Papmochani Ekadashi 2022 Wishes: पापमोचनी एकादशी की इन हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Messages के जरिए दें शुभकामनाएं
पापमोचनी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

Papmochani Ekadashi 2022 Wishes: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के दोनों पक्षों की एकादशी पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा पाने के लिए एकादशी (Ekadashi) का व्रत किया जाता है. वैसे तो हर एकादशी का अपना एक अलग महत्व है और इसकी कथाएं भी अलग-अलग हैं. इसी तरह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) कहा जाता है, जो आज यानी 28 मार्च को है. यह एकादशी भक्तों के समस्त पापों का नाश करने वाली मानी जाती है, इसलिए इसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी पर व्रत करके भगवान श्रीहरि के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे पापों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत के प्रभाव से भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी के व्रत और श्रीहरि के पूजन से बड़े-बड़े यज्ञों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इस व्रत का फल एक हजार गायों के दान के समान माना जाता है. यह भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है, इसलिए इस अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस, मैसेजेस के जरिए अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- विष्णु जिनका नाम है,

बैकुंठ जिनका धाम है,

जगत के उस पालनहार को,

हमारा शत-शत प्रणाम है.

पापमोचनी एकादशी की बधाई

पापमोचनी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

2- आपको और आपके परिवार को,

पापमोचनी एकादशी की शुभकामनाएं

पापमोचनी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

3- ॐ श्री विष्णवे नम:

पापमोचनी एकादशी की शुभकामनाएं

पापमोचनी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

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4- ॐ नमो नारायणाय नम:

पापमोचनी एकादशी की हार्दिक बधाई

पापमोचनी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

5- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

शुभ पापमोचनी एकादशी

पापमोचनी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

वैसे तो एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है, इसलिए दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन किया जाता है, फिर एकादशी के दिन सुबह जल्दी स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का षोड्षोपचार विधि से पूजन किया जाता है, फिर विष्णु सहस्त्रनाम, भगवत गीता का पाठ किया जाता है. ओम् नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करने के साथ ही रात्रि जागरण किया जाता है, फिर द्वादशी तिथि को सुबह ब्राह्मणों को मिष्ठान्न और दक्षिणा भेंट करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.