World Sparrow Day 2019: विश्व गौरैया दिवस आज, इस नन्ही चिड़िया के अस्तित्व को बचाना दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती
विश्व गौरैया दिवस 2019 (Photo Credits: Pixabay)

World Sparrow Day 2019: गांव का चौपाल हो या शहरों की लगातार ऊंची उठती मीनारें, नन्हीं-मुन्नी गौरैया अब कम दिख रही हैं. अधिकांश शहरों में तो यह पक्षी प्रायः लुप्त हो चुकी है. कभी हर घर की सदस्य सी लगने वाली गौरैया (Sparrow) आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है. भारत ही नहीं बल्कि युरोप (Europe) और ब्रिटेन (Britain) में भी यह खत्म होने की कगार पर है. इसकी संरक्षा के लिए ही हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day 2019) का आयोजन किया जाता है, ताकि इनके अस्तित्व को बचाया जा सके.

भारत के प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल, दिल्ली एवं दक्षिण भारतीय भू भाग पर गौरैयों की कम होती संख्या आज सभी के लिए चिंता का सबब बन चुकी है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के सर्वे की बात करें तो आंध्र प्रदेश में गौरैयों की संख्या 80 फीसदी तो केरल, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में करीब 40 प्रतिशत कम हुई

गौरैया और पर्यावरण

‘गौरैया की लगातार कम होती संख्या इस बात का प्रतीक है कि पर्यावरण संतुलन बुरी तरह बिगड़ रहा है.’ यह बात पिछले दिनों देश के वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बताई गयी. गौरैया हमारे पर्यावरण की स्थिति को बताती है. वह घर के कीड़े-मकोड़ों को खत्म करने में मदद करती है. खेतों में भी फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कटवर्म एवं अल्फा कीड़ों का यह भक्षण करती है. पर्यावरण की अनदेखी हमारे लिए भी जीवनघाती हो सकती है, इसलिए भी हमें गौरैया की सुरक्षा एवं संरक्षा जरूर करनी चाहिए.

गौरैया और वास्तु शास्त्र

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घरों में बने गौरैयों के घोसले से कई प्रकार के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं. घर के पूर्वी हिस्से में बना गौरैया का घोसला परिवार के मान-सम्मान को बढ़ाता है. आग्नेय कोण पर घोसला होने से पुत्र का विवाह शीघ्र होता है, जबकि दक्षिण दिशा में बना घोसला अपार धन दिलाता है. दक्षिण पश्चिम दिशा में बना घोसला परिवार के सदस्यों को लंबी उम्र देता है. गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी राजा दशरथ के घर गौरैया के घोसले का वर्णन किया है. हमारे धार्मिक ग्रंथों में कुंती के महल में भी गौरैया का घोसला होने का जिक्र मिलता है.

क्यों हो रही है कम गौरैयों की संख्या?

गौरैयों की कम होती संख्या की कई वजहें हैं. मॉर्डन डिजाइनों वाले मकानों-इमारतों में गौरैयों को घोसला बनाने की जगह नहीं मिलती. अक्सर हम भी उसके घोसले उजाड़ देते हैं. लगातार बढ़ते कंक्रीट के जंगलों के कारण वृक्षों की संख्या कम हो रही है. बबुल, कनेर, बेर, नींबू, अमरूद, मेहंदी, बांस एवं अनार जैसे औसत कद के वृक्ष जहां गौरैया घोसले बनाती है और बच्चे पैदा करती है. लेकिन इन वृक्षों को काट दिये जाने से गौरैयों के पास घोसले बनाने अथवा अपनी प्रजातियों को आगे बढ़ाने के लिये कोई जगह नहीं रह गयी है.

हम इस बात को या तो नजरंदाज करते हैं या फिर हमारी व्यस्तता दफ्तर और व्यवसायों तक सिमट कर रह गयी है. इसके अलावा गांव-शहरों में भारी संख्या में लगे मोबाइल टॉवर भी इनके कम होने का प्रमुख कारण हैं. इन टॉवरों से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणों से गौरैया एवं उसके बच्चों के लिए हानिकारक साबित होती है, उम्र से पहले उनकी मृत्यु हो जाती है. यह भी पढ़ें: Spring Equinox 2019: खास Doodle बनाकर Google मना रहा है वसंत के आगमन का जश्न

गौरैया के अस्तित्व को बचाने के लिए क्या करें? 

हमारी थोड़ी सी कोशिशों से गौरैयों की सुरक्षा उन्हें जीवन दान मिल सकता है. हमें उनके घोसलों का नहीं उजाड़ना चाहिए. रसोई घर, एवं कमरों की बाहरी बालकनी में गौरैयों के लिए स्थाई रूप से दाना-पानी की व्यवस्था करना चाहिए. अक्सर गर्मियों में पानी की किल्लतों का सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों को होता है, इसलिए इनके लिए पानी की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए. यह बहुत पुण्य का भी काम है. अगर संभव हो तो इनके लिए कृत्रिम घरों का निर्माण भी कर सकते हैं. यह खर्चीला भी नहीं होता. गौरैयों को नमक वाला भोजन नहीं देना चाहिए, ये इन्हें हानि पहुंचाते हैं. प्रजनन के दौरान इनके अंडों को कौआ और दूसरे पक्षियों आदि से बचाने की कोशिश करनी चाहिए.

तब केवल तस्वीरों में दिखेगी गौरैया

एक आंकड़े के मुताबिक संपूर्ण विश्व में गौरैया की 26 प्रजातियां होती हैं, जिनमें पांच प्रजातियां भारत में नजर आती हैं. भारत में इनकी कम होती संख्या और उनके संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सन 2012 में इसे राज्य पक्षी का भी दर्जा दिया गया लेकिन यह महज पेपर्स तक सिमट कर रह गया. पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली एनसीआर और हैदराबाद में गौरैयों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज हुई है. अगर समय रहते हम इस ओर गंभीर नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब गौरैया हमेशा के लिए हमसे दूर चली जायेगी और केवल तस्वीरों में नजर आयेगी.