नई दिल्ली: सीमा पार पाकिस्तान (Pakistan) से आए टिड्डियों के झुंड ने देश में संकट पैदा कर दिया है. देश एक तरफ जहां कोरोना महामारी से लड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ किसानों को सीमा पार से आए इन टिड्डी दलों का भी सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में बुधवार यानि आज राजस्थान (Rajasthan) के कोटा शहर में करीब ढाई से तीन किलोमीटर लंबा टिड्डियों का दल दिखा. वहीं इतनी बड़ी संख्या में आई टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन, कृषि विस्तार विभाग और राजस्व विभाग हाई अलर्ट मोड पर आ गया है.
खबर के अनुसार कोटा में आज सुबह से ही लोगों को इन टिड्डियों के झुंड से जूझना पड़ रहा है. लोगों को सबसे पहले कोटा जिले के पीपल्दा कला गांव में टिड्डियों का सामना करना पड़ा जो मध्य प्रदेश की ओर आए थे, वहीं टिड्डियों का दूसरा हमला बूंदी जिले के हिंडौली इलाके से हुआ. यह दल करीब ढाई से तीन किलोमीटर लंबा है. जो कोटा शहर के आसमान में मंडराता हुआ नजर आ रहा है.
#WATCH Rajasthan: Swarms of locusts continue to create menace in different parts of the state , visuals from Kota. pic.twitter.com/hRaMBmCQLM
— ANI (@ANI) June 10, 2020
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बता दें कि हर साल पाकिस्तान में तबाही मचाने के बाद टिड्डी दल भारत के निकटवर्ती राज्यों का रुख करते है. हालांकि टिड्डियों का पनपना पूरी तरह से प्राकृति से जुड़ी घटना है. रोचक पहलू यह है कि इनकी संख्या और प्रकोप का क्षेत्र, मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है. दुनिया में टिड्डियों की 10 महत्वपूर्ण प्रजातियां- डेजर्ट टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, माइग्रेटरी टिड्डी, इटैलियन टिड्डी, मोरक्कन टिड्डी, रेड टिड्डी, ब्राउन टिड्डी, साउथ अमेरिकन टिड्डी, ऑस्ट्रेलियन टिड्डी, ट्री टिड्डी हैं.
हालांकि भारत में केवल चार प्रकार के टिड्डे- डेजर्ट टिड्डे (Schistocerca gregaria), माइग्रेटरी टिड्डे (Locusta migratoria), बॉम्बे टिड्डे (Nomadacris succincta) और ट्री टिड्डे (Anacridium sp) पाए जाते हैं. रेगिस्तानी टिड्डा (Desert Locust) भारत के साथ-साथ अंतरमहाद्वीपीय संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण कीट है.
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टिड्डियों के लिए तीन प्रजनन सीजन होते हैं. पहला शीतकालीन (नवंबर से दिसंबर) दूसरा वसंत (जनवरी से जून) और तीसरा ग्रीष्मकालीन (जुलाई से अक्टूबर) है. हालांकि भारत के लिए केवल ग्रीष्मकालीन प्रजनन वाले टिड्डे समस्या का कारण बनते है.