SC on Waqf Amendment Act: वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर देशभर में चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए उन पर स्टे लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) और न्यायमूर्ति एजी मसीह (Justice AG Masih) की पीठ ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व का अंतिम अधिकार जिला कलेक्टर (District Collector) को देना न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक वक्फ न्यायाधिकरण (Wakf Tribunal) फैसला नहीं कर लेता, तब तक यह अधिकार किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता. ऐसे प्रावधानों पर रोक लगा दी गई है.
SC ने वक्फ (संशोधन) एक्ट के कुछ फैसलों पर लगाई रोक
Delhi: Reacting to the Supreme Court order putting a stay on key Waqf (Amendment) Act provisions, Advocate Reena N. Singh says, "...In the long term, the Apex Court has placed an interim stay on certain provisions to legally strengthen them. For example, the power previously… pic.twitter.com/zkrJTN6d0O
— IANS (@ians_india) September 15, 2025
'वक्फ बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे'
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य (Non-Muslim Members) नहीं हो सकते और केंद्रीय वक्फ परिषद में चार से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते. साथ ही, अधिनियम के उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी गई है, जिसमें कहा गया था कि कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ कर सकता है.
अप्रैल 2025 में पारित हुआ था वक्फ (संशोधन) कानून
गौरतलब है कि यह कानून संसद से पारित होकर अप्रैल 2025 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद लागू हुआ था. मुस्लिम संगठनों ने इसका व्यापक विरोध दर्ज कराया था. उनका कहना था कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश है. हालांकि, केंद्र ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि संशोधन का उद्देश्य विवादों और अतिक्रमण को रोकना है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताया विरोध
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास (Syed Qasim Rasool Ilyas) ने कहा कि अदालत ने हमारी कई आपत्तियों को स्वीकार कर लिया है और हमें काफी हद तक संतुष्टि मिली है.













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