Kisan Diwas 2018: केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक विचारधारा थे चौधरी चरण सिंह, किसानों को समर्पित किया अपना पूरा जीवन
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Photo Credits: Twitter)

आज देश के सबसे बड़े किसान नेता चौधरी चरण सिंह (Chuadhary Charan Singh) का जन्मदिन है. 23 दिसंबर, 1902 को गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में जन्मे चौधरी चरण सिंह ने अपना पूरा जीवन गांव, गरीब व किसानों के लिए समर्पित कर दिया था. इसलिए उनकी जयंती को 'किसान दिवस' के तौर पर मनाया जाता है. वह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे.

स्वतंत्रता सेनानी से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बने चौधरी ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की और आह्वान किया कि भ्रष्टाचार का अंत ही देश को आगे ले जा सकता है. उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है. चाहे कोई भी लीडर आ जाए, चाहे कितना ही अच्छा कार्यक्रम चलाओ, जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता.

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गाजियाबाद के जाट परिवार में हुआ जन्म- 

चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर,1902 को गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में एक जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन के समय राजनीति में प्रवेश किया. उनके पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्य विरासत में चरण सिंह को सौंपा था. चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द गांव आकर बस गए थे.

पेशे से थे वकील-

आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर सन् 1928 में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में वकालत शुरू की. वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे, जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था. सन् 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के 'पूर्ण स्वराज्य' उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया.

डांडी मार्च में हुए शामिल-

सन् 1930 में महात्मा गांधी के चलाए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होकर उन्होंने नमक कानून तोड़ने को डांडी मार्च किया. आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया. इस कारण चरण सिंह को 6 माह कैद की सजा हुई. जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया.

देखते ही गोली मारने का आदेश-

सन् 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफ्तार हुए. फिर अक्टूबर, 1941 में मुक्त किए गए. 9 अगस्त, 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवा चरण सिंह ने भूमिगत होकर गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया. मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था.

चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं. उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था. एक जुलाई, 1952 को उत्तर प्रदेश में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला.

किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया. कांग्रेस में उनकी छवि एक कुशल नेता के रूप में स्थापित हुई. 29 मई, 1987 को उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. वर्ष 2001 में केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार द्वारा किसान दिवस की घोषणा की गई.

(IANS इनपुट के साथ)