोधन अवैध व असंवैधानिक है. सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन लगाए गए आरोपों को हम सिरे से खारिज करते हैं.
उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों में कोई गैर-मुस्लिम हस्तक्षेप नहीं करेगा. मुतवल्ली और वक्फ क्रिएटर केवल मुस्लिम ही होंगे. वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और मजबूत बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित हैं. अगर कोई वक्फ बोर्ड के माध्यम से ट्रस्ट चलाना चाहता है, तो उसे अनुमति दी जाएगी, और जो स्वतंत्र रूप से संचालित करना चाहता है, उसे भी इजाजत होगी.
रिजिजू ने जोर देकर कहा कि हमने पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुधार किए हैं. हमारा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. मुसलमान वक्फ बना सकते हैं, और फितरा व जकात के मामलों में भी किसी तरह का दखल नहीं होगा.
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "... वर्तमान में 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं... 2006 में सच्चर समिति ने 4.9 लाख वक्फ संपत्तियों से 12,000 करोड़ रुपये की आय का अनुमान लगाया था, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अब इनसे कितनी आय हो रही होगी..." इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों से वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का समर्थन करने की अपील की.
Speaking in Rajya Sabha on Waqf Amendment Bill 2025, Union Minister Kiren Rijiju says, "... As of today, there are 8.72 lakh Waqf properties...In 2006, if the Sachar committee had estimated the earnings from 4.9 lakh Waqf properties at Rs 12,000 crore, then you can imagine the… https://t.co/G6SAe5L5it— ANI (@ANI) April 3, 2025
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया. उन्होंने बताया कि यह विधेयक व्यापक चर्चा के बाद तैयार किया गया था और इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था. रिजिजू ने कहा कि वक्फ से जुड़े मामलों पर जितना काम जेपीसी ने किया, उतना किसी अन्य समिति ने नहीं किया. देर रात तक चली चर्चाओं के बाद यह विधेयक सुबह लोकसभा से पारित कर दिया गया. हालांकि, कई सदस्यों ने संशोधनों पर विचार के लिए पर्याप्त समय न मिलने की बात उठाई. बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने तय किया था कि इस पर आज ही चर्चा होगी. अपने संबोधन में रिजिजू ने कांग्रेस शासन के दौरान गठित कमेटियों और सच्चर कमेटी की सिफारिशों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जो कार्य पिछली सरकारें नहीं कर सकीं, उसे करने का साहस उन्होंने दिखाया है और यह विधेयक उसी का प्रमाण है. साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई नया कदम नहीं है, बल्कि इतिहास में पहले भी इस तरह के संशोधन होते रहे हैं.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया. उन्होंने बताया कि यह विधेयक व्यापक चर्चा के बाद तैयार किया गया था और इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था. रिजिजू ने कहा कि वक्फ से जुड़े मामलों पर जितना काम जेपीसी ने किया, उतना किसी अन्य समिति ने नहीं किया. देर रात तक चली चर्चाओं के बाद यह विधेयक सुबह लोकसभा से पारित कर दिया गया. हालांकि, कई सदस्यों ने संशोधनों पर विचार के लिए पर्याप्त समय न मिलने की बात उठाई. बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने तय किया था कि इस पर आज ही चर्चा होगी. अपने संबोधन में रिजिजू ने कांग्रेस शासन के दौरान गठित कमेटियों और सच्चर कमेटी की सिफारिशों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जो कार्य पिछली सरकारें नहीं कर सकीं, उसे करने का साहस उन्होंने दिखाया है और यह विधेयक उसी का प्रमाण है. साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई नया कदम नहीं है, बल्कि इतिहास में पहले भी इस तरह के संशोधन होते रहे हैं.
नई दिल्ली: लोकसभा से संशोधनों के साथ पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को आज राज्यसभा में पेश कर दिया गया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को सदन में रखा, जिस पर आठ घंटे की बहस के लिए समय निर्धारित किया गया है.
विपक्ष का तीखा हमला
लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में भी इस विधेयक को लेकर राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है. कांग्रेस सांसदों ने इस विधेयक को संविधान पर हमला करार दिया. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि यह बिल जबरन पारित किया गया और यह भाजपा की समाज को ध्रुवीकरण की स्थिति में बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है.
राज्यसभा में नंबर गेम पर नजर
राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं, जहां बहुमत के लिए 119 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता है. बीजेपी के पास 98 सांसद हैं, जबकि सहयोगी दलों के समर्थन से उसे बहुमत हासिल करने की उम्मीद है. विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर एकजुट होने के संकेत दिए हैं, जिससे सदन में आज आर-पार की लड़ाई होने की संभावना है.
क्या कहती है सरकार?
सरकार का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक से अल्पसंख्यक समुदायों की संपत्तियों को बेहतर संरक्षण मिलेगा और इससे अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा. किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है.
राज्यसभा में बिल पास होगा या हंगामा बढ़ेगा?
अब सभी की निगाहें राज्यसभा की बहस और वोटिंग पर टिकी हैं. क्या यह विधेयक आसानी से पारित हो जाएगा या विपक्ष की रणनीति के कारण सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा? यह देखना दिलचस्प होगा.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया. उन्होंने बताया कि यह विधेयक व्यापक चर्चा के बाद तैयार किया गया था और इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था. रिजिजू ने कहा कि वक्फ से जुड़े मामलों पर जितना काम जेपीसी ने किया, उतना किसी अन्य समिति ने नहीं किया. देर रात तक चली चर्चाओं के बाद यह विधेयक सुबह लोकसभा से पारित कर दिया गया. हालांकि, कई सदस्यों ने संशोधनों पर विचार के लिए पर्याप्त समय न मिलने की बात उठाई. बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने तय किया था कि इस पर आज ही चर्चा होगी. अपने संबोधन में रिजिजू ने कांग्रेस शासन के दौरान गठित कमेटियों और सच्चर कमेटी की सिफारिशों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जो कार्य पिछली सरकारें नहीं कर सकीं, उसे करने का साहस उन्होंने दिखाया है और यह विधेयक उसी का प्रमाण है. साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई नया कदम नहीं है, बल्कि इतिहास में पहले भी इस तरह के संशोधन होते रहे हैं.
नई दिल्ली: लोकसभा से संशोधनों के साथ पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को आज राज्यसभा में पेश कर दिया गया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को सदन में रखा, जिस पर आठ घंटे की बहस के लिए समय निर्धारित किया गया है.
विपक्ष का तीखा हमला
लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में भी इस विधेयक को लेकर राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है. कांग्रेस सांसदों ने इस विधेयक को संविधान पर हमला करार दिया. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि यह बिल जबरन पारित किया गया और यह भाजपा की समाज को ध्रुवीकरण की स्थिति में बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है.
राज्यसभा में नंबर गेम पर नजर
राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं, जहां बहुमत के लिए 119 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता है. बीजेपी के पास 98 सांसद हैं, जबकि सहयोगी दलों के समर्थन से उसे बहुमत हासिल करने की उम्मीद है. विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर एकजुट होने के संकेत दिए हैं, जिससे सदन में आज आर-पार की लड़ाई होने की संभावना है.
क्या कहती है सरकार?
सरकार का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक से अल्पसंख्यक समुदायों की संपत्तियों को बेहतर संरक्षण मिलेगा और इससे अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा. किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है.
राज्यसभा में बिल पास होगा या हंगामा बढ़ेगा?
अब सभी की निगाहें राज्यसभा की बहस और वोटिंग पर टिकी हैं. क्या यह विधेयक आसानी से पारित हो जाएगा या विपक्ष की रणनीति के कारण सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा? यह देखना दिलचस्प होगा.