Uttar Pradesh: नाबालिग लड़की के पिता ने लगाया जल्दबाजी में अंतिम संस्कार कराने का आरोप, यूपी पुलिस ने किया इनकार
यूपी पुलिस (Photo Credits: Twitter/File)

बुलंदशहर, 2 फरवरी : एक 16 वर्षीय लड़की के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें नाबालिग का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया. इस घटना का मंगलवार को व्यापक विरोध हुआ. रिपोटरें के अनुसार, घटना 21 जनवरी को हुई थी, लेकिन पुलिस द्वारा धमकी देने और अपराध के बारे में बात न करने के लिए कहने के बाद परिवार चुप रहा. बात तब फैली और कुछ लोगों ने इस बारे में ट्वीट किया कि घटना खुलकर सामने आ गई है.

बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संतोष सिंह ने कहा कि पुलिस ने 'कभी भी परिवार को अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर नहीं किया' और निहित स्वार्थों द्वारा मामले का 'राजनीतिकरण' किया जा रहा था. उन्होंने आगे कहा कि लड़की लड़के के साथ मित्रवत थी. मुख्य आरोपी ने सोचा कि वह उसे धोखा दे रही है इसलिए उसने उसे गोली मार दी. उसने अपने हाथ और गर्दन को भी ब्लेड से काट लिया था. परिवार ने मांग करते हुए मामला दूसरे पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर करने को कहा और हमने वैसा ही किया हैं.

इस बीच, बुलंदशहर में नाबालिग लड़की के पिता ने कहा कि पुलिस ने हमें उचित अनुष्ठान करने का अवसर दिए बिना रात में उसका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया. पीड़ित के पिता ने कहा कि उसकी बेटी एक उच्च जाति के लड़के की दोस्त थी. लड़का कथित तौर पर लड़की के गांव आया और उसे अपने साथ घूमने के लिए आने को कहा. वह उसके साथ चली भी गई. "बाद में, मुझे पुलिस से यह कहते हुए फोन आया कि मेरी बेटी का शव गांव के बाहरी इलाके में एक ट्यूबवेल के पास पड़ा है. मैं मौके पर पहुंचा लेकिन जब तक मैं पहुंचा तब तक वे उसके शव को चौकी ले जा चुके थे- जब मैंने उनसे पूछताछ की तो पुलिस ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया. हमें लगभग 24 घंटे के बाद मेरी बेटी का शव दिया गया और फिर पुलिस ने मुझे तुरंत उसका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया." यह भी पढ़े : COVID-19: इंदौर हवाई अड्डे पर पांच यात्री संक्रमित मिले, दुबई की उड़ान में सवार होने से रोका गया

"जब मैंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि उसका रेप किया गया है, तो पुलिस ने मुझे चुप रहने और घर जाने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि घटनास्थल के पास उनकी बेटी के साथ करीब चार लोगों को देखा गया था." स्थानीय स्तर पर कई विरोध प्रदर्शनों के बाद आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. अब तक चार में से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.