Children's Day 2019: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सर्वाधिक विश्वसनीय एवं सहयोगी पं. जवाहर लाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के चुनिंदे सक्रिय नेताओं में एक थे. पं. नेहरू की गिनती उन वरिष्ठ नेताओं में की जाती है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ तमाम रैलियों के आयोजन की न केवल अगवानी किया बल्कि उसे सफलतम बनाने और अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भारतीय कांग्रेस को आम जनता से जोड़ने की उनकी कोशिश भी अभूतपूर्व थी. पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का जनक भी कहा जाता है. भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की उनकी नीतियों को गैरकांग्रेसी सरकारों ने भी अपनाया.
आज की पीढ़ी भी देश के प्रथम प्रधानमंत्री को ‘पंडित नेहरू’ या फिर ‘चाचा नेहरू’ के नाम से ही जानती पहचानती है. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के आंतरिक मुद्दों का ध्यान रखते हुए देश की विदेशी नीतियों को कार्यान्वित करने में अहम भूमिका निभाई. साल 1947 में लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले देश के पहले व्यक्ति का श्रेय पंडित जवाहर लाल नेहरू को ही जाता है.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत क्रांतिकारियों द्वारा सृजित नवराष्ट्र का निर्माण करने वाले शिल्पकारों में प्रमुख थे पंडित जवाहरलाल नेहरू. पंडित नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हुआ था.
यहां हम आपके लिए चाचा नेहरू के जीवन में घटित कुछ रोमांचक तथ्य बता रहे हैं.
* एक बच्चे के रूप में वह बेहद विचारशील और बहुत सतर्क एवं चौकस रहते थे.
* पं. जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने उनसे 15 साल की उम्र तक कड़ा परिश्रम करवाया.
* पंडित जवाहरलाल नेहरू सन 1910 में ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज से प्राकृतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन कर 1912 में भारत आ गये थे. उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस किया. वह स्वयं को ख्यातिप्राप्त बैरिस्टर के रूप में देखना चाहते थे.
* कहा जाता है कि जलियांवाला बाग में अंग्रेज सैनिकों द्वारा सामूहिक हत्याकाण्ड से दुःखी एवं त्रस्त होकर नेहरू ने ब्रिटिश सरकार से अंतिम समय तक लड़ने की प्रतिज्ञा की थी.
* जेल में रहते हुए पंडित नेहरू ने अपनी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े घटनाक्रमों से युक्त बायोग्राफी लिख डाली थी.
* जानकारों के अनुसार उन पर हत्या के चार बार प्रयास किये गये थे. पहला 1947 में विभाजन के दौरान किया गया. दूसरा 1955 में मुंबई में एक रिक्शा चालक द्वारा, तीसरा 1956 में मुंबई में और चौथा 1961 में किया गया था.
* उन्हें अपनी सुरक्षा के घेरे में रहना किंचित पसंद नहीं था, क्योंकि उनकी वजह से ट्रैफिक नियमों में काफी खलल पड़ता था.
* नेहरू के शासनकाल में भारतीय संसद ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता को विस्तार देने के लिए कई बदलाव करवाए थे. उनके शासनकाल में ही जातिगत भेदभाव को कानून द्वारा प्रतिबंधित कराया गया.
बता दें कि पंडित नेहरु ने ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 को पारित करवाया, जो भारत में धर्मनिरपेक्षता का मजबूत स्तंभ माना जाता है. नेहरू ने लिखा था कि वह भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में देखना चाहते हैं. साथ ही भारत से धार्मिक वर्जनाओं को भी खत्म करना चाहते हैं.