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आखिरी जर्मन राजा के साथ सौ साल पुराना विवाद सुलझा

जर्मनी के आखिरी राजा के परिवार के साथ सौ साल से जारी विवाद सुलझा लिया गया है.

विदेश Deutsche Welle|
आखिरी जर्मन राजा के साथ सौ साल पुराना विवाद सुलझा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी के आखिरी राजा के परिवार के साथ सौ साल से जारी विवाद सुलझा लिया गया है. प्रशा के शाही परिवार के खजाने के मालिकाना हक को लेकर यह विवाद था.जर्मनी में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक मोड़ तब आया जब पूर्व प्रशा-सम्राट के उत्तराधिकारियों और सरकारी सांस्कृतिक संस्थानों के बीच एक सदी पुराना सांस्कृतिक विवाद सौहार्दपूर्वक सुलझा लिया गया. इस समझौते के तहत होहेनत्सोलेर्न वंश से जुड़ी लगभग 27,000 ऐतिहासिक वस्तुएं अब स्थायी रूप से जनता के सामने संग्रहालयों और महलों में प्रदर्शित की जाएंगी. इनमें पेंटिंग्स, मूर्तियां, सिक्के, किताबें और ऐतिहासिक फर्नीचर शामिल हैं.

संस्कृति मंत्री वोल्फ्राम वाइमर ने इस समझौते को "ऐतिहासिक सफलता" करार दिया. उन्होंने कहा, "100 साल बाद, हमने राजशाही से गणराज्य में बदलाव के समय उपजे विवाद को सौहार्दपूर्वक सुलझा लिया है."

उन्होंने यह भी जोड़ा, "ब्रांडेनबुर्ग, प्रशा और जर्मनी के इतिहास से जुड़ी अनगिनत कलाकृतियां अब जनता के लिए सुलभ होंगी और हमारी राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बनी रहेंगी."

एक सदी की जद्दोजहद

यह विवाद 1918 में शुरू हुआ, जब प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद जर्मन सम्राट काइजर विल्हेल्म द्वितीय को गद्दी छोड़नी पड़ी और उन्होंने नीदरलैंड्स में निर्वासन ले लिया.

हालांकि शुरुआत में प्रशा के शाही परिवार से सारी संपत्तियां जब्त की जानी थीं, लेकिन 1926 में एक समझौता हुआ जिसके तहत उन्हें लाखों डॉयचमार्क (तब की जर्मन करंसी) और कई किले, महल और अन्य संपत्तियां वापस मिल गईं. ये बर्लिन के आसपास से लेकर अफ्रीका के नामीबिया तक फैली थीं.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, सोवियत कब्जे वाले क्षेत्र और पूर्वी जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन के दौरान इन संपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा फिर जब्त कर लिया गया. 1989 में बर्लिन की दीवार गिरनेके बाद होहेनत्सोलेर्न परिवार को एक बार फिर इन पर दावा करने का कानूनी अधिकार मिला.

1994 के एक जर्मन कानून के तहत, वे लोग जिनकी संपत्ति सोवियत कब्जे के दौरान छीनी गई थी, उन्हें पुनः दावा करने का अधिकार है. लेकिन यह तभी मान्य होता है जब वे यह साबित कर सकें कि उन्होंने नाजी शासन का "प://hindi.latestly.com/world/" title="विदेश">विदेश

आखिरी जर्मन राजा के साथ सौ साल पुराना विवाद सुलझा

जर्मनी के आखिरी राजा के परिवार के साथ सौ साल से जारी विवाद सुलझा लिया गया है.

विदेश Deutsche Welle|
आखिरी जर्मन राजा के साथ सौ साल पुराना विवाद सुलझा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी के आखिरी राजा के परिवार के साथ सौ साल से जारी विवाद सुलझा लिया गया है. प्रशा के शाही परिवार के खजाने के मालिकाना हक को लेकर यह विवाद था.जर्मनी में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक मोड़ तब आया जब पूर्व प्रशा-सम्राट के उत्तराधिकारियों और सरकारी सांस्कृतिक संस्थानों के बीच एक सदी पुराना सांस्कृतिक विवाद सौहार्दपूर्वक सुलझा लिया गया. इस समझौते के तहत होहेनत्सोलेर्न वंश से जुड़ी लगभग 27,000 ऐतिहासिक वस्तुएं अब स्थायी रूप से जनता के सामने संग्रहालयों और महलों में प्रदर्शित की जाएंगी. इनमें पेंटिंग्स, मूर्तियां, सिक्के, किताबें और ऐतिहासिक फर्नीचर शामिल हैं.

