अमेरिका ने यमनी विद्रोहियों के आतंकी होने की घोषणा वापस लेने की संयुक्त राष्ट्र की अपील ठुकराई
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

वाशिंगटन, 15 जनवरी: अमेरिका के उप राजदूत रिचर्ड मिल्स (Richard Mills) ने सुरक्षा परिषद (Security Council) से कहा कि अमेरिका ने विद्रोहियों को आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने के मानवीय प्रभाव की चेतावनी पर गौर किया है और वह इसके प्रभाव को कम करने के लिए सहायता वितरण तथा वाणिज्यिक आयात जैसे कदम उठाएगा. उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि अगर हम चाहते हैं कि राजनीतिक प्रक्रिया आगे बढ़े , तो सही संकेत भेजने की दिशा में यही सही कदम है."

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने गत रविवार को हूती विद्रोहियों को एक 'विदेशी आतंकवादी संगठन' घोषित कर दिया था. यह फैसला 19 जनवरी से लागू होगा, जो राष्ट्रपति कार्यालय में ट्रंप का आखिरी दिन है. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को पदभार संभालेंगे. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने सुरक्षा परिषद को आगाह किया है कि अमेरिका के इस कदम से "आकाल की ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो पिछले 40 वर्ष में नहीं देखी गई होगी."

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उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार यमन की 30 करोड़ की आबादी में से 1.6 करोड़ लोगों को आकाल का सामना करना पड़ेगा. लोकॉक ने कहा कि इस कदम के बाद कई कम्पनियों के यमन से बाहर जाने के संकेत मिल रहे हैं. उन्होंने आगाह किया कि अमेरिका ने यमन में जिस मानवीय सहायता और आयात का वादा किया है, वे आकाल से निपटने के लिए काफी नहीं होंगे.

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