तिरुवनंतपुरम: केरल (Kerala) में कोरोना बेकाबू होता दिख रहा है. राज्य में पिछले चार दिनों से लगातार 30 हजार से ज्यादा कोरोना केस दर्ज किए जा रहे हैं. स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि महज 5 दिन में केरल के अंदर कोरोना के करीब डेढ़ लाख केस आ चुके हैं. इस बीच एक और चिंता वाली खबर यह है कि यहां बच्चों में पोस्ट-कोविड का खतरा बढ़ रहा है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच महीनों में केरल में 4 बच्चों की मौत हो गई है और 300 से ज्यादा बच्चे Multisystem inflammatory syndrome in children (MIS-C), एक पोस्ट-कोविड जटिलता से जूझ रहे है. COVID-19: केरल सहित इन राज्यों ने बढ़ाई तीसरी लहर की टेंशन, लापरवाही पड़ेगी भारी.
MIS-C (मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम-इन चिल्ड्रन) उस राज्य के लिए एक नई चिंता के रूप में उभरा है, जहां दो महीने से ज्यादा समय से कोरोना के मरीजों की एक बड़ी संख्या बनी हुई है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने शनिवार को माता-पिता से बच्चों में MIS-C के लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता लेने को कहा. उन्होंने कहा, "यह एक इलाज योग्य बीमारी है, लेकिन अगर इसे अनदेखा किया जाता है, तो इससे मुश्किल बढ़ जाएगी."
विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले छह महीनों में कर्नाटक में MIS-C के 29 मामले और तमिलनाडु में 14 मामले सामने आए हैं.
15 साल से कम उम्र के बच्चों को अधिक खतरा
राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक कोविड -19 से संक्रमित सभी राज्य की आबादी में से 10 प्रतिशत में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, जबकि अधिकांश MIS-C संक्रमित मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों में हैं.
MIS-C के लक्षण
विशेषज्ञों ने कहा कि MIS-C बच्चों में कोविड के बाद की कॉप्लेक्शन के रुप में उभर कर सामने आया है. जिनमें बच्चों में कोरोना वायरस से उबरने के तीन-चार सप्ताह बाद बुखार, पेट दर्द, आंख लाल होना और मतली के लक्षण सामने आए थे.
MIS-C बच्चों को प्रभावित करने वाली एक दुर्लभ जटिलता है. कुछ मामलों में, माता-पिता के कोविड से ठीक होने के बाद, बच्चे संक्रमित हो गए लेकिन उनमें कोविड के लक्षण सामने नहीं आए. कई मामलों में, लक्षण बाद में सामने आते हैं, और आमतौर पर मरीज RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव पाए जाते हैं.