संस्कृति मंत्री वोल्फ्राम वाइमर ने इस समझौते को "ऐतिहासिक सफलता" करार दिया. उन्होंने कहा, "100 साल बाद, हमने राजशाही से गणराज्य में बदलाव के समय उपजे विवाद को सौहार्दपूर्वक सुलझा लिया है."

उन्होंने यह भी जोड़ा, "ब्रांडेनबुर्ग, प्रशा और जर्मनी के इतिहास से जुड़ी अनगिनत कलाकृतियां अब जनता के लिए सुलभ होंगी और हमारी राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बनी रहेंगी."

एक सदी की जद्दोजहद

यह विवाद 1918 में शुरू हुआ, जब प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद जर्मन सम्राट काइजर विल्हेल्म द्वितीय को गद्दी छोड़नी पड़ी और उन्होंने नीदरलैंड्स में निर्वासन ले लिया.

हालांकि शुरुआत में प्रशा के शाही परिवार से सारी संपत्तियां जब्त की जानी थीं, लेकिन 1926 में एक समझौता हुआ जिसके तहत उन्हें लाखों डॉयचमार्क (तब की जर्मन करंसी) और कई किले, महल और अन्य संपत्तियां वापस मिल गईं. ये बर्लिन के आसपास से लेकर अफ्रीका के नामीबिया तक फैली थीं.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, सोवियत कब्जे वाले क्षेत्र और पूर्वी जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन के दौरान इन संपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा फिर जब्त कर लिया गया. 1989 में बर्लिन की दीवार गिरनेके बाद होहेनत्सोलेर्न परिवार को एक बार फिर इन पर दावा करने का कानूनी अधिकार मिला.

1994 के एक जर्मन कानून के तहत, वे लोग जिनकी संपत्ति सोवियत कब्जे के दौरान छीनी गई थी, उन्हें पुनः दावा करने का अधिकार है. लेकिन यह तभी मान्य होता है जब वे यह साबित कर सकें कि उन्होंने नाजी शासन का "पर्याप्त समर्थन” नहीं किया था.

अब साझा जिम्मेदारी में सुरक्षित होगी विरासत

प्रिंस गेओर्ग फ्रीडरिष फोन प्रॉयसेन विल्हेल्म द्वितीय के उत्तराधिकारी हैं. उन्होंने इस समझौते को लेकर कहा, "हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत को स्थायी रूप से सुरक्षित रखना और इसे कला-प्रेमी नागरिकों के लिए सुलभ बनाना हमेशा से मेरा लक्ष्य रहा है. यह समझौता राज्य और हमारे परिवार के बीच एक नई सांस्कृतिक साझेदारी की नींव रखता है."

इस समझौते के तहत विवादित वस्तुएं अब एक गैर-लाभकारी संस्था " होहेनत्सोलेर्न कुन्स्ट-उंड-कुल्टुरश्टिफ्टुंग" को सौंपी जाएंगी. इस फाउंडेशन के निदेशक मंडल में दो-तिहाई सदस्य सरकारी संस्थाओं से होंगे, जबकि एक-तिहाई प्रतिनिधित्व शाही परिवार के पास होगा.

2023 में, परिवार ने अपनी कानूनी लड़ाई तब वापस ले ली थी जब परिवार के एक प्रतिनिधि ने स्वीकार किया कि काइजर विल्हेल्म द्वितीय ने नाजियों के प्रति कभी-कभी सहानुभूति जताई थी. इसके बाद समझौते का रास्ता खुला, और अब इस ऐतिहासिक समझौते को जर्मन इतिहास संग्रहालय की अंतिम मंजूरी मिलने के बाद औपचारिक रूप दिया गया है.

अब यह विरासत, जो कभी सत्ता और साम्राज्य की पहचान थी, जर्मनी के नागरिकों के लिए एक साझा सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सुरक्षित रहेगी.

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