नन्हीं गौरैया मनुष्य की सबसे पुरानी साथी पक्षियों में एक है, जो किसानों की खास मित्र कहलाती है. यह अकेली पक्षी है जो कभी पूरी दुनिया में पाई जाती थी, जिसकी चहचहाहट से हमारी नींद टूटती थी, लेकिन ऊंची-ऊंची इमारतों और प्राकृतिक वनस्पतियों के अभाव के कारण गौरैया की प्रजाति तेजी से लुप्त हो रही है. गौरैया की प्रजाति को बचाने के लिए, इसकी आवश्यकता को समझते हुए फ्रांस की इको-एसआईएस एक्शन फाउंडेशन और नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया ने 21 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की, आइये जानते हैं कि गौरैया के विलुप्त होने की प्रमुख वजहों और इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को...
विश्व गौरैया दिवस का इतिहास!
भारत में नेचर फॉरएवर सोसाइटी (NFS) ने विश्व गौरैया दिवस मनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पहल शुरू किया था. इसके बाद एनएफएस ने फ्रांस के इको-SYSएक्शन फाउंडेशन के साथ मिलकर ‘द नेचर फॉर एवर सोसाइटी’ की स्थापना की, और इसके बाद 20 मार्च 2010 को पहली बार विश्व गौरैया दिवस मनाया गया, जिसका ज्यादा श्रेय़ भारतीय मोहम्मद दिलावर को दिया जाता है. मोहम्मद दिलावर ने नासिक में घरेलू गौरैया की मदद करके गौरैया बचाओ मिशन प्रारंभ किया था. उनके इस सराहनीय प्रयासों के बाद उन्हें साल 2008 में टाइम पत्रिका द्वारा ‘पर्यावरण के नायक’ नाम से सम्मानित किया गया. इसके पश्चात 2011 में विश्व गौरैया पुरस्कार शुरू किया गया, जो पर्यावरण संरक्षण और आम प्रजातियों की सुरक्षा सम्मानजनक प्रतीक है. इसके बाद से ही दुनिया भर में 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जा रहा है. यह भी पढ़ें : Chaitra Amavasya 2023: क्या है भौमवती अमावस्या? कुंडली में मंगल-दोष या पितृ-दोष है, तो इस विधि से करें पूजा एवं दान!
विश्व गौरैया दिवस का उद्देश्य!
इस दिवस विशेष का मुख्य उद्देश्य घरेलू गौरैया को संरक्षित एवं सम्मानित करने के लिए एक दिन निर्धारित करना था, ताकि गौरैया के साथ-साथ अन्य सामान्य पक्षियों की सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके, तथा इसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुंदरता को बचाया जा सके. दुनिया भर के कई देशों ने 2010 में विश्व गौरैया दिवस का उद्घाटन किया। जो लोग घरेलू गौरैया के संरक्षण का प्रयास कर रहे हैं, वे विश्व गौरैया दिवस के मंच पर नेटवर्क, सहयोग और संरक्षण विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं.
ऐसे करें गौरैया का संरक्षण?
एक रिपोर्ट के अनुसार, गौरैया की संख्या में 60-80 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन क्या आपको मालूम है कि यदि हमने थोड़ी सी कोशिश शुरू कर दी तो इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सकता है. गौरैया से मानव हितों एवं पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इसका संरक्षण जरूरी है. इनके संरक्षण के लिए निम्न कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है.
* गौरैया को कभी नमक वाला खाना नहीं डालना चाहिए, नमक उनके लिए हानिकारक होता है
* कार्बन फूट्रिंट को कम करने की कोशिश करें, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं का समाधान हो और गर्मी के कारण गौरैया ही नहीं अन्य पक्षियों की जान बचाई जा सके.
* वृक्षारोपण को प्राथमिकता देते हुए पक्षियों आश्रय की व्यवस्था सुचारु की जाए, ताकि उनकी प्रजाति विलुप्त नहीं हो.
* अगर आपके घरों में गौरैया घोंसला बनाने की कोशिश करती है, तो इसके लिए घोसले की अतिरिक्त स्थान मुहैया कराया जाये.
* पतंगबाजी करते समय नायलॉन या चाइनीज निर्मित मांझे का इस्तेमाल नहीं करें, ताकि गौरैया समेत किसी अन्य पक्षियों की सुरक्षा की जा सके.
* जिस तरह ऊंची-ऊंची इमारतों के कारण गौरैया के पोषण की समस्याएं आ रही हैं. इसके विकल्प में गौरैया के दाने-पानी की व्यवस्था हर घर में छत या आंगन पर करे.