कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से दुनियाभर के धार्मिक समुदाय प्रभावित हुए है. हाल ही में यह घोषणा की गई थी कि इस साल मक्का (Mecca) में होने वाले वार्षिक तीर्थयात्रा हज (Hajj) में केवल सऊदी (Saudi) के नागरिकों और किंगडम (Kingdom) में रहने वाले विदेशी नागरिकों को आने की अनुमति होगी. जिसके बाद पवित्र हज यात्रा के वैकल्पिक तरीके खोजे जाने लगे और इसका समाधान वर्चुअल तीर्थयात्रा (Virtual Pilgrimage) के तौर पर निकला है.
ऐसा पहली बार हो रहा है जब हज की यात्रा शारीर से नहीं बल्कि तकनीक की मदद से होगी. दुनियाभर के असमर्थ मुसलमानों की हज यात्रा की इच्छा पूरी करने के मकसद से एक जर्मन (German) कंपनी ने इंटरैक्टिव डिजिटल हज अनुभव पेश किया है. किसी वीडियो गेम जैसा लगने वाला मुस्लिम 3डी (Muslim 3D) वास्तव में इस्लामी जीवन शैली, इतिहास और अनुष्ठानों के अनुभव वाला वर्चुअल यात्रा है. कोरोना वायरस के साए में मुकम्मल किया जा रहा है हज
वर्चुअल हज एक्सपीरियंस-
‘मुस्लिम 3डी’ को जर्मनी की बिजीटेक (Bigitec) नामक एक कंपनी ने बनाया है. इसके प्रबंध निदेशक बिलाल चबीब (Bilal Chbib) ने कहा कि “इसका विचार मूल रूप से दस साल पहले आया था क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि वीडियो गेम डेवलपमेंट से जुड़ी है और मैं एक उत्साही वीडियो गेम खिलाड़ी हूं. मैं सोच रहा था कि ऐसा कुछ क्यों नहीं है जिससे मेरी संस्कृति और इतिहास को एक्स्प्लोर किया जा सके."
कोरोना वायरस के चलते इस बार अभूतपूर्व ढंग से हज यात्रा का आयोजन किया गया. हर साल जहां दुनियाभर के 25 लाख हज यात्री सऊदी अरब आते थे, वहीं इस साल सऊदी अरब में रह रहे केवल एक हजार से 10 हजार यात्रियों को ही हज के लिये चुना गया था. जबकि इस बार अराफात की पहाड़ी पर हज का मंजर पूरी तरह अलग दिखाई दे रहा है. बीते साल तक यहां अहराम पहने हज यात्रियों का सैलाब उमड़ता था, लेकिन इस साल हज यात्री काफी दूरी बनाकर इबादत करते नजर आ रहे हैं. उधर, प्रशासन भी सभी यात्रियों पर नजर रखने के लिए तकनीक का सहारा ले रहा है.