हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन दुर्घटना दावे के लिए मुआवज़े की गणना करते समय गृहिणी की सेवा का मूल्य अकुशल कर्मचारी की आय के न्यूनतम स्तर के रूप में नहीं लिया जा सकता है. हाई कोर्ट ने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि एक गृहिणी अपने घर का पालन-पोषण करते हुए और अपने पति और बच्चों की देखभाल करते हुए "कई कर्तव्य" निभाती है. कोर्ट ने कहा, "किसी भी मामले में उसकी सेवाओं का मूल्य अकुशल कर्मचारी की आय के न्यूनतम स्तर पर नहीं लिया जा सकता है." पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आगे कहा कि गृहिणी या माँ की सेवाओं के संबंध में एक आर्थिक अनुमान लगाया जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा गृहिणी सहित परिवार की मृत्यु के कारण दिए गए मुआवज़े को बढ़ाने के लिए याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. यह भी पढ़ें: रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने का अधिकार नहीं, वापस जाओ, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वासन पर रोक लगाने से किया इनकार
गृहिणी का योगदान अमूल्य है
MV Act | House Wife's Contribution Invaluable, Her Service Can't Be Taken As Minimum Tier Earning Of Unskilled Worker: Punjab & Haryana HC | @AimanChishti https://t.co/jOtd0Offaf
— Live Law (@LiveLawIndia) May 8, 2025
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