
हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उमा चतुर्थी की पूजा और निर्जला व्रत रखा जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से पूर्वी भारत में बहुत लोकप्रिय है, यह व्रत काफी कुछ उत्तर भारत के लोकप्रिय हरतालिका व्रत के समान है. इस दिन महिलाएं अपने घर-परिवार की सुख, शांति और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखती हैं और देवी पार्वती के साथ भगवान शिव की सच्ची निष्ठा एवं आस्था के साथ पूजा-अनुष्ठान करती हैं. इस वर्ष 30 मई 2025, शुक्रवार को उमा चतुर्थी मनाई जाएगी. आइये जानते हैं, उमा चतुर्थी व्रत कब और कैसे किया जाता है, और इस व्रत से क्या पुण्य-लाभ प्राप्त होता है.
उमा चतुर्थी की मूल तिथि एवं मुहूर्त इत्यादि.
उमा चतुर्थी पूजा तिथि एवं मुहूर्त
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 11.18 PM (29 मई 2025, गुरुवार)
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 09.23 PM (30 मई 2025, शुक्रवार)
क्यों रखा जाता है उमा चतुर्थी का व्रत
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी सती की मृत्यु के आत्मदाह से भगवान शिव के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया. उन्होंने संसार को त्याग दिया. इससे सृष्टि का संचालन असंतुलित हो गया. सृष्टि की रक्षा और जन कल्याण के लिए देवी सती ने हिमराज-पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया. इस जन्म में भी देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. अंततः देवी पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार लिया. उमा चतुर्थी का व्रत देवी पार्वती के उसी तप और दृढ़ निश्चय को समर्पित है, जिसे विवाहित स्त्रियां परिवार की सुख-शांति के लिए रखती हैं. यह भी पढ़ें : Maharana Pratap Jayanti 2025 Wishes: महाराणा प्रताप जयंती पर ये हिंदी Quotes, Facebook Messages और HD Wallpapers शेयर कर दें बधाई
उमा चतुर्थी व्रत एवं पूजा-विधि
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर देवी उमा का ध्यान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अब घर के मंदिर में पूर्व की ओर मुख कर देवी उमा के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें. जल से भरा आम्र पल्लव के साथ कलश रखें. देवी को सफेद पुष्प, सिंदूर, रोली, अक्षत, पान, सुपारी अर्पित करें. इसके साथ ही देवी को चुनरी और सुहाग के सामान भी चढ़ाएं. भोग में फल एवं मिष्ठान तथा सूखे मेवे अर्पित करें.
की विधि-विधान से पूजा करें. निम्न मंत्र का उच्चारण करें.
‘ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः’
देवी पार्वती की आरती उतारें. और प्रसाद वितरित करें. अगले दिन सूर्योदय के पश्चात व्रत का पारण करें.