
Kaushambi Rambabu Suicide Case: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में किसान रामबाबू तिवारी की आत्महत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना को प्रशासनिक नाकामी बताया है. उन्होंने योगी सरकार को घेरते हुए 'एक्स' पर लिखा, ''यूपी में प्रशासनिक विफलता के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. कौशाम्बी में राजनीतिक रसूखदारों द्वारा दर्ज कराए गए झूठे मुकदमे ने किसी को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया. उसके बाद मामले को रफा-दफा करने की निंदनीय पुलिसिया कार्रवाई ने सरकार और प्रशासन की मिलीभगत और सांठगांठ के काले राज उजागर कर दिए.''
अखिलेश ने कहा कि कभी रामपुर, कभी अमेठी और हाल ही में प्रतापगढ़ और हरदोई में ऐसे झूठे मुकदमों के कारण किसी को परेशान किया गया. यूपी का कोई ऐसा जिला नहीं है जहां राजनीतिक विरोधियों को ऐसे दुर्भावनापूर्ण झूठे मुकदमों में न फंसाया गया हो.
कौशांबी में रामबाबू मौत केस ने मचाई सियासी हलचल
उप्र में प्रशासनिक नाकामयाबी की वजह से लोगों की जान जा रही है। कौशांबी में राजनीतिक रसूख़ रखनेवालों के द्वारा लगाये गये झूठे मुकदमे ने किसी को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया और उसके बाद पुलिस की लीपा-पोती जैसी निंदनीय कार्रवाई ने शासन-प्रशासन के बीच की मिलीभगत और साँठगाँठ का… pic.twitter.com/ElHMdEX55g
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 8, 2025
थानाध्यक्ष बृजेश करवरिया लाइन हाजिर
हालांकि, इस मामले में बड़ी कार्रवाई भी हुई है. पुलिस प्रशासन ने सैनी कोतवाली के थानाध्यक्ष बृजेश करवरिया को लाइन हाजिर कर दिया है. पथरावा चौकी इंचार्ज आलोक राय और विवेचक कृष्ण स्वरूप को निलंबित किया गया है. अब इस मामले की जांच थानाध्यक्ष कड़ाधाम धीरेंद्र सिंह को सौंपी गई है.
पुलिस ने अब तक दुष्कर्म पीड़िता के पिता और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मुख्य आरोपी प्रधान भूप नारायण अभी भी फरार है. उस पर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया है.
रामबाबू ने क्यों किया सुसाइड?
बताया जा रहा है कि रामबाबू के बेटे सिद्धार्थ पर आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस आरोप को लेकर रामबाबू इतने आहत हुए कि उन्होंने थाने के पास ही जहर खाकर जान दे दी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रामबाबू ने अपनी छाती और पेट पर खुद सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल, उसके भाई और कुछ सहयोगियों को इस साजिश का जिम्मेदार बताया गया.
रामबाबू ने लिखा कि कई बार पुलिस और प्रशासन से बेटे की बेगुनाही की गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.
30 साल से चल रहा है विवाद
ग्रामीणों का कहना है कि रामबाबू और ग्राम प्रधान भूप नारायण के बीच पिछले 30 साल से राजनीतिक और ज़मीनी विवाद चला आ रहा है. रामबाबू के बेटे अक्षय ने बताया कि उनके बाबा रामलखन तिवारी पहले प्रधान थे और तब से ही दोनों परिवारों के बीच रंजिश है. सात महीने पहले जमीन को लेकर भी विवाद हुआ था.
रामबाबू की मौत के बाद जब परिजन शव लेकर लौटे, तो उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगा दिया. पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को हटाया और यातायात सुचारु कराया। इस घटना में 10 नामजद और 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
दो हिस्सों में बंटी राजनीति
इस मामले ने राजनीति को भी दो हिस्सों में बांट दिया है. कोई पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग कर रहा है, तो कोई रामबाबू के परिवार को इंसाफ दिलाने की. पुलिस की कार्रवाई पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं. सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज और प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने दुष्कर्म पीड़िता को न्याय देने की बात कही है.
फिलहाल पुलिस दोबारा दुष्कर्म की जांच कर रही है. कई बच्चों के बयान दर्ज किए गए हैं. एसपी राजेश कुमार का कहना है कि जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर दिया जाएगा.