Shab-e-Qadr 2020: भारत में कब है शब-ए-कद्र! इस रात इबादत करने का क्या है महत्व
नमाज अदा करते लोग (Photo Credits: Unsplash)

इस्लाम में शब-ए-कद्र पवित्र रातों में एक है. इसे लैलातुल कद्र के रूप में भी जाना जाता है. अंग्रेजी में इसे नाइट ऑफ डिक्री, नाइट ऑफ पावर, नाइट ऑफ वैल्यू या नाइट ऑफ मेजर भी कहा जाता है. इस्लामी मान्यता के अनुसार इस रात पहली बार पवित्र क़ुरआन को स्वर्ग से दुनिया में भेजा गया था. इस्लामी आस्था के अनुरूप लैलातुल कद्र की रात को पैगंबर मोहम्मद कुरान के पहले छंद का पता चला था. शब-ए-क़द्र की सही तारीख ज्ञात नहीं है. हालांकि कई मुस्लिम स्त्रोतों के शब-ए-क़द्र, रमजान या रमजान के आखिरी दस दिनों की विषम संख्या वाली रातों (21, 23, 25, 27वें या 29वें) में से एक पर पड़ता है.

परंपरागत रूप से रमजान की 27वीं रात को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है, और इस रात के दौरान मुसलमान रात भर विशेष प्रार्थना करते हैं.

भारत में शब-ए-क़द्र 2020

सभी मुसलमान रमजान के पवित्र मास में अंतिम दस दिनों के दौरान सभी विषम संख्या वाली रातों में विशेष प्रार्थना करते हैं. 27वीं रात शब-ए-कद्र के रूप में व्यापक रूप से मनाया जाता है. भारत में 27वां रमजान 20 मई 2020 की रात को है. इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नये दिन की शुरुआत सूर्यास्त के साथ होती है न कि आधी रात को. 27वां रमजान 20 मई की शाम को शुरू होगा, जिसका अर्थ है कि मुसलमान 20 मई की शाम 21 मई की सुबह तक विशेष प्रार्थना करेंगे.

शब-ए-क़द्र का महत्व

शब-ए-क़द्र मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण रात होती है, क्योंकि इसी रात पवित्र क़ुरआन को पृथ्वी पर भेजा गया था. लैलातुल कद्र ने पवित्र क़ुरआन में भी उल्लेख किया है, 'अल-कद्र’ की रात को एक हजार महीने से बेहतर बताया गया है. पैगंबर मोहम्मद ने भी इस रात के बारे में निम्नलिखित हदीसों। में से एक में कहा था कि जो कोई भी अल्लाह की इबादत ईमानदारी और विश्वास के साथ कद्र की रात को सलाम पेश करता है, उसके सभी पापों को माफ कर दिया जाएगा.

शब-ए-क़द्र के दौरान जो मुसलमान ‌विशेष प्रार्थना करते हैं, कुरान पढ़ते हैं, और विशेष दुआ करते हैं, शब-ए-कद्र के खास दुआओं में से एक है अल्लाहुम्मा इनाका ‘अफुवुन तुहिबुल’ अफवाह फ'फु एनी (ऐ अल्लाह तू तू वो है जो बहुत माफ करता है, और माफ करना पसंद करता है, इसलिए मुझे माफ़ कर दे.)

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.