Chaitra Amavasya 2023: क्या है भौमवती अमावस्या? कुंडली में मंगल-दोष या पितृ-दोष है, तो इस विधि से करें पूजा एवं दान!
चैत्र अमावस्या 2023

Chaitra Amavasya 2023: हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या का महत्व होता है, किंतु चैत्र मास में पड़ने वाला अमावस्या संवत का अंतिम अमावस्या होने के कारण ज्योतिषीय दृष्टि से इसका विशेष महत्व होता है. इस बार चैत्र अमावस्या 21 मार्च, 2023, मंगलवार को पड़ रहा है. मंगलवार को पड़नेवाले अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहते हैं. इस दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष महात्म्य होता है. अगले दिन से नया संवत्सर शुरू हो जायेगा. यहां बतला दें कि साल का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है और साल का अंत चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन होता है. इस दिन गंगा-स्नान के बाद दान-तर्पण करने से पित्तरों की आत्मा को शांति मिलती है. यह भी पढ़ें: वाल्मिकी रामायण के ऐतिहासिक पहलू? जानें राम-कथा के चौंकानेवाले संदर्भित तथ्य!

चैत्र अमावस्या तिथि

चैत्र अमावस्या प्रारंभः 01.48 AM (20 मार्च 2023, सोमवार) से

चैत्र अमावस्या समाप्तः 10.53 PM (21 मार्च 2023, मंगलवार) तक

भौमवती अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त

भौमवती अमावस्या को स्नान-दान ब्रह्म मुहूर्त से प्रारंभ होता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04.49 AM से 05.37 AM तक है. यद्यपि इसके बाद भी स्नान-दान का कार्यक्रम चलता है.

भौमवती अमावस्या पर ऐसे करें पूजा

जिन्हें पित्तरों की पूजा करनी होती है, वे लोग भौमवती अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान के बाद पितरों की पूजा करें. उन्हें तर्पण, पिंड-दान आदि करें या पुरोहित से करवायें. इसके बाद हनुमान जी और मंगल ग्रह की पूजा करें. हनुमान जी की पूजा से मंगल-दोष दूर होते हैं. जिन्हें पित्तरों की पूजा नहीं करनी है, उन्हें स्नान के पश्चात दान अवश्य करना चाहिए. इससे जीवन के सारे संकट दूर होते हैं, साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.

भौमवती अमावस्या का महात्म्य!

  भौमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान, उपवास एवं पित्तरों के तर्पण का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा-स्नान, के बाद दान-पुण्य एवं हनुमान जी की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. किसी वजह से गंगा-स्नान संभव नहीं है तो घर में ही सामान्य जल में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर गंगाजी का ध्यान कर स्नान करें. किसी की कुंडली में मंगल-दोष है तो उसे इस दिन मंगल ग्रह की पूजा, एवं ब्राह्मण को ’दान’ करने से मंगल-दोष का असर कम होता है. ऐसी भी मान्यताएं है कि अमावस्या के दिन पित्तरों के नाम दान-तर्पण करने से पित्तरों की आत्मा को शांति मिलती है. मंगलवार का दिन होने से पितृ-दोष से मुक्ति पाने का यह बेहतर दिन माना जाता है.

इन वस्तुओं का दान अवश्य करें!

चैत्र अमावस्या के विशेष महात्म्य को देखते हुए ज्योतिष शास्त्रियों का कहना है कि इस दिन पूजा-तर्पण के पश्चात ब्राह्मण को धोती और अंगोछा जरूर दान करें. इससे पित्तर संतुष्ट होते हैं. जातक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन उपयुक्त वस्तुओं का दान करने से नौकरी-पेशा में आ रही दिक्कतें दूर होती हैं. इस दिन चांदी की कोई वस्तु दान करने से घर में सुख-समृद्धि की वर्षा होती है. अगर आप वस्त्रों का दान करने में असमर्थ हैं तो दूध एवं चावल भी दान कर सकते हैं. इस दिन कुछ भी दान देते समय हाथ में काला तिल रखकर अपने पित्तर को पूरे समर्पण के भाव मन में रखें.