हिंदू धर्म में हर अमावस्या को महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन पुरोहितों का कहना है कि चैत्रीय अमावस्या की तिथि कुछ मायनों में बहुत खास होती है. उनके अनुसार पितृ-दोष एवं कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को इस पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए चैत्रीय अमावस्या की तिथि सर्वोत्तम होती है.
क्या होता है पितृदोष?
सनातन धर्म के अनुसार पितृदोष तब लगता है, जब कोई अपने पिता के देहावसान के पश्चात उनकी आत्मा की शांति के लिए कुछ नहीं करता. इससे वे नाराज होकर वे श्राप देते हैं. कहते हैं कि पितृ-दोष लगने से व्यक्ति विशेष का विकास रुक जाता है, वह संतान सुख से वंचित रहता है, उसकी मेहनत की कमाई फिजूल जगहों पर खर्च होती है. इसलिए पितृ-दोष का निवारण किसी योग्य ब्राह्मण से यथाशीघ्र करवा लेना चाहिए. इसके लिए 31 मार्च से 1 अप्रैल 2022 को लगने वाला चैत्रीय अमावस्या का दिन बेहतर माना गया है. आइये जानें कब और किस मुहूर्त में पितृ-दोष से मुक्ति के लिए क्या करें. यह भी पढ़ें : Papmochani Ekadashi 2022 Wishes: पापमोचनी एकादशी की इन हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Messages के जरिए दें शुभकामनाएं
जानें किन-किन योगों का हो रहा है महासंयोग!
चैत्रीय अमावस्या पर दो विशेष योगों का संयोग बन रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्रीय अमावस्या के दिन सूर्योदय से प्रातःकाल 09.37 बजे तक ब्रह्म-योग बन रहा है और इसके पश्चात इंद्र-योग लग जायेगा. उत्तर भाद्रपद नक्षत्र प्रातः 10.40 बजे तक रहेगा, इसके पश्चात रेवती नक्षत्र लग रहा है. रेवती नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है, जो पूरे दिन रहेगा. इस तरह यह दिन बहुत श्रेयस्कर होगा.
चैत्रीय अमावस्या का मुहूर्त!
चैत्रीय अमावस्या प्रारंभः 12.22 P.M. (31 मार्च, गुरुवार 2022) से
चैत्रीय अमावस्या समाप्त 11.53 A.M. (31 मार्च, शुक्रवार 2022) तक
इस तरह उदया तिथि के अनुसार 1 अप्रैल, शुक्रवार को चैत्रीय अमावस्या मान्य है.
ऐसे करें पितृ-दोष से मुक्ति के उपाय!
पितृ अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान-दान का बड़ा महत्व है. अगर नदी उपलब्ध नहीं हो तो घर के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर स्नान करके दान का संकल्प पूरा किया जा सकता है. पितृ-दोष की स्थिति में किसी विद्वान ब्राह्मण के दिशा निर्देशन में पितरों को तर्पण, पिण्डदान एवं श्राद्ध कर्म करवाएं. सारी क्रियाएं होने के पश्चात ब्राह्मण को भोजन खिलाते हैं और इसके बाद कौवा एवं गाय को भोजन-पानी देते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है. हिंदू पंचांग के अनुसार उपयुक्त सारे क्रिया-कर्म दिन 11.30 AM से 02.30 PM तक पूरे कर लेने चाहिए.
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए भी सर्वोत्तम है यह अमावस्या!
पितृ-दोष हो या कालसर्प दोष, इसके उपाय करने से पहले किसी जानकार पुरोहित से अवश्य स्पष्ट कर लें कि क्या आप वाकई कालसर्प दोष से पीड़ित हैं? अगर हां तो कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी चैत्रीय अमावस्या यानी 1 अप्रैल की तिथि सर्वोत्तम है. इस दिन पुरोहित द्वारा कराये अनुष्ठान के बीच नाग-नागिन की पूजा का विधान है. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात चांदी के नाग-नागिन को नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.