राजपीपला (गुजरात), 7 जून : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद मनसुख वसावा ने हाउसकीपिंग के लिए मशीनें लगाने के प्रशासनिक फैसले का विरोध किया है और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (एसओयू) में आदिवासी युवाओं की सेवाएं बहाल करने की मांग की है. इस संबंध में भरूच के सांसद मनसुख वसावा ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा है.
वसावा ने आईएएनएस को बताया कि पत्र में मुख्यमंत्री से आदिवासियों की नौकरी बहाल करने का अनुरोध किया गया है. ये युवा स्थानीय आदिवासी हैं. उन्होंने या उनके परिवार के सदस्यों ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी शहरी विकास प्राधिकरण के विकास के लिए जमीन खो दी है. साथ ही अब लगभग 150 युवाओं ने अपनी नौकरी खो दी है, क्योंकि एसओयू प्रशासन ने हाउसकीपिंग के लिए मशीन लगाने का फैसला किया है और अनुबंध वडोदरा नगर निगम को दिया गया है.
उन्हें अभी तक सीएम कार्यालय या एसओयू अधिकारियों से जवाब नहीं मिला है. एसओयू कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि अध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश दिया है कि इन युवकों को आसपास के गांवों में काम दिया जाए, ताकि उन्हें परेशानी ना हो, लेकिन सीईओ ने अभी तक निर्देश पर अमल नहीं किया है. यह भी पढ़ें : मुख्य सचेतक जोशी ने खरीद-फरोख्त की आशंका जताते हुए निर्वाचन आयोग को पत्र सौंपा
वहीं जब आईएएनएस ने सीईओ और डिप्टी कलेक्टर निकुंज पारिख से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनसे संपर्क नहीं हो सका और उन्होंने आईएएनएस के संदेशों का जवाब नहीं दिया.
केवड़िया से आदिवासी ट्राइबल सेना के नेता प्रफुल्ल वसावा पर आरोप लगाया कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के विकास के लिए आदिवासी युवाओं ने अपनी जमीन खो दी. नौकरी पाने वाले सभी को विभिन्न एजेंसियों द्वारा अनुबंध पर लिया गया था. एसओयू के चालू होने के तुरंत बाद, 2000 अनुबंध श्रमिकों को हटा दिया गया.
वसावा ने कहा, "हमारी मुख्य मांग नियमित और स्थायी नौकरी है, ना कि संविदात्मक काम, क्योंकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि किसी के पास कितनी दिन तक की नौकरी होगी और यहां तक कि भुगतान किया गया वेतन 8,000 से 10,000 रुपये बहुत कम है."