नेपाल इन दिनों भयंकर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़के प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है. हालात इतने बिगड़ गए कि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) को पद से इस्तीफा देना पड़ा. वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल यात्रा को लेकर भारतीय नागरिकों के लिए नई ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय नागरिक हालात सामान्य होने तक नेपाल की यात्रा टाल दें. जो लोग पहले से नेपाल में मौजूद हैं, उन्हें घरों के अंदर रहने और सड़कों से दूर रहने की सलाह दी गई है. साथ ही स्थानीय प्रशासन और भारतीय दूतावास द्वारा जारी सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा गया है. जरूरत पड़ने पर भारतीय नागरिक दूतावास से इन हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं:
- +977–980 860 2881 (WhatsApp पर भी उपलब्ध)
- +977–981 032 6134 (WhatsApp पर भी उपलब्ध)
भारत की यात्रा सलाह: अभी नेपाल जाने से बचें
All Indian nationals in Nepal are hereby requested to note the following telephone numbers from the Embassy of India, Kathmandu, for contact, in case they are facing any emergency situation or require assistance:
1. +977 – 980 860 2881
2. +977 – 981 032 6134@MEAIndia
— IndiaInNepal (@IndiaInNepal) September 9, 2025
हिंसा और इस्तीफा
लगातार बढ़ती हिंसा और मौतों के बीच 73 वर्षीय प्रधानमंत्री ओली ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने कहा कि वे राजनीतिक समाधान का रास्ता साफ करने के लिए पद छोड़ रहे हैं. इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया और अब नए प्रधानमंत्री के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
नेपाल की सड़कों पर बवाल
सोमवार को हालात इतने बिगड़े कि 19 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, पत्थरबाजी की और नेताओं के घरों में आग लगा दी. कई मंत्रियों को सेना के हेलीकॉप्टर से सुरक्षित निकाला गया. सुरक्षा चिंताओं के चलते काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बंद कर दिया गया.
क्यों भड़के प्रदर्शन?
प्रदर्शन की शुरुआत सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह से बैन लगाने से हुई थी. हालांकि बैन हटा दिया गया है, लेकिन गुस्सा शांत नहीं हुआ. युवाओं का कहना है कि वे भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से तंग आ चुके हैं. उनका मांग है कि देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार सभी के लिए सुलभ हो.
दशकों का सबसे बड़ा संकट
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यह नेपाल में दशकों बाद देखा गया सबसे बड़ा राजनीतिक संकट है. सेना और प्रशासन ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन गुस्सा शांत होना आसान नहीं दिख रहा.













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